अंतरराष्ट्रीय
-दीपक मंडल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल भारत में फोन बनाना चाहे तो बनाए, लेकिन ये टेक कंपनी बगैर टैरिफ के अमेरिका में अपने प्रोडक्ट नहीं बेच पाएगी।
ट्रंप ने शुक्रवार को राष्ट्रपति दफ्तर में अमेरिका में कुछ एग्जीक्यूटिव आदेशों पर दस्तखत के बाद ये बयान दिया।
इससे पहले जब डोनाल्ड ट्रंप यूरोपियन यूनियन के साथ अमेरिका की ट्रेड डील शुरू होने से पहले बोल रहे थे, तब भी उन्होंने कहा था कि अमेरिका में बाहर से बन कर आने वाले आईफ़ोन पर 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगेगा।
आईफ़ोन को लेकर एक के बाद दिए गए ट्रंप के इन दोनों बयानों ने एपल की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि चीन में टैरिफ़ बढऩे के बाद वो भारत को आईफ़ोन के मैन्युफैक्चरिंग बेस के तौर पर विकसित करने की कोशिश कर रही है।
ये भारत और इसकी मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी चिंता की बात है क्योंकि एपल अपने 15 फ़ीसदी फ़ोन भारत में बनाती है। एपल का इरादा इसे 25 फ़ीसदी तक ले जाने का है।
भारत में एपल का क्या दांव पर लगा है?
ट्रंप के इन बयानों से कुछ सप्ताह पहले ही एपल ने कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले ज्यादातर आईफ़ोन भारत में ही बनेंगे।
इसके बाद इसकी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 अरब डॉलर की यूनिट लगाने की मंशा जताई थी। फॉक्सकॉन ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज को बताया है कि वह अपनी भारतीय इकाई युझान टेक्नोलॉजिज़ प्राइवेट लिमिटेड में ये निवेश करेगी।
कंपनी ये मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट चेन्नई में लगाएगी। पिछले साल अक्तूबर में तमिलनाडु सरकार ने कांचीपुरम में युझान की 13 हज़ार 180 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।
ट्रंप ने क्या चेतावनी दी?
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक को काफी पहले बता दिया था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफ़ोन को वहीं बनाना होगा। भारत या किसी और जगह नहीं।
उन्होंंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, मैंने टिम कुक को बता दिया था कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन वहीं बनाने होंगे। कुक ने कहा था कि वो भारत में प्लांट लगाने जा रहे हैं। मैंने कहा कि ठीक है लेकिन आप अमेरिका में बगैर टैरिफ़ के आईफोन नहीं बेच पाएंगे।
सवाल ये है कि ट्रंप की इस चेतावनी के बाद क्या एपल भारत में बने आईफ़ोन अमेरिका को बेच पाएगी। और इससे एपल और भारत का कितना नुक़सान होगा।
अमेरिका में आईफ़ोन बनाने से वहां रोजगार बढ़ेगा लेकिन क्या एपल वहां आईफ़ोन बना कर मुनाफ़ा कमा पाएगी?
इन सवालों के जवाब जानने के हमने ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव से बात की।
भारत में आईफ़ोन बनाना कितना सस्ता
अजय श्रीवास्तव ने बीबीसी को बताया, एक हज़ार डॉलर के आईफ़ोन में भारत और चीन को 30 डॉलर ही मिल पाते हैं। भले ही दोनों अब इसके अहम मैन्युफैक्चरिंग हब हैं। ये आईफोन की कुल रिटेल कीमत का सिर्फ तीन फ़ीसदी है।
वो कहते हैं कि इसके बावजूद भारत में आईफ़ोन बनाना अमेरिका से काफी सस्ता है क्योंकि यहां इसकी मैन्युफैक्चरिंग में लगे कर्मचारियों का वेतन काफी कम है।
अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत में आईफोन की असेंबलिंग में लगे लोगों का प्रति माह औसत वेतन 17 से 20 हजार रुपये यानी 230 डॉलर है।
वहीं अमेरिका में ये वेतन 2900 डॉलर प्रति माह होगा क्योंकि वहां न्यूनतम मजदूरी का सख़्त कानून है। यानी एपल को अमेरिका में भारत से 13 गुना ज्यादा वेतन देना होगा।
जीटीआरआई के विश्लेषण के मुताबिक़ भारत में एक आईफ़़ोन की असेंबलिंग की लागत 30 डॉलर आती है। वहीं अमेरिका में ये लागत बढ़ कर 390 डॉलर हो जाएगी।
इसके अलावा एपल को भारत सरकार की पीएलआई स्कीम (प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव) का भी फायदा मिलता है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में एपल की तीन प्रमुख मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन (अब टाटा की कंपनी) को तीन साल के भीतर पीएलआई स्कीम के तहत 6600 करोड़ रुपये मिले हैं।
नौकरियों का कितना नुक़सान
एपल के भारत में उत्पादन बढ़ाने से नई नौकरियों के मौक़े भी पैदा हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल अगस्त तक एपल के फ़ोन का उत्पादन कर रहीं और उनसे जुड़ी कंपनियों में 1 लाख 64 हज़ार से अधिक लोग सीधे तौर पर काम कर रहे थे।
श्रीपेरंबदूर का प्लांट भारत में आईफ़ोन उत्पादन का सबसे बड़ा प्लांट है। ये चेन्नई से कऱीब पचास किलोमीटर दूर है और यहां लगभग चालीस हज़ार कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से अधिकतर राज्यभर से आईं युवा महिलाएं हैं।
भारत को इस बात का डर हो सकता है कि अगर एपल का मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ़्ट हुआ तो यहां के लोगों को रोजगार का नुक़सान होगा।
लेकिन विश्लेषकों का कहना है एपल ऐसा नहीं करेगा, क्योंकि इतनी कम श्रम लागत में आईफ़ोन की असेंबलिंग अमेरिका में नहीं हो सकती।
अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि अगर अमेरिका ने भारत में बने आईफ़ोन पर 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगा दिया तो भी एपल के लिए ये फ़ायदे का ही सौदा होगा।
क्या ट्रंप का बयान भारत पर दबाव की रणनीति है
आईफोन को लेकर ट्रंप की चेतावनी पर हाल में बीबीसी से बातचीत करते हुए टेलिकॉम इक्विपमेंट मैन्युफ़ैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (टेमा) के चेयरमैन एमिरिटस प्रोफ़ेसर एनके गोयल ने कहा था, ‘पिछले कुछ सालों में भारत में उत्पादनकर्ताओं के लिए एक इको सिस्टम स्थापित हुआ है।’
हाईवे बेहतर बनें, सप्लायर चेन विकसित हुई है और सरकार भी उत्पादन को बढ़ावा देने कि लिए नीतियां लाई हैं। भारत के मुक़ाबले चीन में फ़ोन बनाना सस्ता है लेकिन पीएलआई के ज़रिए कंपनियों को सीधा फ़ायदा पहुंचा है और भारत एक प्रतिस्पर्द्धी के रूप में उभरा है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप के बयान को गंभीरता से लेने से पहले सोचना चाहिए।
एनके गोयल के मुताबिक़, आज भारत और दुनिया ये समझ चुकी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बयान देते हैं उस पर रुककर, ठहरकर सोचना चाहिए क्योंकि ट्रंप के विचार बदलते रहते हैं। एपल कंपनी को अपने हित में जो भी फ़ैसला लेना होगा वह बहुत सोच-समझकर ही लेगी।
वो कहते हैं, कंपनी हर फ़ैसले को नफ़ा-नुक़सान के पैमाने पर परख़ती है। एपल के लिए भारत आना एक कॉमर्शियल फ़ैसला था क्योंकि वह चीन पर निर्भरता कम करना चाहती थी और वहां से बाहर निकलना चाहती थी। भारत में एपल को मौका और संसाधन दिखे तो वह आई और अपने पैर जमाए। अब एपल भारत में स्थापित हो चुकी है, एक पूरा इको-सिस्टम बन चुका है और कंपनी का उत्पादन लगातार यहां बढ़ रहा है। ऐसे में उसके लिए यहां से जाना कोई आसान फ़ैसला नहीं होगा।
अजय श्रीवास्तव भी इसका समर्थन करते हैं। वो कहते हैं कि ट्रंप ने भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर जो बयान दिया है वो उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
वो शायद इसके ज़रिये भारत-अमेरिका ट्रेड डील में दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मक़सद इसके ज़रिये भारत से कुछ और छूट हासिल करना हो सकता है। (bbc.com/hindi)
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)