दन्तेवाड़ा

दंतेवाड़ा, 3 जनवरी। ’’जल जीवन मिशन’’ योजना की संचालन से दंतेवाड़ा के कुआकोंडा विकासखंड के तहत रेंगानार गांव के ग्रामीण को घर में ही स्वच्छ जल मिल रहा है।
गांव की महिला सरपंच सनमती तेलामी ने बताया कि इस योजना के फलस्वरूप महिलाओं को विशेष सुविधा मिली। इसके फलस्वरुप महिलाओं के श्रम और समय में बचत हुई।
ज्ञात हो कि पहाड़ी और बेहद घने जंगलों में बसा यह गांव भी वर्षों से शुद्ध पेयजल की समस्या से जुझ रहा था। जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर इस ग्राम में 4 बसाहटें डोंगरीपारा, स्कूलपारा, पटेलपारा, नदीपारा ही थी। ग्राम की मुख्य समस्या पेयजल की ही थी। इस ग्राम के लोग पीने के पानी के लिए मुख्य रूप से झरिया और हैंडपंप आदि पर निर्भर रहते थे।
योजना के संचालन से पूर्व पारंपरिक तौर पर पीने के पानी को कपड़े की छन्नी से छान कर मटकी आदि में संग्रहित कर आवश्यकतानुसार खाना बनाने और पीने के लिए उपयोग करते थे। अत: जिला प्रशासन द्वारा पेयजल की समस्या के निदान हेतु ग्राम रेंगानार को जल जीवन मिशन के तहत चिन्हित किया गया।
ग्राम पंचायत रेंगानार में जल जीवन मिशन योजना को पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि ग्राम की भौगोलिक परिस्थितियां पाइप लाइन विस्तार के लिए अनुकूल नहीं थी। क्योंकि ग्राम बसाहट व घर काफी दूर-दूर और नदी नालों और पहाड़ों पर अवस्थित थे। लेकिन प्रशासन की सक्रियता से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्राम रेंगानार में कुल 77.98 लाख की लागत से, 4800 मीटर पाईप लाईन का विस्तार कर सभी घरों में क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन लगाया गया, जिसमें कुल 030 सोलर 09 मीटर स्टेजिंग के माध्यम से ग्राम के सभी घरों और शासकीय भवनों में जल जीवन मिशन योजना को पहुंचाया गया।
जिससे निरंतर स्वच्छ पीने का पानी प्राप्त हो रहा है।
महिलाओं को मिली सुविधा
रेंगानार की ग्रामीण महिलाओं का भी अधिकतर समय नदी, नालों, हैंडपंप, झिरिया से पानी लाने में ही व्यतीत होता था। अपने अनुभवों को साझा करती इस गावं के डोंगरी पारा निवासी महिला ’’दिलो तेेलामी’’ का कहना था कि घर-घर पानी पहुंचने से सबसे ज्यादा राहत उसके जैसे महिलाओं को ही हुई है। वे आगे बताती है कि उसके परिवार में 7 सदस्य है और व स्वयं अपने पारा की वार्ड पंच भी है। और वह भी पूर्व में घर से दूर उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर नदी और झिरिया से पीने का पानी लाना पड़ता था, गर्मियों के मौसम में नदी सूख जाने पर घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर उबड़ खाबड़ रास्ते से झिरिया का पानी पीने की भी मजबूरी थी। बारिश में बाढ़ आने पर यह रास्ता भी बंद हो जाता था। दिनभर में सुबह-शाम 8-10 मटकी पानी लाना त्रासदायक था। और यह पानी लाने की भाग दौड़ की व्यथा गांव के हर महिलाओं की थी। लेकिन एक दिन ग्राम सभा के माध्यम से जल जीवन मिशन योजना के तहत प्रत्येक घर में पानी आने की सूचना मिलने पर उसके जैसी अन्य महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं था। फिर देखते ही देखते लगभग एक साल में गाँव के हर घर के आँगन में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के तहत नल लगाए गए और सोलर पंप के माध्यम से साफ पानी घर के नल तक आने लगा।