कैम्पा मद का दुरुपयोग, इमारती लकड़ी कटाई में भी तेजी, साजिश की आशंका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 मार्च। कोरबा, कटघोरा वनमंडल के जंगल कई जगहों पर धू-धू जल रहे हैं पर वन विभाग के अधिकारी निश्चिन्त दिखाई दे रहे हैं। हालत यह है कि दो चार फायर वॉचर सडक़ों पर बिठाकर उन्होंने अपने दायित्व को पूरा मान लिया है। ग्रामीण व पंचायतों के प्रतिनिधि जो इस हालत से चिंतित हैं, वे सीमित साधनों से अपने आसपास लगी आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन फैलने से नहीं रोक पा रहे हैं।
कटघोरा से अम्बिकापुर के रास्ते पर जगह-जगह जंगलों से धुआं निकलता दिखाई दे रहा है। जंगल में आग से बचाव के लिये सिर्फ यही काम किया गया है कि वन विभाग ने तीन चार फायर वाचर की नियुक्ति कर दी है, जिन पर जिम्मेदारी है कि आग लगने पर वह वन अधिकारियों को सूचित करे। कभी-कभी फारेस्ट रेंजर और उनके अधीनस्थ अधिकारी अग्निशामक लेकर आते हैं और किसी एक जगह की आग बुझाकर वापस चले जाते हैं।

कटघोरा से अम्बिकापुर मार्ग पर स्थित ग्राम पतुलियाडांड के सरपंच उमेश्वर सिंह बताते हैं कि वन अधिकारी दौरा ही नहीं करते। दो चार फायर वाचर अकेले आग क्या बुझायेंगे। इनके पास कोई साधन नहीं है। इनसे ज्यादा देखभाल तो गांव के लोग कर रहे हैं। हर साल गर्मी में आग लगती है पर इस बार कुछ ज्यादा ही फैल रहा है। इसकी वजह यह है कि वन अधिकारियों ने ग्राम सभाओं की बैठक भी नहीं ली है, न ही ग्रामीणों को उन्होंने कोई साधन उपलब्ध कराये हैं। वन अधिकारी दौरा भी नहीं करते हैं। उन्हें पता करने में भी रुचि नहीं है कि जंगल में कहां-कहां आग लग रही है बचाव की बात तो दूर है।
वन विभाग की उदासीनता के बीच जंगल को नष्ट होते देखकर इस इलाके के करीब 15 पंचायतों के सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधियों ने एक समिति बनाई है। उमेश्वर सिंह इसके संयोजक हैं। यह समिति अपनी ओर से कोशिश कर रही है कि लकडिय़ों से सूखे पत्तों टहनियों को हटाकर आग को फैलने से रोकें। मधुरा, खूंटा, खोदरा, केंदई में उन्होंने कई जगह जाकर आग बुझाई पर वन विभाग वाले झांकने तक नहीं पहुंचे।

कोरबा-कटघोरा के आदिवासी इलाके में जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ रहे हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया कि हसदेव नदी के किनारे कई कई किलोमीटर तक जंगल में आये दिन आग लग रही है। गांव के लोग तथा लघु वनोपज समितियों के सदस्य अपनी ओर से बचाव की कोशिश कर रहे हैं पर वन विभाग चिंतित दिखाई नहीं दे रहा है। शुक्ला ने कहा कि वन विभाग के पास कैम्पा मद के करोड़ों रुपये मिलते हैं। यह वनों को बचाने तथा उसके संवर्धन के लिये ही दिया जाता है। पर इस राशि की फिजूलखर्ची की जा रही है। हाल ही में करोड़ों रुपये की गाडिय़ां खरीद ली गई।
कटघोरा वनमंडल के पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि वन अधिकारियों की उदासीनता इस इलाके के हरे-भरे जंगल को खत्म करने की साजिश प्रतीत होता है। तेंदूपत्ता की क्वालिटी अच्छी हो इसके लिये ठेकेदार ही ग्रामीणों के साथ मिलकर कई बार आग लगा देते हैं। हालांकि तेंदूपत्ता की खरीदी सोसाइटियों के माध्यम से होती है पर जो ठेकेदार इसकी खरीदी के लिये बोली लगाते हैं वे इसमें शामिल हो सकते हैं।

सरपंच संघ के उमेश्वर सिंह का कहना है कि इन दिनों कूप कटाई में भी तेजी आ गई है। जिन पेड़ों की आयु पूरी हो चुकी है उनकी कटाई इमारती लकड़ी के लिये होनी चाहिये पर हजारों की संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। पहले यह चार पांच साल में होता था पर अब हर दूसरे तीसरे साल की जा रही है। इस कटाई से जंगल साफ होंगे जिससे जंगल कम होगा और कम्पनियां यहां खनन के लिये दावा कर सकेंगीं।