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जर्मन चुनाव: ब्यूरोक्रेसी के दानव को काबू करने की चर्चा
19-Feb-2025 12:38 PM
जर्मन चुनाव: ब्यूरोक्रेसी के दानव को काबू करने की चर्चा

जर्मनी अपनी ब्यूरोक्रेसी और कागजी कार्रवाई के लिए मशहूर है. हालांकि, इसमें समय और पैसे दोंनो खर्च होते हैं. इससे छुटकारा पाने की चर्चा इस बार के चुनावों में खूब हो रही है.

(dw.com/hi)

राजनीतिक पार्टियां जर्मनी की ब्यूरोक्रेसी को बेहतर करने की जगह इससे छुटकारा पाने की बात करती नजर आ रही हैं. अलग अलग मुद्दों पर चुनाव लड़ रही पार्टियों की एक मुद्दे पर आपसी सहमति जरूर है. वह है देश की ब्यूरोक्रेसी की जटिलताएं और कागजी कार्रवाई पर खर्च होने वाला समय और धन. कई नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान यह भी कहा कि ब्यूरोक्रेसी नाम के इस "दानव" को काबू में करने की जरूरत है.

वहीं, कुछ ने इसे जंजीर से बांधने का सुझाव भी दिया है. हालांकि यह सुझाव अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खास सलाहकार इलॉन मस्क से प्रभावित नजर आता है. कई बार इसके पीछे श्रम और पर्यावरण से जुड़े कानूनों को कमजोर करने की भावना भी छिपी होती है. कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी ने तो सरकार की 100 से अधिक एजेंसियों को बंद करने का सुझाव दिया है. पार्टी का मानना है कि इससे प्रशासन बेहतर होगा और अरबों रुपये की बचत भी होगी.

मैर्त्स छेड़ेंगे ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ जंग
सीडीयू से चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने वादा किया है कि वह इस ब्यूरोक्रेसी के दानव के खिलाफ जंग छेड़ने को तैयार हैं. मैर्त्स और दूसरे नेता चाहते हैं कि कंपनियों को सरकार और यूरोपीय संघ को जानकारी देने की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. खासकर स्पलाई चेन ड्यू डिलिजेंस एक्ट को वे सबसे बड़ा सिरदर्द मानते हैं.

इलॉन मस्क ने इस मुद्दे को यह कहकर और हवा दी कि बर्लिन में उनके टेस्ला प्लांट को मंजूरी मिलने से पहले अनगिनत कागजी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ा. धुरदक्षिणपंथी पार्टी एफडी को समर्थन दे रहे मस्क ने यह भी कहा था कि उनके हर दस्तावेज पर हाथ से मोहर लगाई गई थी.

जर्मनी की ठहरी हुई अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए हाल ही में बर्लिन में व्यापारिक संगठनों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन में शामिल प्रॉपर्टी फर्म मैनेजर ऊर्स म्यूलर ने कहा कि इश्योरेंस कंपनियां नई नई प्रक्रियाएं इजाद करती रहती हैं. वे उनकी कंपनियों को बिल भेजने के अलावा कुछ और नहीं करतीं. उन्होंने यह भी कहा कि टैक्स और ब्यूरोक्रेसी, अच्छा मेहनताना देने और कुशल होने को बेहद जटिल बना देती हैं.

अर्थव्यवस्था के रास्ते में कितनी बड़ी रुकावट है ब्यूरोक्रेसी
ब्यूरोक्रेसी जर्मनी में आज एक बड़ी रुकावट के तौर पर काम कर रही हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2014 से लेकर अब तक जर्मनी में नियमों की संख्या 14 फीसदी तक बढ़ गई है. आलोचकों का कहना है कि ऐसे वक्त में जब अर्थव्यवस्था धीमी है तो उस दौरान कर्मचारियों का जितना वक्त दस्तावेजों को भरने में जाता है वह एक गंभीर समस्या है. कागजी कार्रवाई पूरा करने में लगने वाले समय की कीमत जर्मनी को 65 अरब यूरो तक  है.

जर्मनी के इकोनॉमिक इंस्टिट्यूट के मुताबिक तो यह कीमत 146 अरब यूरो के करीब हो सकती है, जो जर्मन की अर्थव्यवस्था का 3.4 फीसदी हिस्सा है. फ्रांस और नॉर्डिक देशों के मुकाबले जर्मनी की ब्यूरोक्रेसी कहीं ज्यादा जटिल है. इस समस्या से निपटने के लिए डिजिटलाइजेशन को एक हल के रूप में देखा जाता है. लेकिन यह हर समस्या का हल नहीं है.

जर्मनी के डीएनए में है कागजी कार्रवाई
लुत्ज क्राउजे एक निर्माण कंपनी के मालिक हैं. उनके मुताबिक सरकार ने जो इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइसिंग सिस्टम शुरू किया वह तो पुराने पेपर सिस्टम से भी ज्यादा समय लेती है. अब उन्हें सरकारी कर्मचारियों के साथ ज्यादा सिर खपाना पड़ता है. बर्लिन एयरपोर्ट पर निर्माण कार्य के लिए कर्मचारियों को लिखित परीक्षा देनी पड़ी थी, क्राउजे कहते हैं कि वह अब सरकार का काम लेने से बचते हैं. वह मानते हैं कि जर्मनी के लोगों के डीएनए में कागजी कार्रवाई रच बस गई है.

जर्मनी के प्रशासन का विकेंद्रीकरण एक दूसरी समस्या बनकर उभरा है. कंपनियों को वही जानकारी किसी दूसरे विभाग को भी देनी पड़ती है जो वे पहले ही दे चुके होते हैं.

जर्मन राज्य हेस्से ने इसकी पहल भी की है. मैनफ्रेड पेन्ट्ज को यहां ब्यूरोक्रेसी के भार को कम करने के लिए बतौर मंत्री नियुक्त किया गया. उनकी ऑनलाइन सर्विस ‘रेड टेप रडार' पर करीब 6,700 लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई कि उन्हें अधिकारियों से अपना काम करवाने के दौरान किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वह कहते हैं कि ब्यूरोक्रेसी को काबू में करना जरूरी है ताकि अर्थव्यवस्था काम कर सके ताकि लोग सरकार से निराश ना हो जाएं.

आरआर/एनआर (एएफपी)


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