गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 19 नवंबर। पूर्वांचलवासियों का प्रमुख महापर्व छठ पूजा नहाय- खाय 17 नवंबर से शुरू हो चुका है। पूर्वांचलवासी अत्यंत आस्था और परंपरा के साथ यह पर्व मनाते है। नगर के 2 घाटों पर इस आयोजन को करने के लिए नगर पालिका द्वारा साफ-सफाई कराई गई है। रविवार 19 की शाम अस्त होते सूर्य को घाटों पर प्रथम अघ्र्य दिया जाएगा। छठ पूजा का पहला दिन नहाय- खाय 17 नवंबर को था। दूसरे दिन खरना खीर का प्रसाद 18 नवंबर दिन शनिवार को मनाया गय। छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अघ्र्य 19 नवंबर रविवार एवं छठ पूजा का चौथा दिन उगते सूर्य को अघ्र्य 20 नवंबर दिन सोमवार को दिया जाएग। छठ पूजा न केवल उत्तर भारत में बल्कि देश के कई राज्यों में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं। इसे साल के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है।
समाज कि महिलाओं बसंती, शैल देवी विश्वकर्मा, रेखा, हेमलता विश्वकर्मा ने बताया कि छठ पूजा का ये व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। छठ मैया का पिंड बनाकर दौरा रखते है, और छठ माता की पूजा करते है साथ ही प्रत्यक्ष सूर्य देव की पूजा करते है।
नवापारा में छठ पूजा की शुरुवात 1967 से
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ मैया सूर्य देव की बहन और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है नयापारा और राजिम के मध्य प्रवाहित त्रिवेणी संगम के तट पर नवापारा नगर में इसकी तैयारी जोरों शोरो पर शुरू हो गयी है। छठ घाट (नेहरू घाट और नवापारा एनीकेट के पास) की साफ सफाई शुरू हो गयी है। छठ पूजा 2 जगहों पर मनाई जाएगी। इस पूजा में शामिल होने नगर सहित अंचल के आस पास के तर्री, शीतलापारा, पारागाँव हनुमान एग्रो एवं राजिम से समाज के लोग शामिल होते है।
बढ़ई समाज के युवा अध्यक्ष राकेश विश्वकर्मा ने बताया कि यहाँ नवापारा में छठ पूजा की शुरुवात 1967 मे वृंदावन विश्वकर्मा और उनकी पत्नी लक्ष्मी विश्वकर्मा द्वारा नवापारा नगर के नेहरू घाट में शुरू किया गया था, जो आज पर्यंत तक चल रही है। बढ़ई विश्वकर्मा समाज के रतन लाल विश्वकर्मा, मदन लाल विश्वकर्मा, संजय विश्वकर्मा, अभय शर्मा (बबलू), आशीष शर्मा, रामचंद शर्मा, श्यामकिशोर शर्मा सहित नगर के गणमान्य नागरिक एवं धर्मप्रेमी छठ पूजा में नेहरू घाट में उपस्थित रहेंगे।