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फिनलैंड मंगलवार को नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो का 31वां सदस्य बन गया. एक समय में यह अकल्पनीय लगता था लेकिन अब यूरोप में सुरक्षा का समीकरण तेज़ी से बदल रहा है.
फ़िनलैंड का नेटो में शामिल होना केवल इसलिए मायने नहीं रखता है कि उसकी सीमा रूस से लगती है बल्कि इसलिए भी अहम है कि फिनलैंड किसी भी गुट में शामिल नहीं होने की वकालत करता था.
फ़िनलैंड के नेटो में शामिल होने को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए झटके के तौर पर भी देखा जा रहा है. पुतिन ने यूक्रेन पर पिछले साल फ़रवरी में हमला किया था तो एक कारण यह भी बताया था कि वह नेटो का विस्तार पूरब की ओर नहीं होने देंगे.
फ़िनलैंड के साथ स्वीडन ने भी नेटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. दोनों देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ही यह आवेदन किया था.
ऐसा माना जा रहा था कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों एक साथ नेटो में शामिल हो जाएंगे लेकिन हंगरी और तुर्की ने स्वीडन को रोक रखा है. अभी तक स्पष्ट नहीं है कि स्वीडन के नेटो में शामिल होने की राह कब तक साफ़ होगी. नेटो के सभी सदस्यों को नए सदस्य के शामिल होने पर सहमति देनी होती है.
रूस ने फ़िनलैंड और स्वीडन को नेटो में शामिल होने को लेकर चेतावनी दी थी और कहा था कि यह दोनों देशों के लिए ग़लत क़दम होगा. मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने फिनलैंड के नेटो में शामिल होने पर कहा था कि यह रूसी सुरक्षा में अतिक्रमण है.
पुतिन ने इससे पहले कहा था, ''रूस का फ़िनलैंड और स्वीडन के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है, ऐसे में यह उन पर निर्भर करता है कि नेटो में शामिल होना है या नहीं. लेकिन इन देशों में नेटो सैन्य यूनिट या उसके किसी इन्फ़्रास्ट्रक्चर की तैनानी होगी तो रूस चुप नहीं बैठेगा.''
वहीं पिछले हफ़्ते स्वीडन में रूसी दूतावास ने कहा था कि दुश्मन के गुट में नए सदस्य एक तार्किक निशाना होंगे. नेटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था. इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे. इसे इन्होंने सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया था. तब दुनिया दो ध्रुवीय थी. एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन.
शुरुआत में नेटो के 12 सदस्य देश थे. नेटो ने बनने के बाद घोषणा की थी कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे. नेटो में शामिल हर देश एक दूसरे की मदद करेगा.
नेटो के विस्तार को लेकर पुतिन नाराज़ रहे हैं. मध्य और पूर्वी यूरोप में रोमानिया, बुल्गारिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, लातविया, इस्टोनिया और लिथुआनिया भी 2004 में नेटो में शामिल हो गए थे. क्रोएशिया और अल्बानिया भी 2009 में शामिल हो गए. जॉर्जिया और यूक्रेन को भी 2008 में सदस्यता मिलने वाली थी लेकिन दोनों अब भी बाहर हैं.(bbc.com/hindi)