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ब्राज़ील की अवैध खदानों में गोल्ड के बदले सेक्स
10-Dec-2024 1:53 PM
ब्राज़ील की अवैध खदानों में गोल्ड के बदले सेक्स

नतालिया कावलकान्टे कहती हैं कि यौन कर्मी के तौर पर उन्होंने जो पैसा कमाया, उससे उन्होंने अपने लिए एक मकान बना लिया है.


ताइज़ करान्ज़ा और एमा एल्स

डेयान लैटी कभी भी सेक्स वर्कर नहीं बनना चाहती थी, मगर 17 साल की उम्र में उनके पति का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया था.

तब वो अपने पति का अंतिम संस्कार का ख़र्च तक नहीं उठा सकी थीं. उनका होम टाउन इटैतुबा में है, जो ब्राज़ील के उत्तरी पारा राज्य में है.

यह देश के बीचों-बीच स्थित है, जहां सोने के अवैध खनन का व्यापार होता है. तब डेयान को उनके एक दोस्त ने सुझाव दिया था कि वो अमेज़न के अंदरुनी इलाक़ों में जाकर खदान कर्मियों के साथ यौन संबंध बनाकर पैसा कमा सकती हैं.

पिछले 16 वर्षों में इटैतुबा में कई महिलाओं की यही दिनचर्या है. वो इन खदानों में खाना बनाने, कपड़े धोने, शराबघर में काम करने या यौन कर्मी के तौर पर काम करने के लिए आती रही हैं.

डेयान लैटी खदान वाले इलाक़ों में जाने को लेकर कहती हैं, "खदान में जाना जोखिम भरा काम है. यह एक तरह का जुआ है."

"वहां महिलाओं का गंभीर शोषण किया जाता है. उनके चेहरे पर तमाचा मारा जा सकता है या फिर उन पर चिल्लाया जा सकता है."

उन्होंने बताया, "मैं अपने बेडरुम में सो रही थी और तभी एक आदमी खिड़की से कूदकर मेरे कमरे में आ गया और उसने मेरे सिर पर बंदूक रख दी. पैसे देने के बाद तो वो सोचते हैं कि वो महिला के मालिक ही बन गए हैं."

डेयान लैटी ने 18 साल की उम्र में अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था. अब वो सात लोगों के परिवार की ज़िम्मेदारी निभाती हैं.

महिलाओं के लिए यह सामान्य बात
नतालिया कावलकान्टे 24 साल की उम्र में एक खनन बस्ती में यौन कर्मी बन गईं.

उन्होंने बताया, "मैं यह तो नहीं कहूंगी कि शहर की सभी महिलाएं ऐसा करती हैं, लेकिन यौन कर्मी के तौर पर काम करने वाली महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है."

उन्होंने कहा, "यहां यह एक तरह से सामान्य बात है. हम इस बात की परवाह नहीं करते हैं."

इस बीच, चार साल बाद नतालिया ने एक बार के मालिक से शादी कर ली. इसके बाद वो एक वैश्यालय की मैडम बन गईं.

दरअसल, अमेज़न के वर्षावन में मौजूद खनन गाँवों में जीवन बहुत ही कठिन है.

वहां अधिकतर धूल से भरे रास्ते हैं. एक चर्च और शराबघर हैं. लेकिन, खदानकर्मी खुद गाँव से बाहर लकड़ियों से बनी झोंपड़ी में रहते हैं.

यहां जो महिलाएं खाना बनानी हैं उन्हें कैंप में मर्दों के साथ रहना पड़ता है.

नतालिया ने बताया कि ये खदानकर्मी गाँव में तभी नज़र आते हैं, जब उनको सोना मिल जाता है और उनके पास ख़र्च करने के लिए पैसा होता है.

महिलाएं कहती हैं कि कुछ मौकों पर खदानकर्मियों को यौन संबंध बनाने से पहले नहाने तक के लिए मनाना पड़ता है.

वैसे ब्राजील के क़ानून अनुसार, वैश्यालय का संचालन करना ग़ैर-क़ानूनी है.

मगर, नतालिया कहती हैं कि उन्होंने कभी कोई कमीशन नहीं लिया. उन्होंने केवल बार में लोगों को नौकरी दी और कमरे किराए पर दिए.

उनसे जब पूछा गया कि वो अन्य महिलाओं को इस पेशे लाने के बारे में क्यो सोचती हैं?

उनका जवाब था, "कभी-कभी मुझे लगता है, मैं भी इस दौर से गुज़र चुकी हूं, और मैं जानती हूं कि यह अच्छा नहीं है. मगर, फिर मैं सोचती हूं, लड़कियों के भी परिवार होते हैं, बच्चे होते हैं. उनका पालन-पोषण करना होता है."

शादी करने से पहले नतालिया ने भी ख़ूब पैसा कमाया. अब उनके पास इटैतुबा में खुद का एक मकान है. उनके पास एक मोटरबाइक है.

और ठीक-ठाक मात्रा में सोना भी है, जो उनको कुछ मौकों पर खदानकर्मियों के साथ बनाए गए यौन संबंधों के बदले में मिला था.

उनको एक बार यौन संबंध बनाने पर खननकर्मी की ओर से दो से तीन ग्राम तक सोना मिल जाता था.

अब नतालिया का लक्ष्य पढ़ाई करना है. वो वकील या ऑर्किटेक्ट बनना चाहती हैं.

वह कहती हैं कि इटैतुबा में कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने बिज़नेस से कमाए गए पैसों के ज़रिए खुद को वहां स्थापित कर लिया है.

इटैतुबा को 'गोल्ड नगेट सिटी' भी कहा जाता है.

मगर, एक महिला के तौर पर ऐसे इलाक़े में जाना, जहां माहौल हिंसक और अराजक है, एक जोखिम भरा काम है.

खदानों के इलाक़े में क्या ख़तरा?

ब्राजील की सरकार का कहना है कि 80 हज़ार से 8 लाख लोग अवैध खदानों में काम कर रहे हैं.

खदानों से पर्यावरण को होने वाले नुक़सानों से तो सभी परिचित हैं. मगर, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि खनन इलाक़ों में हिंसा, शारीरिक शोषण और तस्करी भी होती है. इस बारे में बात कम ही होती है.

कीमती धातुओं के एक व्यापारी ने बीबीसी से कहा कि इन खदानों से मिलने वाले अवैध सोने को वैध खदानों की सहकारिता द्वारा फिर से नया लेबल दे दिया जाता है.

ऐसा इस सोने को एक्सपोर्ट करने से पहले किया जाता है. इसके बाद इस सोने का उपयोग गहनों वगैहरा में किया जाता है.

थिंक टैंक इंस्टीट्यूटो एस्कोल्हास के अनुसार, ब्राजीलियन गोल्ड के तीन बड़े उपभोक्ताओं में कनाडा, स्विट्ज़रलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं.

जहां-जहां अवैध खनन होता है, वहां से 90 फ़ीसदी से ज़्यादा सोना यूरोप भेजा जाता है.

राइली सेंटोस की हत्या खनन वाले एक गाँव में की गई थी. कथित तौर पर राइली ने एक आदमी के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया था.

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि खदान वाले गाँवों में महिलाओं की हत्याएं भी होती हैं.

पिछले साल 26 वर्षीय राइली सेंटोस का शव उनके कमरे से मिला था. यह कमरा कुइउ-कुइउ सोने की खदान के पास था, जो इटैतुबा से 11 घंटे की दूरी पर स्थित है.

उनकी बड़ी बहन राइलेन कहती हैं कि एक व्यक्ति ने उनकी बहन को यौन संबंध बनाने के बदले पैसे देने की पेशकश की थी. लेकिन वो संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं थीं.

इसके बाद उस व्यक्ति ने मेरी बहन को ढूंढ निकाला और इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई.

उन्होंने कहा, "मेरा जन्म खदान में हुआ था. मैं खदान में ही पली-बढ़ी हूं. और अब मुझे खदानों में रहने में डर लगता है."

अब राइली की मौत के मामले में एक आदमी को गिरफ़्तार किया गया है.

ब्राज़ील में खदानों का इलाक़ा
ब्राज़ील में अवैध सोने की खदानों का इलाक़ा पिछले करीब दस सालों में दोगुना हो चुका है. यह 2 लाख 20 हज़ार हेक्टेयर तक फ़ैल चुका है.

कोई नहीं जानता है कि इस इलाक़े में कितनी महिलाएं काम करती हैं. और वहां कितने अवैध खननकर्मी हैं. ब्राजील की सरकार कहती है कि ये संख्या 80 हज़ार से 8 लाख तक हो सकती है.

राष्ट्रपति लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा के शासनकाल में सरकार ने अवैध खदानों को बंद करने के लिए कदम उठाए हैं.

इन खदानों से निकलने वाला सोने की ख़रीद को रोकने के प्रयास भी किए गए हैं. मगर, सोने के बढ़ते दामों के कारण कई लोग यहां अपनी किस्मत आजमाने पहुंच जाते हैं.

डेयान लैटी

डेयान लैटी अब गोल्ड माइन्स वाले इलाक़े में काम नहीं करना चाहतीं. वहां जोखिम बढ़ गया है और भी कई कठिनाइयां हैं.

लेकिन वो एक बार फिर वहां लौटना चाहती हैं.

वो वहां दो-तीन महीना कमाई करने के बाद एक स्नैक बार शुरू करना चाहती हैं. जब कभी भी वो अकेली होती हैं तो उनको बच्चों की चिंता होती है.

वह कहती हैं, "मैं कोशिश करती रहूंगी, जब तक मैं सफल न हो जाऊं. क्योंकि, मुझे लगता है कि एक दिन, मेरे बच्चे यह कहेंगे कि हमारी माँ ने बहुत मेहनत की है और उसने कभी हार नहीं मानी."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित. (bbc.com)


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