जान्जगीर-चाम्पा
तत्कालीन डीएफओ की सहमति से 25 फीसदी एसओआर कम में काम लिया था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा, 18 मई। वनपरिक्षेत्र के छाता जंगल खिसोरा आर एफ 70 के जंगल मे रहने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं वन क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए कैम्पा योजना के तहत सडक़ के किनारे से 2 हजार मीटर की दूरी तक 35 लाख 87 हजार 5सौ रुपये की लागत से ठेकेदार के माध्यम से कार्य कराई जा रही थी । पिछले वर्ष बारिश के बाद काम चालू किया और कुछ दूरी तक चेनलिंक फैंसिंग का काम हुआ जहां काम में फैंसिंग के लिये जमीन की सतह से दीवाल खड़ी कर फैंसिंग जाली लगानी थी ,लेकिन जो दीवाल उठाई जा रही थी वह गुणवत्ता हीन थी, जिसकी शिकायत विभाग के अफसरों से की गई थी, लेकिन कोई देखने वाला नहीं था और काम जैसे तैसे कर अधूरा छोड़ दिया, अब फैंसिंग टूटने या फिर चोरी होने की कगार में है।
काम कर रहे ठेकेदार कौन है इसकी जानकारी देने वाले भी कोई नहीं और नहीं निर्माण स्थल में निर्माणकार्य का कोई भी सूचना बोर्ड भी नहीं लगाया गया था। आज काम बंद हुए सात माह हो गए किसी भी जिम्मेदारों को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। पूछने पर एसडीओ संचित शर्मा ने बताया कि ठेकेदार सामग्री आपूर्ति नहीं कर पा रहा है, ऐसे में दूसरे ठेकेदार से कार्य कराने के लिए पत्र लिखा गया है।
क्या है कैम्पा योजना
इसके लिए भारत सरकार के द्वारा कैम्पा निधि की राशि प्रदान की जाती है, उक्त राशि से कैंपा योजना अंतर्गत (वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण) के तहत क्षतिपूरक वनीकरण, नवींन पौधारोपण जलग्रहण प्रबंधन क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, वनों में आग लगने से रोकने के उपाय, वन में मृदा व आर्द्रता संरक्षण के कार्य कराए जाते हैं। इसके तहत नालों में स्टापडेम, बोल्डर चेक डेम, तालाब का निर्माण, पौधरोपण, फेंसिंग समेत अन्य कार्य होते हैं।
छत्तीसगढ़ के जंगलों में वन्यजीव और वन संरक्षण के कार्य जमीन में दिखाई नही देते,लगातार पेड़ो की कटाई और वन्यजीव का शिकार हो रहे है। योजनाएं अनेकों है लेकिन सिर्फ कागजों में धरातल में नहीं है और लगातार शासन की योजनाओं को चुना लगाया जा रहा है।


