गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 25 मई। गायत्री परिवार युग तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशानुसार हर वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के दिन गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ का आयोजन 23 मई को सुबह 9 से 12 बजे तक लाखों घरों में किया गया। यह यज्ञ घर के बच्चों में संस्कार डालने और परिवारिक सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। विश्व की प्रथम व श्रेष्ठतम संस्कृति के माता-पिता गायत्री और यज्ञ हैं।
गुरुवार को गृहे-गृहे यज्ञ का आयोजन नवापारा राजिम सहित क्षेत्र के कई घरों में संपन्न हुआ। युवा प्रकोष्ठ जिला गरियाबंद के संरक्षक संतोष कुमार साहू ने बताया कि जिस घर में यज्ञ होता है वहां भगवान का बसेरा होता है। हर व्यक्ति को अपने जीवन में यज्ञ को अपनाना चाहिए। यज्ञ होगा तो वर्षा होगी, वर्षा होगी तो सब जीव जंतु दिखाई देंगे, और प्रकृति वातावरण शुद्ध होता है। यज्ञ में जब हम औषधि डालते हैं तो उससे ऑक्सीजन निकलता है। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी के कारण ही लोग मर रहे थे इसीलिए घर-घर यज्ञ करने कहा गया था। यज्ञ सनातन धर्म का अंग है। इसीलिए यज्ञ करना चाहिए।
इकाई प्रमुख रामकुमार साहू ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ राजिम में प्रतिदिन यज्ञ होता है साथ ही विभिन्न संस्कार नि:शुल्क कराया जाता है। जिनको पुंसवन संस्कार, विद्यारंभ, जन्मदिवस, विवाह दिवस संस्कार कराना हो वे सुबह 7.30 बजे गायत्री मंदिर जरूर पहुंचे। यज्ञ का शाब्दिक अर्थ त्याग, परोपकार, दान, देवपूजन एवं संगतिकरण होता है। लेन-देन का यज्ञीय चक्र सारे संसार में प्रकृति में चलता दिखाई देता है। इसी कारण वेदों ने यज्ञ को भुवन की नाभि माना गया है। युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं.राम शर्मा आचार्य व स्नेह सलिला वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा ने अपने विचार क्रान्ति अभियान में यज्ञ को लोकशिक्षण का आधार बनाया है।
वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी हेतु प्रारम्भ होने वाले 9 वर्षीय नवसृजन महापुरश्चरण के अंतर्गत गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान मुख्य आधार बनेगा। एक दिन एक साथ एक कालोनी अथवा ग्राम में 11, 24, 51, व 108 घरों में गायत्री यज्ञ का आयोजन इन दिनों छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में प्रारम्भ हुआ हैं।