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सबसे कुख्यात हथियारों के डीलर में से एक विक्टर बाउट को अमेरिका की जेल से बास्केटबॉल स्टार ब्रिटनी ग्राइनर के बदले रिहा किया गया है.
ग्राइनर को इस साल फ़रवरी में मास्को में हिरासत में लिया गया था. उनके लगेज से कथित तौर पर गांजे का तेल बरामद हुआ था. वो रूस में खेलने के बाद वापस अपने देश लौट रहीं थीं.
अमेरिकी मीडिया में कई महीनों से अफ़वाह थी कि अमेरिकी अधिकारी ग्राइनर की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए क़ैदी विक्टर बाउट की अदला-बदली करने के लिए तैयार हैं.
विक्टर बाउट सोवियत एयरफ़ोर्स के पूर्व अधिकारी हैं और वो इतने कुख्यात रहे हैं कि उन पर हॉलीवुड फ़िल्म बनी हैं और उन्हें मौत का सौदागर का नाम तक दिया गया.
लेकिन ये मौत का सौदागर है कौन?
बाउट को साल 2010 में थाइलैंड से अमेरिका लाया गया था. इससे दो साल पहले अमेरिका की ड्रग्स प्रवर्तन एजेंसी (डीईए) ने उन पर एक स्टिंग ऑपरेशन कया था.
डीईए के एजेंटों ने कोलंबिया की रिवोल्यूशनरी आर्म्स फ़ोर्सेज़ (फार्क) के अधिकारी बनकर हथियारों का सौदा किया था. अब ये समूह समाप्त हो गया और उस समय अमेरिकी ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा था.
बाउट ने दावा किया था कि वो सिर्फ़ एक कारोबारी हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट का वैध कारोबार है. उन्होंने कहा था कि उन पर दक्षिणी अमेरिकी विद्रोही गुट को हथियार आपूर्ती करने के झूठे आरोप लगाए गए.
अप्रैल 2012 में बाउट को 25 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. उन पर अमेरिकी नागरिकों और अधिकारियों की हत्या की साज़िश रचने के आरोप साबित हुए थे. इसके अलावा आतंकवादी संगठन की मदद करने और एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें बेचन के आरोप भी उन पर साबित हुए थे.
तीन सप्ताह चले मुक़दमे में ये कहा गया था कि बाउट को बताया गया था कि जो हथियार वो बेचने जा रहे हैं उनका इस्तेमाल कोलंबिया के अधिकारियों के साथ काम कर रहे अमेरिकी पायलटों को मारने में किया जाएगा.
अभियोजकों का कहना है कि बाउट ने इस पर जवाब दिया था- "हमारा दुश्मन एक ही है."
बाउट ताजिकिस्तान में पैदा हुए हैं और रूस के नागरिक हैं. सोवियत संघ के पतन के बाद उन्होंने 1990 के दशक में एयर ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया था.
2007 में प्रकाशित किताब मर्चेंट ऑफ़ डेथ में दावा किया गया था कि बाउट ने अपना कारोबार 1990 के दशक में सोवियत संघ के पतन के दौरान हवाई अड्डों पर छोड़ दिए गए विमानों के दम पर स्थापित किया था.
ये किताब सुरक्षा विशेषज्ञ डगलर फारा और स्टीफ़ेन ब्राउन ने लिखी थी.
उस दौर में सोवियत संघ के मज़बूत एंटोनोफ़ और इल्यूशिन विमान चालक दल के सदस्यों के साथ बिक्री के लिए उपलब्ध थे और उनका इस्तेमाल दुनियाभर के हवाई अड्डों पर सामान पहुंचाने के लिए किया जा सकता था.
बाउट को जब सज़ा सुनाई गई उस समय वो 45 साल के थे. कहा जाता है कि वो कई कंपनियों के ज़रिए युद्ध में फंसे अफ़्रीका में हथियारों की आपूर्ती करने लगे थे.
संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स टेलर का सहयोगी घोषित किया था. साल 2012 में चार्ल्स टेलर को सिएरा लियोन के गृहयुद्ध में युद्ध अपराध करने और युद्ध अपराधों में मदद करने का दोषी पाया गया था.
संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज़ों के मुताबिक- "बाउट एक कारोबारी हैं, हथियारों और खनिजों के ट्रांसपोर्टर और सौदागर हैं जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति टेलर की सत्ता का समर्थन किया ताकि सिएरा लियोन को अस्थिर किया जा सके और उसके हीरों तक अवैध रूप से पहुंच हासिल की जा सके."
मध्य पूर्व की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक बाउट ने अल-क़ायदा और तालिबान के लिए भी हथियारों की आपूर्ति की.
आरोप है कि उन्होंने अंगोला के गृह युद्ध में दोनों पक्षों को हथियारों की आपूर्ति की. इसके अलावा उन्होंने सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, डेमेक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, लीबिया और दक्षिणी सूडान की सरकारों और मिलीशिया कमांडरों के लिए भी हथियारों की आपूर्ति की.
साल 2009 में ब्रितानी टीवी चैनल 4 को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने अल क़ायदा और तालिबान को हथियार देने के आरोपों को ख़ारिज किया था.
हालांकि उन्होंने ये स्वीकार किया था कि 1990 के दशक में उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में हथियारों की आपूर्ति की थी जिनका इस्तेमाल तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ने वाले कमांडरों ने किया था.
उन्होंने दावा किया था कि रवांडा में नरसंहार के बाद उन्होंने फ्रांसीसी सरकार की वहां सामान पहुंचाने में मदद की थी. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांतिबलों को भी रवांडा पहुंचाने का दावा किया था.
हालांकि 2000 के दशक में क़ानूनी एजेंसियों उनके पीछे लगीं रहीं. बेल्जियम के अधिकारियों ने जब साल 2002 में उनका गिरफ़्तारी वारंट जारी किया तो उन्होंने देश छोड़ दिया.
ये माना जाता है कि बाउट ने कई नाम रखे थे और उन पर ही वो यात्राएं किया करते थे. वो संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ़्रीका के बीच आते-जाते रहते थे और फिर साल 2003 में रूस में सामने आए थे.
इसी साल ब्रिटेन के विदेश मंत्री पीटर हाइन ने उनके लिए मौत का सौदागर नाम दिया था.
2003 में बाउट के बारे में लिखी एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद पीटर हाइन ने कहा था, "बाउट अग्रणी मौत के सौदागर हैं जो हथियारों की तस्करी के रास्तों और इन्हें ले जाने वाले विमानों पर एकाधिकार रखते हैं… वो पूर्वी यूरोप, मुख्यतः बुल्गारिया, मोल्दोवा और यूक्रेन से लिबेरिया और अंगोला तक हथियार पहुंचाते हैं."
"संयुक्त राष्ट्र ने बाउट को ऐसे जाल का केंद्र बताया था जो हथियारों के सौदागरों, हीरों के कारोबारियों और युद्ध को चलाए रखने में शामिल अन्य लोगों से मिलकर बना था."
अमेरिका ने 2000 के दशक में बाउट का पीछा किया, साल 2006 में उसकी संपत्तियों को भी फ्रीज़ कर दिया लेकिन अमेरिका में ऐसा कोई क़ानून नहीं था जिसके तहत बाउट पर मुक़दमा चलाया जा सके.
अमेरिकी एजेंट अपने समय का इंतेज़ार करते रहे. फिर साल 2008 में अमेरिकी एजेंट कोलंबिया के विद्रोही समूह फार्क से जुड़े ख़रीददार बनकर एक पूर्व सहयोगी के ज़रिए बाउट से मिले.
अमेरिकी अधिकारियों के ख़रीददार बनकर बाउट से हथियारों का सौदा करने के कुछ समय बाद ही थाइलैंड की पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था. इसके बाद उन्हें अमेरिका लाने की लंबी क़ानूनी प्रक्रिया शुरू हुई.
बाउट ने दावा किया था कि अमेरिका में उन पर दर्ज मुक़दमा राजनीति से प्रेरित है, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने कहा था कि रूस उन्हें वापस देश लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा. लावरोफ़ ने बाउट को अमेरिका भेजने के थाईलैंड की अदालत के फ़ैसले को अनुचित और राजनीतिक कहा था.
साल 2005 में लॉर्ड ऑफ़ द वॉर नाम से एक फ़िल्म आई थी जो बाउट के जीवन पर आधारित थी. इस फ़िल्म में भी विलेन आख़िर में न्याय से बच जाता है. (bbc.com/hindi)
हालांकि ये माना जाने लगा था कि बाउट के साथ ऐसा नहीं होगा और उन्हें सज़ा भुगतनी पड़ेगी. लेकिन अब जेल में 12 साल रहने के बाद वो अपने घर वापस लौट रहे हैं जहां आज़ादी उनका इंतेज़ार कर रही है.