गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 9 फरवरी। माघी पुन्नी मेला के तीसरे दिन मुख्य महोत्सव मंच पर रायपुर से फुलवारी लोककला मंच के बैनर तले कार्यक्रम देने पहुंची लोक गायिका अल्का परगनिहा ने कहा कि मैं हिट पर ध्यान देने के बजाय फिट पर जोर लगाती हूं। अच्छी प्रस्तुति देने पर लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। सन् 2000 में चमके रे बिंदिया मेरा पहला एलबम आया था। टाइटल सांग रागशिवरंजनी पर था। इन्हें बहुत ज्यादा लोगों ने सुना। आज भी मंचों में जब मै इन्हें प्रस्तुत करती हूं एक तरह से जलवा दिखाई देती है। इनका क्रेज बरकरार है।
अल्का ने आगे कहा कि मेरे आने से लोकगीत का पैटर्न बदला है। गायिकी में शास्त्रीय पध्दति को शामिल किया गया हैं। उसकी वजह से नयी पीढ़ी ने उन्हें आत्मसात किया। छत्तीसगढ़ी संगीत में सुर सरार का काम किया। जिसे लोंगो ने बहुत पसंद किया। मुंदरी रे मुंदरी..., डारी रे डारी..., मेरे गुरू डॉ. रामनारायण धु्रव ने लिखा हैं। संगीत और आनंद एक दुसरे का पर्याय हैं। जब आदमी आनंदित होता है तब उत्साह दिखता हैं। रिदम अंतर्मन को चोट करता है और आदमी झूम उठता हैं।
उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ी में नवधा रामायण को लाने का पहला प्रयास किया गया है। छत्तीसगढ़ी भाषा यहां के रग-रग में बसा हुआ हैं बच्चा-बच्चा इनके मुरीद हो गये थे। एक प्रश्न के जवाब में अल्का परगनिहा ने बताया कि मंचों में जाने से पहले प्रेक्टिस करना मेरे लिए लागू नहीं होता है क्योंकि जो हम पूर्व में किये रहते है उसी मोड़ पर जाते रहते है। जबकि मैं सीधे-सीधे पब्लिक का रिस्पांस देखती हूं और उसी समय गानों को त्वरित बदल देती हूं। मेरे सभी संगीत पक्ष के कलाकार सुन-सुनकर सीखें है। दर्शको की पसंद मायने रखती हैं। छत्तीसगढ़ के अलावा हिमांचल प्रदेश, गोवा, उड़ीसा, नागपुर महाराष्ट्र तथा शीघ्र जमशेदपुर में हमारा कार्यक्रम होना है। वहां 5 लाख छत्तीसगढिय़ा रहते है। विदेशों में भी प्रस्तुति देने का अवसर मिलने वाला है। मीठ-मीठ लागे.... फिल्म हंस झन पगली यह रस्म को लेकर बनी हुई है इनकी समीक्षा हुई। दुबई, अरब देश, पाकिस्तान इत्यादि सात समन्दर पार छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति लगातार पहुंच रही है। यू-ट्यूब में कमेंट्स आते रहते है कोई बड़े सम्मान के प्रश्न पर कहा कि कलाकारों को ओहदा मिलना चाहिए। सम्मान या पुरस्कार उत्साह को बढ़ाते है।
नये कलाकारों के मार्गदर्शन के लिए कुम्हारी में नया स्टूडियों संचालित कर रहें है। 91. किसान एफ. एम. लांच किया गया है जो छत्तीसगढ़ी भाषा में है। नये कलाकारों को आगे बढऩे के लिए खुब मेहनत करने की बात करते हुए कहा कि जल्दी प्रसिध्दि के चक्कर में अभद्रता व गंदे गीत बिल्कुल न परोसे। सफलता के लिए श्रम जरूरी है। कर्म करें समय आने पर फल जरूर मिलेगा। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद थे।