गरियाबंद

108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ : दूसरे दिन यज्ञ कुंडों में शाकल्य अर्पण के साथ अग्नि प्रज्वलित
05-Jan-2025 7:18 PM
108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ : दूसरे दिन यज्ञ कुंडों में शाकल्य अर्पण के साथ अग्नि प्रज्वलित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 5 जनवरी। अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ गरियाबंद की ओर से 3 से 6 जनवरी तक गरियाबंद के हृदय स्थल गांधी मैदान में राष्ट्र जागरण के लिए आयोजित हो रहे विराट 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को सुबह 9 बजे से ही यज्ञ कुंडों में शाकल्य अर्पण के साथ ही अग्नि प्रज्वलित की गई और ज्यों ही आहुतियों का क्रम प्रारंभ हुआ। स्वाहा स्वाहा की सामूहिक ध्वनि से सारा यज्ञ पंडाल गूंज उठा। महा गायत्री मंत्र सूर्य देव एवं महामृत्युंजय मंत्र की आहुतियों का क्रम कई पारियों में चला ।

 इससे पूर्व हरिद्वार शांतिकुंज से आई टोली ने देव मंच से सभी देवी-देवताओं एवं ऋषि-महर्षियों का आह्वान किया , वेद मंत्रों के साथ यज्ञ प्रक्रिया को दीक्षित करने के क्रम में सबसे पहले यज्ञ मंडप के अग्नि कोण, नेरित्य कोण, वायु कोण, ईशान कोण तथा आकाश तत्व का पूजन संपन्न हुआ।

मंडप के चारों और स्थापित तत्व वेदियों का भी साधकों द्वारा जोड़े के साथ विधिविधान से पूजन करवाया गया। साथ ही पंचतत्व की पूजा विधि भी संपन्न हुई। सप्तर्षियों में महर्षि गौतम, महर्षि स्रभारद्वाज, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि कश्यप, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वशिष्ठ एवं महर्षि अत्रि का आह्वान हुआ। इसके बाद 33 कोटि देवी-देवताओं का मंत्रोच्चार करते हुए साधकों से वेद मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना करवाई।

माता अरुंधति, माता गौरी, माता गायत्री, माता सरस्वती, माता लक्ष्मी, माता दुर्गा एवं माता धरती का भी पूर्ण विधिविधान से पूजन किया गया। ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र के साथ ही वायु, इंद्र, कुबेर, अश्विन कुमार, सूर्यदेव के साथ ही नव ग्रहों को यज्ञ मंडप में स्थापित किया गया।

शांतिकुंज हरिद्वार से अपनी टोली के साथ यहां आए गायत्री परिवार के ऋषिपुत्र मुख्य वक्ता जितेंद्र मिश्रा जी ने गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन हवन यज्ञ कराया। इससे पूर्व उन्होंने कहा कि हवन से लोगों के तन और मन तो साफ होते ही हैं, वातावरण भी स्वच्छ होता है।

 यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियों से देवता प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि मुसीबतों से घिरा मानव मानसिक तनाव में आ जाता है। यज्ञ की हर आहुति विश्व की समस्यएं नष्ट करने के लिए डाली जाती हैं।

यज्ञ की दोनों पालियों में हजारों लोगों ने आहुतियां डालीं।

 भूतेश्वर नाथ रोड गौरव पथ में सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन भंडारा की व्यस्था रखा गया है , सुबह से शुरू हुआ भंडारा में हलवा के साथ भरपेट भोजन देर रात तक चलता रहा। 

महायज्ञ में लगे सभी कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं,  महायज्ञ में शामिल होने  बाहर से आए लगभग 8 हजार श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी की गई है।

 हरिद्वार से पधारे ऋषिपुत्र वक्ता जितेंद्र मिश्रा ने दूसरे पहर शाम 5 बजे  के प्रवचन बताया कि  गायत्री मंत्र हमारी सोई हुई भावना एवं देवत्व को जगाने का काम करता है। जीवन की परेशानियों से व्याकुल लोगों को यज्ञ से शांति मिलती है। दूसरों के दुखों को हरना भारत की परंपरा रही है। तेजस्वी व्यक्ति दीपक की भांति जहां बैठ जाता है, वहीं से अपना प्रकाश फैलाने लगता है।  जिस स्थान पर गुणों का अनुभव हो, वही स्थान हमारे जीवन में देवत्व लाता है।


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