गरियाबंद

महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में लाखों ने लगाई डुबकी, रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक
26-Feb-2025 10:36 PM
महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में लाखों ने लगाई डुबकी, रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक

कुलेश्वर महादेव के दर्शन करने लंबी कतार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 26 फरवरी। राजिम कुंभ कल्प में महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था, भक्ति और विश्वास की डुबकी लगाई। पुण्यकाल और मुहूर्त का इंतजार किए बिना श्रद्धालुओं ने आधी रात से ही डुबकी लगने त्रिवेणी संगम पहुंच गए। स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अटल घाट, संगम घाट, स्वर्ण तीर्थ घाट, नेहरू घाट, स्नान कुंड में उमड़ पड़ी। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दीपदान भी किया। महिलाओं, पुरुषों सहित बच्चों ने स्नान उपरांत सूर्यदेव को अघ्र्य दिया तथा रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया।

महाशिवरात्रि पर इस पुण्य स्नान का काफी महत्व माना जाता है, इसलिए लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान कर दीपदान किया। स्नान के बाद दीपदान करने की परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है। इस परंपरा का पालन आज भी श्रद्धालुओं को करते देखा गया है। नदी की धार में दोने में रखे दीपक की लौ किसी जुगनू की भांति चमकती नजर आई। कई महिलाओं ने रेत का शिवलिंग बना कर बेल पत्ता, धतूरा के फूल चढ़ाकर आरती भी की।

इसके बाद श्रद्धालुओं की लम्बी लाइन श्री कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर और श्री राजीव लोचन मंदिर, बाबा गरीब नाथ की ओर लग गई। त्रिवेणी संगम बीच स्थित भगवान श्री कुलेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर से आधा किलोमीटर तक दिखाई दी, जो धीरे-धीरे बढ़ते चली गई।

रास्ते भर हर-हर महादेव और जय श्रीराम के गगनभेदी जयघोष लगाते श्रद्धालुओं ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया है। इस दौरान कई श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से धार्मिक अनुष्ठान भी किए। कई स्थानों पर भंडारों का आयोजन हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

महाशिवरात्रि पर संगम स्नान का है खास महत्व

वैसे तो पर्व व त्यौहार में स्नान का अपना अलग महत्व होता है, लेकिन महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में स्नान करने का खास कारण है। बताया जाता है कि महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की प्रार्थना की जाए, तो मां पार्वती और भोलेनाथ सीधे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान शंकर के शरीर पर श्मशान के भस्म गले में सांपों की हार कंठ में विष जटाओं में पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकारी ज्वाला उनकी पहचान है।

माना जाता है कि महानदी, सोंढूर, पैरी के संगम में स्नान करने से तन पवित्र तो होते हंै, बल्कि मन की मलिनता दूर हो जाती है। इस दिन संगम की सूखी रेत पर सूखा लहरा लेने का भी परंपरा है। विश्वास है कि भोलेनाथ अन्य वेश धारण कर मेले का भ्रमण करते हंै।


अन्य पोस्ट