गरियाबंद
.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 20 अक्टूबर। गुजराती समाज द्वारा आयोजित रास गरबा नगर में धूमधाम से राजू भाई परिसर में मनाया जा रहा है। नवरात्र के पंचमी में बड़ी संख्या में समाज के लोग गरबा में शामिल हुए। विशेष पारम्परिक ड्रेसेज में महिला पुरुष गरबा के ताल से ताल मिलाया जो बेहद आकर्षक व मनमोहक लोगों ने सराहा, नगर के गुजराती समाज द्वारा अपनी पारम्परिक गुजराती गीतों के साथ मां अम्बे की विशेष पूजा अर्चना कर प्रति दिन रात्रि में रास गरबा व डांडिया का आयोजन किया जा रहा है।
समाज 53 वर्षों से मनाया जा रहा गरबा
गुजराती समाज के सारंक्षक हरीश भाई व भरत भाई ने बतलाया गुजराती समाज के द्वारा विगत 53 वर्षों से नवरात्रि के दौरान गरबा खेलने का इतिहास है। अमर सिंह टाक अमृत लाल मयानी हक्कू भाई बखरिया और डॉ. ठक्कर ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी जो आज भी बदस्तूर जारी है नवरात्रि के मौके पर देवी मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। गरबा, डांडिया और नृत्य हर्ष और उल्लास को मनाने के तरीके हैं जिससे लोग त्योहार के दौरान अपनी ख़ुशी को जाहिर करते हैं। इसके अलावा पुरानी मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिन मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त रात भर जागरण, गरबा और नृत्य करते हैं क्योंकि नृत्य साधना करने का एक तरीका है।
भावना बेन ने बतलाया पूरा समाज एक होकर गरबा करने यहाँ आते है महिलाए बच्चे बुजुर्ग नवरात्रि में पूरे नव दिन हमारा पूरा समाज शारदीय नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में भक्त जप-तप करते हैं। मान्यता है आरती के बिना ही माता रानी की पूजा पूरी मानी जाती है। हमारा समाज एक परिवार है माँ अम्बे की आरती कर पूरा समाज एक होकर गरबा खेलते है।