जशपुर

इलाज के लिए गाय बैल बकरी बेचा, अस्पताल में 1 लाख का बिल, मौत के इंतजार में पहाड़ी कोरवा परिवार
11-Sep-2022 9:21 PM
इलाज के लिए गाय बैल बकरी बेचा, अस्पताल में 1 लाख का बिल,  मौत के इंतजार में पहाड़ी कोरवा परिवार

10 दिन पहले भालू ने किया था हमला, अब तक सरकारी मदद भी नहीं मिली

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जशपुरनगर, 11 सितंबर। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार ने अपने मुखिया के इलाज में सब कुछ बेच दिया, लेकिन भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल पहाड़ी कोरवा का इलाज भी पूरा नहीं हो पाया है और इस दौरान अस्पताल में 1 लाख रूपए के बिल के भुगतान करने की मांग कर रहे हैं, जिससे परिवार के लोग मुखिया की मौत की कामना करने को मजबूर हैं।

मामला जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक के ग्राम पंचायत हर्राडीपा का है। घटना के संबंध में पीडि़त परिवार और ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक में एक पहाड़ी कोरवा परिवार अपने घर के मुखिया के मौत के इंतजार में बैठा हुआ है। उसके घर में पसरे एक सन्नाटे के बीच परिवार के लोगों के बीच बीच में रोने की आवाजें सन्नाटे को कभी-कभी चीरती रहती है।

पहाड़ी कोरवा महेंदर राम लगभग 10 दिनों पहले सुबह 8 बजे अपने खेतों में काम करने जा रहा था, तभी उसका सामना भालू से हो गया। भालू ने महेंदर राम के सिर के साथ जबड़ा उखाड़ डाला, आनन-फानन में परिवार के लोग महेंदर राम को पहले सन्ना अस्पताल ले गए, जहां उसकी गंभीर दशा को देखकर उसे सन्ना से अम्बिकापुर जिला अस्पताल के लिए रिफर कर दिया गया। परिवार वाले उसे लेकर जिला अस्पताल तो ले गए, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने उसे रायपुर ले जाने कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। किसी तरह परिवार वालों की मिन्नतों के बाद उसे अम्बिकापुर होलीक्रॉस अस्पताल में भर्ती कर लिया गया, पर इन दिनों 10 दिन के इलाज में घर के गाय, बैल, बकरी सब बेच दिया गया और अभी महेंदर की जान तो बच गई पर उसके जबड़े का इलाज बाकी है, जिसके लिए अस्पताल में 1 लाख रुपये का मांग कर रहे हैं। पर बिक चुका यह परिवार रुपए कहां से लाए। इसी मजबूरी को देखकर घर के लोग अब उसकी मौत का इंतजार कर रहे हैं और परिवार में सन्नाटा पसरा है।

वन विभाग की ओर से पीडि़त को 10 हजार रुपये मिला

अब तक सरकार की ओर से मदद के नाम पर वन विभाग की ओर से भालू के द्वारा गंभीर रूप से काटे जाने पर घायल को मिलने वाली राशि के नाम पर 10 हजार रुपए दिए गए हैं। सरपंच की ओर से भी कुछ नगद राशि की मदद की गई थी, जो कब के खत्म हो चुके हैं।


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