अंतरराष्ट्रीय

गूगल ने धमकी दी है कि अगर न्यूज़ पब्लिशर्स के साथ उसके रिश्तों को तय करने वाले नए क़ानूनों पर ऑस्ट्रेलियाई सरकार आगे बढ़ती है तो वह वहां के बाज़ार को छोड़कर चली जाएगी.
ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं आखिर यह पूरा मसला क्या है?
गूगल ऑस्ट्रेलिया को क्यों छोड़ना चाहती है?
सरकार एक नया क़ानून ला रही है जिसमें लंबे वक्त से उठ रहे इस मसले को हल करने की कोशिश की गई है कि क्या टेक्नोलॉजी सेक्टर की दिग्गज कंपनियों को सर्च रिजल्ट या उनके प्लेटफॉर्म्स पर साझा की जाने वाली ख़बरों के लिए पैसे चुकाने चाहिए या नहीं?
प्रस्तावित कानून में यह अनिवार्य कर दिया गया है कि गूगल का सभी न्यूज़ ऑर्गेनाइजेशंस के साथ एक कर्मशियल एग्रीमेंट हो या फिर उसे जबरदस्ती इस तरह के आर्बिट्रेशन में दाखिल किया जाए. गूगल का कहना है कि यह चीज लागू किए जाने योग्य नहीं है.
सीधे तौर पर कहा जाए तो गूगल को अपने सर्च पर दिखने वाली ख़बरों के लिए न्यूज ऑर्गनाइजेशंस को पैसे चुकाने होंगे.
गूगल के रीजनल डायरेक्टर मेल सिल्वा के मुताबिक, "अगर इन प्रस्तावों को क़ानून बनाया गया तो हमारे पास ऑस्ट्रेलिया में गूगल सर्च को बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा."
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने गूगल की प्रतिक्रिया पर कहा है, "हम धमकियों पर टिप्पणी नहीं करते."
ऑस्ट्रेलिया गूगल से किस चीज़ के लिए पैसे चुकाने को कह रहा है?
अभी तक यह तय नहीं है कि इस मसले के पीछे कितने पैसों का सवाल है.
प्रस्तावित क़ानून में सौदेबाजी और आर्बिट्रेशन का जिक्र है. इस तरह से इसमें गुंजाइश का विकल्प है. अगर गूगल किसी न्यूज संस्थान के साथ एग्रीमेंट नहीं कर पाती है तो कोई जज एक उचित सौदे को तय करेगा.
लेकिन, सरकार का कहना है कि वह चाहती है कि न्यूज संस्थानों को एक उचित भुगतान मिले.
पिछले 15 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया में प्रिंट संस्थानों की विज्ञापन से होने वाली कमाई तीन-चौथाई से ज्यादा घटी है. (bbc.com)