दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 11 अप्रैल। सुशासन तिहार में भारतमाला प्रभावित किसानों ने आवेदन देने मुहिम चलाने का निर्णय लिया है इसके लिए किसानों को प्रारूप बांटकर हरेक प्रभावित किसान से आवेदन करवाया जा रहा है। किसानों की माने तो मुआवजे की गणना को लेकर विवाद का अब तक निपटारा नहीं हुआ है। वहीं जिनका मुआवजा तय हो गया, इनमें कई किसानों मुआवजा का भुगतान नहीं हुआ है और उनकी भूमि पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसके लिए अधिग्रहित जमीन के मुआवजा का छह साल बाद भी निराकरण नहीं हो पाया है। इससे किसानों में रोष व्याप्त है अब इससे आक्रोशित किसानों ने शासन ध्यान आकर्षित करने यह अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत राज्य शासन द्वारा समस्याओं के निपटारे के लिए लगाए जा रहे। सुशासन शिविरों में प्रत्येक प्रभावित किसान से अलग-अलग आवेदन लगवाए जा रहे हैं। आज तक दुर्ग में 183 और पाटन में 93 किसानों द्वारा आवेदन किए जा चुके है।
भारत परियोजना की सडक़ के लिए जिले के दुर्ग व पाटन ब्लॉक के 26 गांवों में किसानों से जमीन अधिग्रहित की गई है। अधिग्रहित जमीन पर सडक़ का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन जमीन के एवज में मुआवजे की गणना को लेकर विवादों का निपटारा अब तक नहीं हो पाया है। इन विवादों के निपटारे के लिए किसान नेशनल हाइवे और जिला प्रशासन के अफसरों के पास आवेदनों के साथ न्यायालय में याचिका तक लगा चुके हैं। न्यायालय में मामला विचाराधीन है, वहीं अफसरों के द्वारा आवेदनों पर कोई भी कार्रवाई नहीं किए जा रहे हैं। इससे परेशान किसानों ने लामबंद होकर अब सुशासन शिविर में आवेदन का फैसला किया है।
अधिवक्ता व प्रभावित किसान ज्योति कुमार वर्मा का कहना है कि प्रभावित किसानों से सुशासन शिविर में आवेदन लगवाए जा रहे हैं। उम्मीद है सरकार आवेदनों पर संज्ञान लेकर जांच कराएगी। ऐसा हुआ तो न सिर्फ किसानों को बड़ी राहत मिलेगी बल्कि कई गंभीर गड़बडियों का भी खुलासा होगा।
उन्होंने कहा कि भू-अर्जन में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम व मुआवजा निर्धारण में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का पालन नहीं किया गया है। किसानों का गुपचुप तरीके से भूअर्जन और मुआवजा निर्धारण कर अवार्ड पारित कर दिया। इसकी व्यक्तिगत सूचना नहीं दी गई। जिससे किसान आपत्ति नहीं कर पाए।
अवार्ड पारित होने के बाद जानकारी गोपनीय रखी गई और भूमि अधिग्रहण अधिनियम के दूसरी और तीसरी अनुसूची में वर्णित हितलाभों से किसानों को जानबूझकर वंचित किया गया। मुआवजा निर्धारण में कलेक्टर गाइड लाइन की दर, द्विफसली भूमि के मुआवजा गणना में 25 फीसदी अतिरिक्त, धरसा भूमि के 10 प्रतिशत अधिक दर के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। मार्ग को सिंचित और सिंचित को असिंचित बताकर मुआवजा निर्धारण कर दिया। मुआवजा की सूचना पर भू-अर्जन अधिकारियों के पास किए गए आपत्तियों का न तो उत्तर दिया गया और न ही इनका निराकरण किया गया। इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की त्रुटि सुधार की भी कार्रवाई नहीं की गई। अधिग्रहित रकबे से अधिक क्षेत्रफल पर सडक़ निर्माण के अलावा शेष बची भूमि पर मलबा मुरुम बिखेर दिया गया है। जिससे भूमि का उपयोग नहीं हो पा रहा है व उर्वरकता को गंभीर नुकसान हो रहा है।खेतों में आवाजाही का पुस्तैनी रास्ता, शासकीय नहर से सिंचाई पानी के प्रवाह मार्ग को बाधित कर दिया गया है। दोनों ओर सर्विस रोड का प्रावधान, लेकिन कंपनी द्वारा सीमेंट प्रीकास्ट से सर्विस रोड बंद किया जा रहा है। भूमि-अधिग्रहण के दौरान वर्ष 2018 में कलेक्टर द्वारा प्रभावित खसरों के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक खरीदी-बिक्री, बटांकन, डायवर्सन आदि प्रतिबंधित किया गया है।
इस आदेश को अब तक नहीं हटाया गया है। भू-अर्जन प्रक्रिया, मुआवजा की गणना सहित संपूर्ण मामले की गंभीरता से जांच की दरकार, इससे कई गड़बडिय़ां उजागर होने की संभावना।