अंतरराष्ट्रीय

सऊदी अरब: लुजैन अल हथलौल को पांच साल जेल की सज़ा
29-Dec-2020 9:05 AM
सऊदी अरब: लुजैन अल हथलौल को पांच साल जेल की सज़ा

photo credit AMNESTY.ORG


सऊदी अरब की जानी-मानी महिला कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को पांच साल आठ महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई है.

लुजैन अल हथलौल सऊदी अरब की उन कुछ महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने महिलाओं को गाड़ी चलाने देने का अधिकार देने की मांग उठाई थी.

महिला अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाली 31 वर्षीय हथलौल बीते क़रीब ढाई साल से कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में बंद हैं.

साल 2018 में हथलौल और उनके साथ कई अन्य कार्यकर्ताओं को सऊदी अरब के साथ दुश्मनी रखने वाले संगठनों के संपर्क में होने के आरोप के तहत हिरासत में ले लिया गया था.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने बार-बार उनकी रिहाई की बात दोहराई है.

लेकिन सोमवार को, आतंकवाद के मामलों की सुनवाई के लिए बनाए गए देश के विशेष आपराधिक न्यायालय ने हथलौल को राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने समेत कई अन्य आरोपों का दोषी बताया.

कोर्ट ने अपने आदेश में उन्हें पांच साल आठ महीने के जेल की सज़ा सुनाई. चूंकि हथलौल बीते ढाई साल से अधिक समय से जेल में हैं तो इस अवधि को उनकी कुल सज़ा में से कम किया जा सकता है.

वहीं दूसरी ओर हथलौल और उनके परिवार ने इन सभी आरोपों से इनक़ार किया है. उन्होंने यह भी कहा कि जेल में हथलौल को यातनाएं दी गईं लेकिन आरोपों को अदालत ने ख़ारिज कर दिया.

हथलौल को साल 2018 में सऊदी में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार मिलने के कुछ सप्ताह पहले ही हिरासत में ले लिया गया था.

सउदी अधिकारियों का कहना है कि उनको हिरासत में लिए जाने का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

हथलौल के परिवार का कहना है कि हिरासत में लिये जाने के तीन महीने तक उन्हें किसी से बातचीत करने की अनुमति नहीं थी. उन्हें बिजली के झटके दिए गए, कोड़े मारे गए और उनका यौन शोषण भी किया गया. परिवार का यह भी आरोप है कि उन पर दबाव बनाया गया कि अगर वो यह कह देती हैं कि उनके साथ प्रताड़ना नहीं हुई है तो उन्हें आज़ाद कर दिया जाएगा.

मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि उनका ट्रायल अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हुआ है.

नवंबर में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने स्पेशलाइज़्ड क्रिमिनल कोर्ट में उनके केस को रेफ़र करने पर सऊदी की निंदा की थी और कहा था कि यह सऊदी अधिकारियों की क्रूरता और पाखंड को दर्शाता है.

इस मामले को इस तौर पर भी देखा जाता है कि इससे सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा. हालांकि बाद में उन्होंने नए सुधारों के तहत एक बड़ा बदलाव करते हुए साल 2018 में महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति दे दी थी.

लेकिन कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों और इसके अलावा पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या में सऊदी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका को लेकर भी उनकी आलोचना होती रही है.

कौन हैं लुजैन अल हथलौल

सऊदी अरब सामाजिक कार्यकर्ता लुजैन अल हथलौल को एक दिसम्बर 2014 में कार चलाने के आरोप में सऊदी अरब की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, लुजैन को कार चलाकर देश की सीमा में दाख़िल होते वक्त गिरफ़्तार किया गया था.

इसके विरोध में पेशे से पत्रकार मायसा अल अमौदी भी, हथलौल के समर्थन में गाड़ी चलाते हुए सीमा पर जा पहुंचीं और पुलिस ने उन्हें भी गिरफ़्तार कर लिया. दोनों को जेल में बंद कर दिया गया.

उस दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि इन महिलाओं पर रियाद की उस अदालत में मुकदमा चलाया जाए जो आतंकवादी मामलों को देखती है.

उसके बाद अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था, एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत पूरी दुनिया के मानवाधिकार संगठनों ने सउदी अरब की तीखी आलोचना की.

आख़िरकार 73 दिनों की क़ैद के बाद लुजैन को रिहा किया, लेकिन तब तक महिलाओं के अधिकार का मामला एक मुहिम बन चुकी थी.  (bbc)


अन्य पोस्ट