गरियाबंद
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 12 फरवरी। पिछले 6 दिनों से राजिम माघी पुन्नी मेला में आंसिक भीड़ देखी जा रही थी, लेकिन शनिवार रविवार को एकमुस्त बढ़ गई। वैसे भी शनिवार को हाप डे और रविवार को छुट्टी होता है। दूसरी ओर भगवान राजीवलोचन मंदिर परिसर के गार्डन पर 150 जोड़े का सामूहिक विवाह हुआ। सभी के परिजन उपस्थित हुए तथा संडे के मद्देनजर एक दिन पहले लोगों का मेले में आना शुरू हो गया। संगम नदी में बड़ी भीड़ रही। स्कूली बच्चे, शासकीय कर्मचारी, अधिकारी, महिलाएँ, पुरूष अपनी-अपनी सुविधानुसार मेले में पहुंचे थे। वर्तमान में आवागमन के साधन होने के कारण अधिकतर लोग बाईक तथा चार पहिया वाहनों से सुबह या फिर दोपहर तक आते है और शाम रात तक घरों को लौट जाते है। बता देना जरूरी है कि आज से पाँच दशक पहले लोग मेला देखने बैलगाड़ी से आते थे। पांच दिन तक रूकते थे। मेले का पुरा मजा लुटने के बाद ही वापस जाते थे। वह राशन की पूरी सामाग्री तथा बैल को खिलाने के लिए चारे की व्यवस्था करते थे। उस समय मीना बाजार के अलावा संगम में मंदिर दर्शन करते। पुण्य स्नान तथा पंडवानी का आनंद लेते और सिनेमा सर्कस आकर्षण का केन्द्र होता था। समय के साथ-साथ मेले की पुरी व्यवस्थाएँ बदल गई। सन् 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना और माघी पुन्नी मेला में सरकारी खर्चे पर महोत्सव का आयोजन होने लगा। प्रदेश के लोक कलाकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर फोकस करते रहे और आज वृहद रूप ले लिया है।
राजीवलोचन मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु
भगवान विष्णु का राजीवलोचन मंदिर में शनिवार को श्रद्धालुओं की ठसाठस भीड़ रही। हाथ में नारियल, अगरबत्ती, फूल इत्यादि पूजन सामाग्री लेकर देव दर्शन करते रहे। इस बार दक्षिण की ओर स्थित द्वार से प्रवेश हो रहें है। महामंडप को फूलों से आकर्षक लुक दिया गया है। मंदिर के चारो कोण में स्थित चारो धाम, जगन्नाथ मंदिर, दानदानेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर, राजिम भक्तिन माता मंदिर, भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, पंचेश्वरनाथ महादेव मंदिर, बाबा गरीबनाथ, बाबा सोमेश्वरनाथ मंदिर, संत कवि पवन दीवान आश्रम में पार्श्वनाथ भगवान मंदिर तथा संगम के मध्य में स्थित विश्व प्रसिद्ध कुलेश्वरनाथ मंदिर में दर्शन के लिए खम्भे गडाकर नदी की रेत में बेरिकेट्स लगाये है। लोमशऋषि आश्रम में चल रहे प्रवचन तथा यज्ञ में लोगों ने भाग लिया।
प्रदर्शनी पर लोगों ने बिताएँ घंटो समय
माघी पुन्नी मेला में विभिन्न विभाग के अलग-अलग प्रदर्शनी लगाएँ गये हैं। तीन जिला गरियाबंद, रायपुर एवं धमतरी को मिलाकर पचासो मंडप है। यहाँ के एक-एक वस्तुएँ लोगों के लिए आकर्शन का केन्द्र बने हुए है। गरियाबंद के जनसंपर्क विभाग के द्वारा प्रश्नोत्तरीय कार्यक्रमों में कई लोगों ने हिस्सा लिया। माटी कला बोर्ड, पर्यटन विभाग, आदिवासी विभाग, शिक्षा विभाग आदि है। मेले में नि:शुल्क भोजन के अलावा महिला समुह के द्वारा दाल-भात सेंटर भी खोले गये है।
राम वाटिका एवं मंदिर के गार्डन बना सेल्फी जोन
राम वनगमन परिपथ के अंतर्गत राम वाटिका का आकर्षण बना हुआ है। 21 फिट ऊँची प्रतिमा बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। राजीवलोचन मंदिर के सामने गार्डन पर श्रद्धालु थकहार कर पहुंच रहे है। परिवार सहित सुस्ता रहे थे। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा एल.ए.डी. की व्यवस्था की गई है जिससे मुख्य महोत्सव मंच के सारे कार्यक्रम का आनंद लिया जा रहा है। यह दोनों जगह आघोषित सेल्फी जोन बन गया है।
मीना बाजार के झूला रहा गुलजार
मीना बाजार में विभिन्न प्रकार के झूला तैयार किये गये है। झूला झूलने के लिए ग्रामीण व शहरी अंचल से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हुए है। भेल, मिर्ची भजीया, समोसा, आलू पकोडा आदि सौंख से खा रहे है। क्राप्ट बाजार का अपना अलग जलवा रहा। पूरा मेला क्षेत्र मेलार्थियों से गुलजार रहा।