दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 19 सितंबर। ट्वीनसिटी दुर्ग-भिलाई में विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर बुधवार को तीसरे दिन भी उत्साह के साथ जारी रहा, लेकिन इस बार विसर्जन शोभायात्रा से कानफोडू़ डीजे साउंड नदारत रहे। डीजे के स्थान पर पारंपरिक बैंड बाजा, धुमाल एवं अन्य वाद्ययंत्रों ने विसर्जन शोभायात्रा में खूब रंग जमाया। फलस्वरुप अरसे से ठंडे पड़े बैंड बाजा व धुमाल की रौनक फिर वापस लौट आई है। जिससे बैंड बाजों व धुमाल की एकाएक डिमांड बढ़ गई है। जो इस व्यवसाय से जुड़े संचालकों में खुशियों का संचार कर दिया है।
दुर्ग शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले पुराना बस स्टैण्ड में इस बार जगन्नाथ गणेश उत्सव समिति द्वारा स्थापित भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा की बुधवार को शान से विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बैंड बाजा की धुन आकर्षण का केन्द्र रही। बैंड की धुन में श्रद्धालु उत्साहित रहे। उन्होंने नाच-गाकर अपना उत्साह प्रकट किया। श्रद्धालुओं को बैंड बाजा व धुमाल की धुन काफी पसंद आई। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 55 डेसीबल से ज्यादा के आवाज में डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसे लेकर छत्तीसगढ़़ साऊण्ड यूनियन का तर्क है कि इस निर्धारित आवाज पर डीजे बजाना संभव नहीं है। जिसके चलते डीजे साउण्ड पर रोक की स्थिति बन गई है। लिहाजा गणेश विसर्जन शोभायात्रा से डीजे साऊण्ड पूरी तरह गायब हो गया है। डीजे पर रोक को लेकर आम नागरिकों की भी व्यापक प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जिसमें आम नागरिक इस बार के गणेश विसर्जन शोभायात्रा को सबसे बढिय़ा व अच्छा मान रहे है।