जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 11 नवंबर। उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा भक्तिमय वातावरण के साथ संपन्न हो हुआ।
इस मौके पर मुख्य रूप से शहर के छठ तालाब पूरन तालाब, झरिया किलकिला सहित ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य तालाबों, पोखरों, जलाशयों, पर छठव्रती छठ महोत्सव के तीसरे दिन अस्ताचलगामी और अंतिम दिन उगते सूर्यदेव को अघ्र्य देकर पूजा मंत्रोचारण कर व्रत का पारण किया।
छठ घाट में आये सभी आये भक्तों को ठेकुआ, चावल का कचवनिया, चने, केला, सेव ,सिंघाड़ा आदि फल का प्रसाद दिया गया। मुख्य रूप से इस पर्व पर प्रसाद के लिए गेहू के पीसे आटे से बनाये गए ठेकुआ का प्रसाद होता है। जिसे बांस के दौरा सूप में रख कर पूजा किया जाता है। सुख, शांति ,समृद्धि व संतान प्राप्ति के लिए छठ मईया का छत्तीस घंटे का निर्जला व्रत रखने वाले व्रतधारियों ने उगते सूर्य देवता को अघ्र्य देकर व्रत का समापन किया।
इस चार दिवसीय पर्व के अंतिम दिन गुरुवार की भोर से ही छठ घाटों में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। आस पास के गाँव के लोग भी इसे देखने के लिए आये हुए थे जिसमे बच्चे महिलाएं से लेकर पुरुष सभी शामिल थे। हल्की हल्की ठंड के बावजूद लोगो की काफी भीड़ इस पूजा को देखने उमड़ पड़ी थी सुबह आने वाले काफी भक्तो ने दिए जला कर तालाब में छोड़ा और अपनी बेहतरी के लिए भगवान से प्रार्थना कर आशीर्वाद मांगा। सुबह सूर्य भगवान के उदय होने के बाद से ही छठ महापर्व किये व्रतियों के पैरों को छूकर लोगों ने आशीर्वाद मांगा छठ पूजा समिति के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बताया कि छठ का महापर्व लोक आस्था का महत्वपूर्ण महोत्सव है। जिसमे सूर्य भगवान की आराधना कर छठी मईया से खुद और परिवार की सुख शांति के लिए आशीर्वाद मांगते है।


