गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 19 दिसंबर। आज भारत के सभी गांव कस्बे गलियों में परमात्मा को याद किया जाता है। हम सभी की पहचान शरीर की रीति से नहीं बल्कि आत्मा की रीति से है और हमारा परमपिता परमात्मा भी एक है। वहीं परमात्मा सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान समर्थ सर्वेश्वर है।
परमात्मा शिव को सभी धर्म वाले अपने-अपने रीति से याद करते हैं। वहीं गीता में अपने वायदे के मुताबिक धर्म ग्लानि के समय आकर पुन: देवी धर्म की स्थापना का कार्य कर रहे हैं जिसकी फिर भक्ति मार्ग में रिपीटेशन, यादगार होगी। भगवान को देखना है तो मोह ममता खत्म करना होगी तभी आत्मा परमात्मा से मंगल में मिलन बन सकती है। गीता के सातवें अध्याय में बताया कि जो जिस रूप में जिस भाव से याद करता उसके भावना के कारण उसे वैसी हीप्राप्ति करा देता हूं। कोई हनुमान, राम ,दुर्गा ,संतोषी को याद करता है तो उसी का साक्षात्कार में करा ता हूं, अर्थात वह परमात्मा नहीं है लेकिन स्वयं भगवान भक्तों की मनोकामना पूर्ण करके उनको ऐसी प्राप्ति कर देता है। आज संसार में भिन्न-भिन्न मान्यता है लेकिन सर्व धर्म मान्य है कि परमात्मा पिता एक है। गोपेश्वर में भी श्री कृष्ण ने शिवजी की पूजा की राम ने भी रामेश्वर में शिव को याद किया क्राइस्ट ने कहा कि मैं भगवान का मैसेंजर हूं। जैनी लोग दीपावली पर्व पर महावीर भगवान का निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। चारों धाम में परमात्मा शिव को बिठाया गया।
निराकार को ध्यान करने के लिए किसी भी देश में पाबंदी नहीं है। लेकिन आज हम देह जनित होने के कारण हम अलग-अलग धर्म में पंथ्यों में बुद्धि उलझ गई है। जिसके कारण परमात्मा से दूरी हो गई है। गीता में भी यह बात आती है कि देह सहित देह के सब धर्म को छोड़ एक मेरी शरण में आजा अर्थात अपने को आत्मा समझ मुझ निराकार परमात्मा की शरण में आजा तो मैं तुझे सर्वपापों से मुक्त कर दूंगा ।आज हम देह के धर्म में लिप्त होने के कारण पापों का बोझ बढ़ता जा रहा है जिसके कारण परमात्मा मिलन की सुख का अनुभव नहीं कर पा रहे हैं ।अब समय है ,अपनी विवेक को जगाने का अपने को स्वयं को जगाने का।