संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : यूपी में हिन्दू-मुस्लिम दंगे फैलाने हिन्दू महासभा नेता ने काटी गाय, और फंसाया..
09-Apr-2023 4:14 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : यूपी में हिन्दू-मुस्लिम दंगे  फैलाने हिन्दू महासभा नेता  ने काटी गाय, और फंसाया..

उत्तरप्रदेश के आगरा में अभी एक भयानक मामला हुआ। रामनवमी के दिन वहां मुसलमानों के खिलाफ एक तनाव खड़ा करने के लिए उसके कुछ दिन पहले वहां मुस्लिम नाम वाले एक इलाके में एक गाय काटी गई, और उसे लेकर कुछ मुस्लिमों के खिलाफ हिन्दू महासभा की ओर से पुलिस रिपोर्ट लिखाई गई। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार की पुलिस ने जब मामले की जांच की, तो पता लगा कि अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय जाट ने कुछ हिन्दू और कुछ मुस्लिम लडक़ों के साथ मिलकर यह गाय काटी, और कुछ दूसरे मुस्लिम लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी जिनसे कि उसका झगड़ा चल रहा था। मकसद यह था कि रामनवमी के मौके पर हिन्दू-मुस्लिम तनाव फैले, और इस मामले का भांडाफोड़ होने के बाद ऐसा भी माना जा रहा है कि इससे प्रदेश में जगह-जगह तनाव हो सकता था। पुलिस की जांच में यह पता लगा कि जिन बेकसूर मुस्लिम लोगों के खिलाफ यह रिपोर्ट लिखाई गई थी, वे पिछले एक महीने में इस इलाके में गए भी नहीं थे, और जाहिर है कि इस वारदात के वक्त तो वे वहां से दूर थे ही। 

अब अगर यह यूपी की पुलिस नहीं होती, तो भी यह माना जा सकता था कि शायद किसी राज्य की पुलिस मुस्लिमों को बचाने के लिए ऐसा कर रही है, लेकिन जब योगी सरकार की पुलिस इस पूरे मामले को उजागर करे, तो फिर इसमें शक करने की कोई वजह नहीं बचती है। अब यह कल्पना की जाए कि पुलिस ने इसे वक्त रहते पकड़ नहीं लिया रहता, तो आज कितना तनाव हुआ रहता? और यह बात सिर्फ उत्तरप्रदेश में हो ऐसा भी नहीं है। छत्तीसगढ़ की आज सामने आई एक जानकारी देखें तो एक वरिष्ठ पत्रकार ने आज लिखा है कि यहां के कबीरधाम जिले में गोमांस की बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किए गए छह के छह लोग हिन्दू हैं। इसी तरह एक दूसरे जिले बलौदाबाजार में भी गोमांस के साथ जिसे गिरफ्तार किया गया है, वह भी हिन्दू है। यह हाल देखकर उन मुस्लिमों की याद आती है जिन्हें देश में जगह-जगह किसी भी मांस के साथ पकडक़र, गोमांस का आरोप लगाकर उनकी भीड़त्या की जा चुकी है। हर कुछ हफ्तों में देश के किसी न किसी हिन्दी या हिन्दू राज्य में ऐसी वारदात सामने आती है, और गरीब मुस्लिम के कत्ल से खबर उतनी बड़ी नहीं बनती, जितनी कि किसी अमीर हिन्दू के कत्ल से बन सकती थी। लेकिन एक पूरे समाज के कलेजे पर इससे जख्म तो आता ही है।

देश में साम्प्रदायिक तनाव और धार्मिक उन्माद का हाल यह है कि अगर गाय को मारने, गोमांस बेचने के मामलों के पीछे कोई मुस्लिम नाम आता, तो देश भर में उसके खिलाफ बयानबाजी शुरू हो जाती, सोशल मीडिया पर हमलों का सैलाब आ जाता। लेकिन चूंकि इस मामले हिन्दू ही शामिल हैं, हिन्दू महासभा जैसा चर्चित संगठन इसके पीछे है, और पूरी साजिश सीएम योगी की पुलिस उजागर कर चुकी है, इसलिए अभी सबकी बोलती बंद है। जो लोग गाय को पूजनीय मानकर उसके नाम पर मरने-मारने पर उतारू रहते हैं उनको तो कम से कम आज चुप नहीं रहना चाहिए, और हिन्दू महासभा के ऐसे नेताओं को फांसी देने की मांग करने का यह एक सही मौका है। फांसी का यह सुझाव हम अपनी तरफ से नहीं दे रहे हैं, हम किसी को भी फांसी के खिलाफ हैं, लेकिन गोहत्या कर फांसी का नारा लगाने वालों को आज अपने धर्म पर भी शर्म आनी चाहिए कि उनके धर्म का नाम लेकर एक हमलावर संगठन चलाने वाला सामाजिक नेता खुद ही गाय कटवा रहा है, मुस्लिमों के खिलाफ दंगा भडक़ाने के लिए। आगरा से आने वाली खबरें बतलाती हैं कि हिन्दू महासभा का यह बड़ा नेता पहले भी वसूली और उगाही के काम में लगा हुआ था, और वह गाय-बैल-भैंस लाने ले जाने वाले कारोबारियों को रोककर उनसे वसूली करते रहता था। 

गाय काटने पर भडक़ने वाले हिन्दू समुदाय को इन घटनाओं को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि ये उसके ही लोग कर रहे हैं, और इसकी तोहमत किसी बेकसूर मुस्लिम या ईसाई पर मढक़र उसे सडक़ पर मारा जा सकता है। हम आगरा पुलिस की भी तारीफ करेंगे कि उसने साम्प्रदायिक तनाव का यह खतरा खत्म करने का काम किया, और तेजी से जांच करके गुनहगार हिन्दू नेता को पकड़ा, और बेकसूर मुस्लिमों को बरी किया। ऐसे मामले में गुनहगार पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगना चाहिए क्योंकि ऐसे साम्प्रदायिक तनाव से देश भर में सुरक्षा खतरे में पड़ती है। 

गोमांस का मामला हिन्दुस्तान में बड़ा संवेदनशील बनाया गया है। आज भाजपा के जो सबसे आराध्य नेता हैं, उनमें से एक विनायक दामोदर सावरकर ने गाय को पवित्र मानने वाले लोगों को जमकर आड़े हाथ लिया था, और गाय को काटने की वकालत की थी। उन्होंने गाय को कुत्तों और गधों की तरह का ही एक पशु माना था, और लिखा था कि ऐसे पशु को देवता मानना मनुष्यता का अपमान करना है। उन्होंने यह भी लिखा था कि जब यह पशु उपयुक्त न रह जाए, तब उसका रहना हानिकारक होगा, और उस स्थिति में गोहत्या भी आवश्यक है। और भारत में आज वोटों की राजनीति के चलते उत्तर भारत के कुछ राज्यों में गोमांस पर भाजपा की कोई रोक नहीं है, बल्कि वहां के भाजपा अध्यक्ष सार्वजनिक रूप से यह कहते हैं कि वे गोमांस खाते हैं। यही हाल गोवा, पश्चिम बंगाल और केरल को लेकर भी सामने आता है। इन तमाम राज्यों में गोमांस खाना सामान्य प्रचलन में है, और किसी पार्टी को राजनीति करनी हो तो उसके लिए वहां इसका विरोध करना खुदकुशी करने सरीखा होगा। 

हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक ताकतों की अतिसक्रियता को देखते हुए तमाम सरकारों और धर्मनिरपेक्ष लोगों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है, वरना साम्प्रदायिक लोग खुद गाय काटेंगे, और उसके टुकड़े दिखाकर दूसरे किसी धर्म के लोगों को टुकड़े-टुकड़े कर देंगे। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)


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