दुर्ग

भारी दबाव के बीच बीएसपी के पूर्व डीजीएम के अवैध अतिक्रमण से आवास हुआ मुक्त
27-Jul-2025 8:52 PM
भारी दबाव के बीच बीएसपी के पूर्व डीजीएम के अवैध अतिक्रमण से आवास हुआ मुक्त

सम्पदा न्यायालय से डिक्री और बल के साथ पहुंचा प्रवर्तन विभाग
‘छत्तीसगढ़’  संवाददाता
भिलाई नगर, 27 जुलाई।
भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रवर्तन विभाग के द्वारा 3 साल से आवास में काबिज डीजीएम को कल शाम बेदखल किया गया है। इस दौरान टीम को भारी दबाव और हुज्जत का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अंत में पुलिस बल की मौजूदगी में टीम ने आवास को सील करने में सफलता हासिल की है।

ज्ञात हो कि सम्पदा न्यायालय के डिक्री आदेश के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट तथा भारी पुलिस बल की उपस्थिति में पूर्व डीजीएम (इनफ़ोर्समेंट ) का आवास बीएसपी के एनफोर्समेंट डिपार्मेंट ने सील किया है।
एनफोर्समेंट अफसर ने बताया कि जिला न्यायालय से पूर्व डीजीएम की सम्पदा न्यायालय के विरुद्ध अपील लंबित है, परंतु जिला न्यायालय से किसी प्रकार की राहत या स्टे नहीं मिला था जिसके कारण बेदखली की कार्रवाई की गई। जिनको स्टे मिला हुआ है, उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई है।

गौरतलब हो कि वर्तमान नियमों के तहत 6 महीने पूर्ण होने पर रिटेन्शधारी पीपी एक्ट 1971 के तहत अवैध कब्जेधारी हैं।
पूर्व डीजीएम द्वारा निरंतर नेताओं से दवाब तथा तथाकथित लोगों का समूह भेज कर कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश भी की गई। किन्तु भारी पुलिस बल तथा कार्यपालक मजिस्ट्रेट के सामने उनकी एक नहीं चली और सभी तथाकथित लोग वापस लौट गए।
जानकारी मिली है कि पूर्व डीजीएम का तालपुरी बी ब्लॉक में स्वयं का आवास है फिर भी तीन वर्षों से बीएसपी के आवास पर अवैध कब्ज़ा जमाए बैठा था।
एनफोर्समेंट अफसर ने कहा कि ऐसे किसी कब्जेधारी को बक्शा नहीं जाएगा और न ही बीएसपी की सम्पति पर कब्ज़ा करने दिया जाएगा।

रिटेंशन नियमों के तहत वर्तमान में मात्र 6 महीनों के लिए ही आवास आबाटित किया जाता है, उसके उपरांत अवैध कब्ज़ा माना जाता है तथा पीपी एक्ट 1971 के तहत अवैध कब्जेधारी को नोटिस, सुनवाई का पूर्ण मौका दिया जाता है तथा डिक्री जारी करने की प्रक्रिया की जाती है। पूर्व डीजीएम को भी पूरा मौका दिया गया। डिक्री जारी होने के पश्चात सम्पदा न्यायलय द्वारा अवैध कब्जेधारी को 15 दिवस का समय कब्ज़ा खाली करने के लिए देता है। कई कब्जेधारी जिला न्यायालय दुर्ग तथा उच्च न्यायालय बिलासपुर में सम्पदा न्यायलय द्वारा पारित डिक्री के विरुद्ध अपील करते है, यदि न्यायालय द्वारा स्टे नहीं दिया जाता है तो अवैध कब्जेधारी से बीएसपी सम्पति खाली करवाया जाता है अथवा उन्हें बीएसपी सम्पति से बेदखल किया जाता है।

पूर्व डीजीएम द्वारा भी जिला न्यायालय में सम्पदा न्यायालय के डिक्री के विरुद्ध अपील की गई थी किन्तु जिला न्यायालय द्वारा पूर्व डीजीएम को किसी प्रकार का राहत या स्टे नहीं दिया गया। पीपी एक्ट 1971 के तहत रिटेंशन समायावधि पूर्ण होने के पश्चात, निवासरत व्यक्ति अवैधकब्जेधारी हो जाता है, इसमें किसी प्रकार का ओवर स्टे पीरियड नहीं होता है। अवैध कब्जेधारी के विरुद्ध कार्यवाही हेतु सम्पदा न्यायालय द्वारा किसी भी एक अधिकारी को अधिकृत किया जाता है तथा सम्पदा न्यायालय द्वारा बेदखली कार्यवाही हेतु कार्यपालक मजिस्ट्रेट तथा पुलिस बल उपलब्ध करवाया जाता है। कार्यवाही के पश्चात पंचनामा, चाबी, दस्तावेज, वीडियो रिकॉर्डिंग इत्यादि सम्पदा न्यायालय में जमा कर दिया जाता है। उसकी प्रतिलिपि प्रशासन को भी दी जाती है।

विदित हो कि कुछ पूर्व बीएसपी कार्मिक रिटेंशन आवासधारी द्वारा बीएसपी सम्पति का दुरूपयोग किया जाता है। कई लोगों द्वारा आवास को किराया पर दे दिया जाता है। कुछ लोग बीएसपी आवास में अवैध रूप से निवासरत हैं और अपने द्वारा बनाये आवास को किराया में दे दिया है। बहुत रिटेंशनधारी दूसरे कंपनियों में नौकरी भी करते हैं और बीएसपी आवास को भी अवैध कब्जे में रखे रहते हैं, जिसकी वजह से कई वरिष्ठ अधिकारी जो बाहर से ट्रांसफर होकर आए हैं या जिनका उच्च ग्रेड में प्रमोशन हो गया है, ऐसे लोगों को अवैध कब्जेधारियों की वजह से बीएसपी के आवास नहीं मिल पाते हैं, मजबूरन वो भिलाई निवासी सहित अन्य जगहों पर रहते हैं। ऐसे सभी अवैध कब्जेधारियों के विरुद्ध बीएसपी द्वारा निरंतर कार्रवाई की जा रही है ताकि सयंत्र में कार्यरत अधिकारियों कार्मिकों को अच्छे आवास मिल सकें। ऐसे अवैध कब्जेधारियों से आवास खाली करवाने के पश्चात जरूरतमंद कार्मिकों को आवास अलॉट किया जाता है।
 


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