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जर्मनी में चर्च पर हमलाः चश्मदीदों ने हमलावर के बारे में क्या बताया?
11-Mar-2023 11:09 AM
जर्मनी में चर्च पर हमलाः चश्मदीदों ने हमलावर के बारे में क्या बताया?

पुलिस के मुताबिक जर्मनी के हैमबर्ग शहर के जेहावो विटनेस मीटिंग हॉल में हुए हमले में एक अजन्मे बच्चे समेत सात लोगों की मौत हो गई है.

पुलिस के मुताबिक़ गुरुवार को हुए इस हमले में एक ही हमलावर था. बाद में हमलावर ने ख़ुद को भी गोली मार ली. हमले का मक़सद अभी स्पष्ट नहीं है.

35 वर्षीय संदिग्ध हमलावर का नाम फिलीप एफ़ है. हमलावर भी इसी धार्मिक समुदाय का सदस्य था जिसके मन में 'दुर्भावना' थी.

इस हमले की नाटकीय वीडियो फुटेज भी सामने आई है जिसमें हमलावर हॉल की खिड़की से लोगों पर गोलियां चलाते दिख रहा है.

पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि इस हमले में चार पुरुषों और दो महिलाओं की मौत हुई है, सभी जर्मन नागरिक हैं.

वहीं आठ लोग घायल हुए हैं जिनमें चार की हालत गंभीर है. घायलों में एक यूक्रेन का नागरिक है, एक यूगांडा का.

हमले में सात महीने की एक गर्भवती एक महिला को भी गोली लगी है. अजन्मे बच्चे की मौत हो गई है जबकि महिला घायल है.

पुलिस के मुताबिक पहली इमरजेंसी कॉल रात 9.02 बजे मिली थी. कॉलर ने पुलिस को बताया था कि ब्रॉस्टल ज़िले की डीलबोग स्ट्रीट पर गोलियां चलीं हैं.

चार मिनट बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई थी, इसके तुरंत बाद स्पेशल फोर्स के अधिकारी भी मौके पर थे.

पुलिस को भीतर दाख़िल होने के लिए खिड़कियां तोड़नी पड़ी थीं, यहां क़रीब पचास लोग जुटे थे.

संदिग्ध के पास बंदूक रखने का लाइसेंस था. उसे स्पोर्ट्स शूटर बताया गया है. पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद वो पहली मंज़िल की तरफ़ भाग गया था, जहां पुलिस को उसका शव मिला.

शूटर ने बंदूक की नौ मैग्ज़ीन खाली कर दी थीं, उसके बैकपैक से पुलिस को बीस और मैग्ज़ीन मिलीं.

जर्मनी के सीनेटर एंडी ग्रोटे कहते हैं, "पुलिस ने तेज़ और निर्णायक कार्रवाई की जिसकी वजह से कई लोगों की जान बचा ली गई."

पुलिस का कहना है कि पहले उसे किसी अज्ञात व्यक्ति ने संदिग्ध के बारे में जानकारी दी थी जिसके बाद उसकी मानसिक सेहत को लेकर चिंताएं पैदा हुईं थीं.

इसके बाद पुलिस अधिकारी उसके घर गए थे लेकिन पुलिस के पास उस समय उसकी बंदूक को ज़ब्त करने के पर्याप्त कारण नहीं थे.

पहली मंज़िल की खिड़की से घटना का वीडियो बनाने वाले ग्रेगर माइसबाक नाम के व्यक्ति ने जर्मन अख़बार बिल्ड को बताया है, "मुझे पता नहीं चला था कि क्या हो रहा है, फिर जब मैंने फ़ोन कैमरा से ज़ूम किया तो मुझे दिखा कि कोई गोलियां चला रहा है."

"मैंने गोलियों की आवाज़ें भी सुनी… मैंने देखा कि एक व्यक्ति खिड़की से गोलियां चला रहा है, फिर मैंने उसका वीडियो बनाया."

पास में ही रहने वाली 23 वर्षीय छात्रा लॉरा ब्राक ने डीपीए न्यूज़ एजेंसी को बताया, "चार बार तेज़ी से गोलियां चलने की आवाज़ें आईं. हर बार कई गोलियां चली थीं. इनके बीच में बीस सेकंड से लेकर एक मिनट तक का अंतराल था."

घटना के तुरंत बाद ही जर्मनी की चेतावनी देने वाली एप नीनावॉर्न पर स्थानीय लोगों को अलर्ट भेज दिया गया था. इसमें लोगों को बताया गया था एक या अधिक व्यक्ति चर्च पर गोलियां चला रहे हैं.

स्थानीय लोगों से पुलिस के अभियान के दौरान घरों से बाहर न निकलने के लिए भी कहा गया था.

वीडियो फुटेज में पुलिस लोगों को हॉल से बाहर निकालते और कुछ को एंबुलेंस में ले जाती दिख रही है.

घटना के चौबीस घंटे बाद भी इसके कारण स्पष्ट नहीं हो सके हैं.

जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ स्कॉल्ज़ ने इस घटना को बर्बर हिंसा बताया और पीड़ितों के प्रति संवेदना ज़ाहिर की है.

क्या है जेहोवाह विटनेस समुदाय?
एक बयान में जेहोवाह विटनेस समुदाय का कहना है कि वह इस हमले से बेहद दुखी है.

जेहोवाह विटनेस एक ईसाई समुदाय है जो 19वीं सदी में अमेरिका में शुरू हुए एक धार्मिक आंदोलन पर आधारित है.

2022 में अपनी ताज़ा रिपोर्ट में इस समुदाय ने बताया था कि दुनियाभर में उसके 87 लाख सदस्य हैं जबिक जर्मनी में 170,000 सदस्य हैं.

माना जाता है कि हैमबर्ग शहर में इस समुदाय से जुड़े क़रीब चार हज़ार लोग हैं.

इस समुदाय से जुड़े लोग घर-घर जाकर ईसाई धर्म का प्रचार करते हैं और लोगों को बाइबिल देते हैं.

हालांकि ये एक ईसाई धर्म आधारित समुदाय है लेकिन इसके सदस्य मानते हैं कि चर्च बाइबिल के सच्चे संदेश से भटक गए हैं और ईश्वर के साथ मधुर संबंध बनाकर काम नहीं करते हैं.

जर्मनी में यूरोप के सबसे सख़्त बंदूक क़ानून हैं. जर्मनी में बंदूक हासिल करने के लिए 25 वर्ष से कम उम्र के हर व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक परीक्षण से गुज़रना पड़ता है.

साल 2021 के आंकड़े के मुताबिक जर्मनी में क़रीब दस लाख लोगों के पास निजी बंदूक रखने का लाइसेंस है. जर्मनी में क़रीब 57 लाख निजी बंदूकें हैं जिनमें से अधिकतर शिकारियों के पास हैं.

पिछले साल जर्मनी में सरकार को ताक़त के दम पर बदल देने की योजना का पता चला था. उसके बाद बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियां हुईं थीं. सरकार बंदूक क़ानून को और सख़्त करने पर विचार कर रही है. (bbc.com/hindi)


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