अंतरराष्ट्रीय
108 साल की उम्र में न आंखों में चश्मा, ना ही लाठी का सहारा या फिर कमजोरी की शिकायत. जापान की शितसुई हाकोइशी बुढ़ापे में भी अपना काम बेहद सलीके से करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दाखिल हो गई हैं.
क्या क्या देखा 108 साल की हाकोइशी ने
हाकोइशी बताती हैं कि उन्होंने बाल काटने का काम 14 साल की उम्र में टोक्यो में सीखना शुरू किया. 20 की उम्र में उन्हें पेशवर नाई का सर्टिफिकेट मिल गया. इसके बाद उनकी शादी हो गई और फिर पति पत्नी ने टोक्यो में ही एक हेयर कटिंग सैलून खोला. 1937 में शुरू हुए जापान चीन युद्ध के दौरान हाकोइशी के पति को लड़ने के लिए सेना में शामिल कर लिया गया. भीषण जंग में वह मारे गए.
इस धक्के के बाद हाकोइशी ने दोनों बच्चों को लालन पालन अकेले किया और टोक्यो में अपना सैलून भी संभाला. लेकिन कोशिशें भी अगली जंग की भेंट चढ़ गईं. दूसरे विश्वयुद्ध को याद करते हुए वह कहती हैं, "टोक्यो पर अमेरिकी सेना की बमबारी से हमारा घर राख में तब्दील हो गया."
जान बचाने के लिए हाकोइशी बच्चों के साथ टोक्यो से अपने गांव नाकागावा लौटीं. फिर आठ साल के इंतजार के बाद उन्होंने नाकागावा में रिहात्सु हाकोइशी नाम का सैलून खोला. जापानी भाषा में रिहात्सु का अर्थ नाई होता है.
हाकोइशी से जब आगे के जीवन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले तो इस साल 109वां जन्मदिन है और फिर "110 तक कड़ी मेहनत से काम करना है."
ओएसजे/आरपी (एएफपी, एपी)