अंतरराष्ट्रीय
तीख़े विवादों के बाद, ब्राज़ील के बेलेम में हुआ संयुक्त राष्ट्र का जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप30) जीवाश्म ईंधन पर बिना समझौते के साथ समाप्त हो गया.
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ समेत 80 से अधिक देशों के लिए ये निराशाजनक है, जो चाहते थे कि बैठक में तेल, कोयला और गैस के इस्तेमाल को कम करने पर सहमति बने.
लेकिन तेल उत्पादक देशों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्हें अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिए अपने जीवाश्म ईंधन संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार होना चाहिए.
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को औद्योगिक युग से पहले के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयास नाकाम होते दिख रहे हैं.
कोलंबिया के प्रतिनिधि ने शनिवार को हुई प्लेनरी की अंतिम बैठक में इस बात पर तीख़ी प्रतिक्रिया दी कि देशों को समझौते पर 'आपत्ति जताने से रोका जा रहा है.'
अंतिम समझौते में देशों से ‘स्वेच्छा से जीवाश्म ईंधन कम करने’ की अपील की गई है.
ऐसा पहली बार है कि अमेरिका ने जलवायु सम्मेलन में अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा. राष्ट्रपति ट्रंप पेरिस समझौते से अमेरिका को अलग कर चुके हैं. उन्होंने जलवायु परिवर्तन को ‘एक धोखा’ करार दिया है. (bbc.com/hindi)


