गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 24 नवंबर। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत समाज कल्याण विभाग, शांति मैत्री ग्रामीण विकास संस्थान एवं नशा मुक्ति केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में शासकीय माध्यमिक विद्यालय सढोली गरियाबंद में आयोजित किया गया किया गया।
नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम के अन्तर्गत गोष्ठी का आयोजन शासकीय माध्यमिक विद्यालय सढोली गरियाबंद में आयोजित किया गया किया गया। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत समाज कल्याण विभाग, शांति मैत्री ग्रामीण विकास संस्थान एवं नशा मुक्ति केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में चलाया जा रहा है। जिनका महत्वपूर्ण उद्देश्य ग्रामीण सामाजिक परिवेश में मादक पदार्थ एवं नशीली पदार्थो से दूर रहने के मुद्दे की ओर लोगों की जागरूकता और समझ को बढ़ाना है। समाज में नशेड़ी व्यक्तियों के लिए उनके स्वास्थ्य, सेहत, शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा पर ध्यान केन्द्रित करना है।
इस मौके पर अपने विचार रखते हुए खेमचंद जंजीर ने बताया कि नशा मुक्ति केन्द्र में नशा पीडि़त व्यक्तियों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा के साथ मनोवैज्ञानिक तरीके से मेडिटेशन एवं व्यायाम के साथ साथ नशा पीडि़त व्यक्तियों का ईलाज प्राकृतिक एवं आध्यामिक प्रक्रिया के तहत काउसलिंग एवं साइकोलॉजी कक्षाओं के बिना भेदभाव के ईलाज किया जा रहा है। उदय कुमार साहू ने कहा कि नशा से व्यक्तियों को बहुत सारे सामाजिक, मानसिक, पारिवारिक एवं आर्थिक तकलीफों से गुजरना पड़ता है। नशा करने वाले व्यक्ति का पतन होता जाता है क्योंकि नशा नाश की जड़ होती है, हमें हमारे सभ्य समाज की स्थापना करने के लिए नशा मुक्ति समाज की कल्पना को साकार करने की आवश्यकता है।
शांति मैत्री ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा आयोजित नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक डी पी ठाकुर , शांति मैत्री ग्रामीण विकास संस्थान के सचिव उदय गंगोई, खेमचंद जंजीर,नशा मुक्ति केंद्र गरियाबंद प्रबंधक खिलेस गायकवाड , सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मीरानी ,अशोक नेताम, वाडबॉय डेविड सोम शासकीय माध्यमिक विद्यालय सडोली के प्राचार्य रेखा शुक्ला , शिवेश शुक्ला सभी स्टाप की उपस्थिति प्रमुख रूप से रही।
नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक डी.पी.ठाकुर कहा कि नशा से नुकसान ही होता है। स्वास्थ्यगत समस्याएं जैसे लीवर, किडनी, फेफडों का डेमेज होना, फोकस एण्ड कंसन्टेशन लॉस, माइण्ड डिसआर्डर एवं डिप्रेशन, सॉइकोसिस यानी भ्रम की बीमारी, पैनिक अटैक का होना, दुर्घटना, आत्महत्या करने की खतरा आदि के साथ समाज में अपराधों में बढ़ोत्तरी देखा जा रहा है। इसके रोकथाम के लिए समाज में नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।