दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 7 अगस्त। दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा में वैज्ञानिक डेयरी पालन विषय पर राज्य स्तरीय पांच दिवसीय (2 से 6 अगस्त ) कृषक प्रशिक्षण का समापन विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति एवं निदेशक शिक्षण डॉ.एस.पी.इंगोले, डॉ.एस.के.तिवारी की एवं डॉ.सुशोवन रॉय तथा डॉ.ए.के.सांतरा प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष की उपस्थिति में किया गया। मुख्य अतिथि डॉ.एस.पी.इंगोले द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि आशा ही नही बल्कि विश्वास है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से डेयरी व्यवसाय से जुड़े एवं इच्छुक पशुपालको को अत्यंत लाभ होगा। इस तरह ये पशुपालक विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से संपर्क में बने रहेंगे एवं भविष्य में उनकी समस्याओं का समाधान भी प्राप्त करते रहेंगे।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.एस.के.तिवारी ने इस अवसर पर बताया कि प्रशिक्षण में नए डेयरी व्यवसाय प्रारंभ करने हेतु परियोजना तैयार करने की जानकारी भी शामिल की गई थी। भविष्य में बैंक से ऋण प्राप्त कर डेयरी व्यवसाय प्रारंभ करने हेतु प्रोजेक्ट तैयार करने में मदद भी महाविद्यालय के माध्यम से की जाएगी। समय-समय पर इस तरह के और प्रशिक्षण आयोजित किए जाते रहेंगे ताकि तकनीकी रूप से पशुपालकों को सक्षम बनाया जा सकें।
डॉ.सुशोवन रॉय ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि डेयरी पशुओं में होने वाले रोगों की जॉच की सुविधा महाविद्यालय में उपलब्ध है जिसका लाभ पशुपालक ले सकते हैं। नोडल अधिकारी डॉ.धीरेन्द्र भोंसले ने बताया कि प्रशिक्षण में न केवल राज्य के बल्कि अन्य प्रदेशों के प्रशिक्षणार्थियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड में जुड़े। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का महत्वपूर्ण कार्य इस प्रशिक्षण के द्वारा किया गया। इसके आयोजन के लिए उन्होने आभार व्यक्त किया। प्रिज्म ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूड के डायरेक्टर श्री रूपेश गुप्ता ने प्रशिक्षण को अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी बताया। इस अवसर पर उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को चारा उत्पादन हेतु सुपर नेपियर नोड्स का वितरण किया गया।=
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चैधरी के अतिरिक्त डॉ.निषिमा सिंह, डॉ.शिवेश देशमुख एवं अन्य गणमान्य शिक्षकगण भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. किरण कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रूपल परमार द्वारा किया गया।