अंतरराष्ट्रीय

तारेक अलाओस कहते हैं कि उनके लिए जीवन की सुरक्षा और गरिमा बहुत अहम है
सीरिया के गृह युद्ध से बचकर भागे तारेक अलाओस की आंखों में एक बड़ा सपना पल रहा है. इस साल जर्मनी में चुनाव होने हैं और वह इन चुनावों में हिस्सा लेकर जर्मन संसद का सदस्य बनना चाहते हैं.
(dw.com)
31 साल के अलाओस अब एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. सात साल पहले वह सीरिया के अलेप्पो और दमिश्क में कानून की पढ़ाई कर रहे थे. जब देश में गृह युद्ध भड़का, तो उन्होंने भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. उन्होंने रेड क्रॉस के साथ मिलकर सीरिया में लगातार बढ़ रहे युद्ध क्षेत्र में जरूरतमंदों तक मदद भी पहुंचाई. लेकिन फिर वह राष्ट्रपति असद की सरकार के निशाने पर आ गए. शुरुआती हिचकिचाहट के बाद उन्होंने जुलाई 2015 में सीरिया से भागकर जर्मनी में शरण ली.
अब अलाओस ऐसे पहले सीरियाई शरणार्थी बनना चाहते हैं जो जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग का सदस्य हो. जर्मन नागरिकता के लिए आवेदन करने के साथ ही उन्होंने ग्रीन पार्टी से टिकट पाने की मुहिम भी शुरू कर दी है. वह संसद में जर्मनी के पश्चिमी राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के ओबरहाउजेन इलाके का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.
जर्मनी में इस साल 26 सितंबर को संसदीय चुनाव होने हैं. इस बार जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल चुनावी मैदान में नहीं होंगी. उन्होंने ही 2015 में शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोले थे. इसके बाद सीरिया, अफगानिस्तान और दूसरे संकट ग्रस्त इलाकों से लाखों शरणार्थी जर्मनी में आए. शरणार्थी संकट के बाद से इस साल जर्मनी में दूसरा आम चुनाव होगा. 2017 के चुनाव में धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी ने राष्ट्रीय संसद में मजबूत विपक्ष के तौर पर जगह बनाई थी और वह शरणार्थियों के मुद्दे पर अकसर सरकार से टकराती रहती है.
जर्मन गायिका और अभिनेत्री डिट्रीश नाजी जर्मनी को छोड़ कर अमेरिका गई थीं और 1939 में उन्होंने वहां की नागरिकता ली. वो एक अहम शरणार्थी शख्सियत थीं जिसने हिटलर के खिलाफ खुलकर बोला. उन्होंने कहा था, "वो जर्मन पैदा हुई हैं और हमेशा जर्मन रहेंगी."
गरिमा के लिए संघर्ष
ट्विटर पर पोस्ट की गई अपनी प्रचार मुहिम के एक वीडियो में तारेक अलाओस ने कहा, "जर्मनी में, एनआरडब्ल्यू मेरा घर है. यहीं पर मेरे निर्वाचन क्षेत्र ओबरहाउजेन और डिंसलाकेन में मेरे राजनीतिक कार्य की शुरुआत हुई."
अलाओस दो महीनों तक कुख्यात बाल्कन रूट पर चलते हुए जर्मनी के बोखुम शहर में पहुंचे. उन्होंने जर्मन अखबार टागेसश्पीगल के साथ बातचीत में कहा, "मैं बस ऐसा जीवन चाहता हूं जिसमें सुरक्षा और गरिमा हो."
जर्मनी में शरणार्थी जिस हाल में रह रहे हैं, उसे देखकर वह स्तब्ध रह गए. इसलिए उन्होंने जर्मनी में आने के कुछ ही महीनों बाद ही एक पहल शुरू की जो आप्रवासियों की ज्यादा भागीदारी और उनके रहने की परिस्थितियों में सुधार की वकालत करती है.
अलाओस ने सिर्फ छह महीनों में जर्मन भाषा सीख ली. इसके बाद उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर नया करियर शुरू किया. वह दूसरे शरणार्थियों को कानूनी मदद देने लगे. जब 2018 में यूरोप में नए शरणार्थियों को आने की अनुमति पर राजनीतिक टकराव शुरू हुआ तो उन्होंने "सी ब्रिज" नाम से एक संस्था बनाई, जो समुद्र में फंसे शरणार्थियों को बचाने के लिए आवाज उठाती है.
बेजुबानों की आवाज
खासतौर से पर्यावरण के लिए आवाज उठाने वाली ग्रीन पार्टी के टिकट पर अलाओस चुनाव लड़ना चाहते हैं. वह जलवायु परिवर्तन और माइग्रेशन नीतियों के बीच सीधा संबंध देखते हैं. उन्होंने अपने ट्विटर वीडियो में कहा, "जलवायु संकट दक्षिणी गोलार्ध में रहने वाले लोगों की जिंदगी को और मुश्किल बनाएगा. इसीलिए एक निष्पक्ष जलवायु नीति में शरणार्थियों और आप्रवासन पर ध्यान दिया जाना चाहिए."
वह कहते हैं, "बुंडेस्टाग में पहले सीरियाई शरणार्थी के तौर पर मैं उन लाखों लोगों को आवाज देना चाहता हूं जिन्हें भागने के लिए मजबूर होना पड़ा और जो हमारे साथ रह रहे हैं." वह कहते हैं कि अगर सफल रहे तो वह सभी शरणार्थियों की आवाज बनना चाहते हैं.
एके/एमजे (डीपीए)