संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : तकरीबन तमाम सरहद बागी, ऐसे में भारत की हिफाजत आखिर कैसे?
सुनील कुमार ने लिखा है
07-Dec-2025 3:07 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : तकरीबन तमाम सरहद बागी, ऐसे में भारत की हिफाजत आखिर कैसे?

बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमान के बारे में कल यह खबर थी कि किस तरह वहां के घरेलू मामलों में उनका दखल बढ़ते चल रहा है। वे बांग्लादेश के बाहर भी दूसरे देशों के साथ रिश्तों में दखल रखने लगे हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के बाद से वहां एक बहुत ही अस्थिर और नाजुक अंतरिम सरकार काम कर रही है जिसने आने वाले महीनों में चुनाव का वायदा किया है। लेकिन वहां की जमीनी हकीकत यह भी बताती है कि मुस्लिम कट्टरपंथी ताकतें वहां सिर उठा चुकी हैं, और अधिक से अधिक ताकतवर होती चल रही हैं। ऐसे में भारत में शेख हसीना को न केवल राजनीतिक शरण दे रखी है, बल्कि बांग्लादेश के मांगने पर उन्हें वहां भेजने से इंकार भी कर दिया है। बांग्लादेश की अदालती कार्रवाई उन्हें मौत की सजा सुना चुकी है, और उन्हें भारत में बनाए रखकर भारत सरकार बांग्लादेश के साथ एक तनातनी की नौबत में भी उलझी हुई है। ठीक इसी वक्त पाकिस्तान में संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी से सरकार ने ऐसे नए और बिल्कुल ही असाधारण कानून बनाए हैं जो वहां के मिलिटरी चीफ असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने के साथ-साथ उन्हें किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से ऊपर भी कर चुके हैं। वे अपने किसी भी काम के लिए कानून के प्रति जवाबदेह नहीं रह गए हैं, और 2030 तक उनका कार्यकाल भी तय कर दिया गया है। इस तरह वे पाकिस्तान के इतिहास में संवैधानिक रूप से सबसे अधिकत ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं जिनके अकेले के हाथ में वहां के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का सारा फैसला छोड़ दिया गया है। वे दुनिया के अकेले ऐसे फौजी अफसर हैं जो देश की किसी भी निर्वाचित ताकत से परे अकेले ही परमाणु हथियार और हमले पर फैसला ले सकते हैं। इसके साथ-साथ यह भी देखना जरूरी है कि किस तरह असीम मुनीर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के सबसे चहेते पाकिस्तानी हैं जिन्हें वे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से ऊपर महत्व देते हैं। यह भी देखने की जरूरत है कि किस तरह असीम मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ एक मिलिटरी समझौता किया है जिसमें ये दोनों देश एक-दूसरे पर हमले को अपने पर हमला मानेंगे, और एक साथ मिलकर निपटेंगे। अपने आपमें कंगालहाल बना हुआ पाकिस्तान आज सऊदी अरब की बेहिसाब दौलत के साथ जैसी बेकाबू फौजी ताकत बन सकता है, वह भारत के पड़ोस की शक्ल में एक खतरा है।

लगे हाथों यह भी देखने की जरूरत है कि चीन परंपरागत रूप से भारत का फौजी दुश्मन रहते आया है, और भारत की जंग की तैयारी में चीन को कभी अनदेखा नहीं किया जा सकता। साथ-साथ अभी भारत की सरहद से लगा हुआ म्यांमार भी है जो कि एक बहुत ही भयानक खूंखार फौजी हुकूमत के तहत चल रहा है, और उसके रिश्ते चीन से अच्छे हैं, भारत से नहीं। जब हम भारत के नक्शे को देखते हैं तो इसकी 15 हजार किलोमीटर की जमीनी सरहदों में से इन चार देशों की सरहद ही 83 फीसदी बनती है। बांग्लादेश के साथ भारत 4 हजार किलोमीटर से अधिक सीमा रखता है, चीन के साथ 35 सौ किलोमीटर, पाकिस्तान के साथ 33 सौ किलोमीटर, और म्यांमार के साथ 16 सौ किलोमीटर से अधिक की जमीनी सरहद भारत की है। मतलब यह कि भारत आज मैदानी इलाकों में 83 फीसदी सरहद अपने खिलाफ खड़ी ताकतों के साथ रखता है। इनमें बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच पिछले साल भर से अधिक में एक बिल्कुल ही अविश्वसनीय सा तालमेल विकसित हो गया है, और दोनों तरफ फौजी मुखिया भी काबू में हैं। चीन का हाथ इन दोनों ही देशों पर है। इन तीनों ही देशों की बड़ी फौजी हसरतें हैं, और भारत के साथ चीन और पाकिस्तान की जंग का इतिहास बड़ा लंबा है।

पिछली पौन सदी का भारत का सरहदी इतिहास देखें, तो चीन और पाकिस्तान के साथ जंग के दिनों के अलावा इतना अधिक तनाव, और इतना अधिक खतरा शायद कभी नहीं रहा। फिर 1971 में जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को तोडक़र बांग्लादेश अलग बनवा दिया, तब तक भारत-पाकिस्तान के दो हिस्सों से घिरा हुआ था, लेकिन बांग्लादेश की ताजा क्रांति (या बगावत?) के पहले तक भारत के बांग्लादेश से रिश्ते अच्छे थे। अब ये रिश्ते तकरीबन उतने ही खराब हैं जितने कि पाकिस्तान के साथ हैं। यह नौबत भारत की फौजी तैयारियों के लिए बहुत ही तनावपूर्ण हैं। चार सरहदी देशों में लोकतंत्र का नामोनिशान न हों, फौज की ताकत हो, या चीन जैसी अलोकतांत्रिक सरकार के हाथ असीमित परमाणु ताकत हो, तो इनसे घिरा हुआ देश कितने चैन से सो सकता है? आज भी इन सरहदी इलाकों में हर तरफ से वहां के लोगों की अवैध घुसपैठ, भारतीय सरहद के भीतर चीनी अवैध कब्जे, म्यांमार से हथियार और नशे की तस्करी, चारों तरफ से आतंकियों की आवाजाही, सरहद के नक्शों को लेकर इन सभी से टकराव, यह सब बहुत फिक्र की नौबत है।

आज दुनिया के तमाम देशों के सामने एक नया तनाव भी खड़ा हो गया है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग ने एक नई फौजी सच्चाई सामने रख दी है कि अब जंग परंपरागत हथियारों और तौर-तरीकों से परे लड़ी जा रही है जिसमें बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। भारत के इर्द-गिर्द के बागी तेवरों वाले इन देशों में चीनी फौजी ताकत, और सऊदी संपन्नता की वजह से कब ड्रोन की कितनी तैयारी भारत के खिलाफ हो जाएगी, इसका अंदाज लगाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। आज तो चीन अमरीका के साथ टैरिफ और दूसरे किस्म की जंग में उलझा हुआ है, इसलिए वह भारत के साथ तिरछा नहीं चल रहा है, लेकिन यह नौबत कब बदल जाएगी, इसका कोई ठिकाना नहीं है। वैसे भी किसी देश की फौजी तैयारी उसके आज के रिश्तों पर नहीं टिकी रहती, बल्कि दस-बीस बरस दूर तक की सोचकर ही चलती है, और भारत इन दस-बीस बरसों में भी पड़ोसियों के इस तनाव से उबर सकेगा यह सोचना कुछ मुश्किल है।

हमने सिर्फ आज के हालात यहां पर रखे हैं, हमारी कोई फौजी समझ नहीं है, लेकिन सरकार की तैयारियां किस तरह कमजोर हो सकती हैं, यह हमने नोटबंदी के समय भी देखा, कोरोना लॉकडाउन के समय भी देखा, और एक एयरलाइंस, इंडिगो के गैरजिम्मेदार होने पर भी देख लिया है। इसलिए देश के आम लोगों को भी सरहद के खतरों के बारे में जानकार और जागरूक रहना चाहिए क्योंकि जनता की जागरूकता ही सरकार को चौकन्ना रख सकती है। बिना तैयारी के कोई देश चाहे कितनी ही मजबूत आंतरिक सुरक्षा क्यों न रखे, वह अपनी 83 फीसदी मैदानी सरहद के बागी तेवर झेलते हुए सुरक्षित नहीं रह सकता।   

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