गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 25 मई। कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल के ममता बनर्जी सरकार द्वारा गैर संवैधानिक रूप से ओबीसी वर्ग में जोड़े गए मुस्लिम जातियों को अवैध करार देते हुए वर्ष 2011 के बाद के बने लाखों ओबीसी जाति प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया। जैसे ही कोलकाता हाईकोर्ट का यह निर्णय आया देश की राजनीति उबलने लगी और भाजपा के अधिकांश नेता इसे ममता बनर्जी सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर कोर्ट का प्रहार बताने लगे।
राजिम विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक रोहित साहू ने भी इसे ओबीसी वर्ग के लिए न्याय बताते हुए ममता बनर्जी द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णय की आलोचना की और कोर्ट के निर्णय को तुष्टिकरण की नीति पर जोरदार प्रहार बताया।
कोर्ट ने साफ कहा है कि बंगाल सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा को दरकिनार किया और आरक्षण के लिए अनुशंसित 42 जातियों में से 41 जाति मुस्लिम धर्म के जोड़ दिए जो मूल ओबीसी वर्ग के लिए कुठाराघात है और आरक्षण देने की कवायद सिर्फ एक धर्म विशेष को लाभान्वित करने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी तुष्टिकरण कि नहीं बल्कि संतुष्टिकरण की नीति पर कार्य करती है जिसका ध्येय वाक्य सबका साथ, सबका विकास है।