गरियाबंद

ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर उससे अमृत प्राप्त करना ही कुंभ है - भिक्षु भंते बुद्धघोष बौद्धि
25-Feb-2025 3:07 PM
ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर उससे अमृत प्राप्त करना ही कुंभ है - भिक्षु भंते बुद्धघोष बौद्धि

राजिम। राजिम कुंभ कल्प में पहली बार आये बौद्ध पंथ के भिक्षु भंते बुद्धघोष बौद्धि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संतों का समागम ही असली कुंभ हैं, जहां पर संत चर्चा के दौरान अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करते है।

बौद्ध दर्शन के अनुसार व्यक्ति के कल्याण के लिए ऐसे कार्य करने चाहिए। जिससे उसे उसके दुखों से छुटकारा मिल सके। हमें ब्रह्म स्नान से ज्यादा आंतरिक स्नान की जरूरत है। जिससे हमारा चित्त ईश्वर की प्राप्ति की ओर आगे बढे। राजा हर्षवर्धन के समय से संतो के कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे संत जन कल्याण के लिए अपनी जान चर्चा के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का काम किया करते थे। जो भी धर्म गुरु है उनका एक जगह पर एकत्र होकर धर्म चर्चा करना ही कुंभ है। 

कुंभ का मतलब संतों के ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर उससे अमृत प्राप्त करना है। जिससे व्यक्ति को आत्म ज्ञान प्राप्त हो और वो बुध्द की मार्ग पर आगे बढते हुए अपना कल्याण करे। भंते बुद्धघोष बौध्दि ने बताया कि वे पिछले बीस सालो से बौध्द भिक्षुक है और बुद्ध के सिद्धांत और उनका दर्शन लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हंै।


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