अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाजिद ने कहा है कि उनकी मां को मौत की सज़ा सुनाए जाने के मामले में सब कुछ ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हुआ है.
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को मौत की सज़ा सुनाई है. इस फ़ैसले के बाद बांग्लादेश ने भारत से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है.
शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण और बांग्लादेश के राजनीतिक संकट के दौरान भारत की भूमिका को लेकर न्यूज़ एजेंसी एएनआई उनके बेटे सजीब वाजिद से बात की.
सजीब वाजिद ने कहा, "भारत हमेशा से एक अच्छा दोस्त रहा है. संकट के दौरान, भारत ने मेरी माँ की जान बचाई है. अगर वह बांग्लादेश नहीं छोड़तीं, तो चरमपंथियों ने उनकी हत्या की योजना बना ली होती. इसलिए, मैं अपनी माँ की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का हमेशा आभारी रहूँगा."
शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर उन्होंने कहा, "प्रत्यर्पण के लिए न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना ज़रूरी है. बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार नहीं है, ये असंवैधानिक और अवैध सरकार है."
उन्होंने कहा, "मेरी माँ को दोषी ठहराने के लिए, उनके मुक़दमे की सुनवाई तेज़ करने के लिए कानूनों में संशोधन किया गया. आप बिना संसद के क़ानून में संशोधन नहीं कर सकते हैं, इसका मतलब है कि क़ानूनों में अवैध रूप से संशोधन किया गया."
सजीब वाजिद ने आरोप लगाया, "मेरी माँ को अपने बचाव पक्ष के वकील करने की मंज़ूरी नहीं थी. यहां तक कि उनके वकीलों को अदालतों में जाने की भी अनुमति नहीं थी. ट्रायल से पहले ही अदालत के 17 जजों को टर्मिनेट कर दिया गया, नए जज नियुक्त किए गए, जिनमें से कुछ को बेंच पर काम करने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए थे."
उन्होंने कहा, "ऐसे में जब सब कुछ गैर-कानूनी तरीके से हुआ हो, तो कोई भी देश प्रत्यर्पण नहीं करेगा, प्रत्यर्पण के लिए उचित प्रक्रिया का पालन होना ज़रूरी है."


