‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 21 फरवरी। जिला पंचायत के दो चरण के चुनाव परिणाम विष्णुदेव साय सरकार के लिए आत्मावलोकन का संदेश लाई हैं। विशेष तौर पर सरगुजा जिले के चुनाव परिणामों को देखने पर तो यही जाहिर होता है कि बैलेट पेपर से हुए इस चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने शासन की नीतियों को नकार दिया है। इन परिणामों के सामने आने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार को यह चितंन करना चाहिए कि वो इस पंचायत चुनाव में प्रदेश की जनता का विश्वास जीतने में सफल क्यों नहीं हो पाई है?
जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा ने प्रथम चरण के चुनाव के परिणामों का आंकलन कर वक्तव्य जारी किया है। 2019 के पंचायत चुनावों के परिदृश्य में भाजपा ने सरगुजा में आंशिक सफलता प्राप्त की है। 2019 के पंचायत चुनाव में इन सभी सात सीटों पर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जिला पंचायत सदस्य के तौर पर विजयी हुए थे। लेकिन 2025 के पंचायत चुनाव में भाजपा के मात्र 2 अधीकृत उम्मीदवार चुनाव में विजयी हुए हैं। इसमें भी जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 2 में हुई जीत संदेह से परे नहीं है।
2019 की जीत में कांग्रेस के अधीकृत उम्मीदवारों को जिस पैमाने पर जनादेश मिला था, उसकी तुलना में भाजपा के उम्मीदवार अपने क्षेत्रों में संघर्ष करते नजर आये। ग्रामीण क्षेत्रों के चुनावी परिणामों ने यह स्पष्ट किया है कि भाजपा मोदी की गारंटी को लागू करने के साथ ही साथ अपने कार्य प्रदर्शन में भी विफल रही है, जिसकी वजह से मतदाताओं के बीच भाजपा के पैर उखड़ रहे हैं।
सिलसिलेवार रूप से जिला पंचायत क्षेत्रों के परिणामों को देखने से यह साफ हो जाता है कि भाजपा की कथित जीत उसके लिए चिंतन का विषय है। जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 में कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य सरीता पैकरा भले हार गई, लेकिन उन्हें 8774 मत प्राप्त हुए, जो जिला भाजपा अध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया को 2015 में प्राप्त मत 7326 से ज्यादा हैं। 2015 में भी भाजपा की सरकार थी और 2025 में भी भाजपा की सरकार है। इस क्षेत्र से भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी ने मात्र 14200 के लगभग मतों से जीत प्राप्त की है जबकि वर्ष 2019 में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार एवं वर्तमान जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने 18000 से अधिक मतों से जीत हासिल की थी।
क्षेत्र क्रमांक 1 से कांग्रेस उम्मीदवार रही सरीता पैकरा इस हार से हतोत्साहित नहीं है। वे क्षेत्र क्रमांक 9 और 10 में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों का प्रचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि धनबल और सत्ताबल का उपयोग कर एक आदिवासी उम्मीदवार पर भाजपा ने जीत हासिल की है। हौसला नहीं छोडूंगी और दुगने उत्साह के साथ आगे के लिये तैयारी करुंगी।
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 2 में भाजपा की जीत विवादास्पद है। यहां के कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ने यह दावा करते हुए कलेक्टर को पुनर्मतदान का ज्ञापन दिया है कि गणना पत्रक में व्यापक गड़बडिय़ां की गई हैं और उनके मतों को विजयी प्रत्याशी के मतों में समायोजित कर लिया गया है।
2019 के चुनाव में तब भी क्षेत्र में 4 से अधिक प्रत्याशी थे, तब आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने इस क्षेत्र में 20000 से अधिक मतों से चुनाव जीता था। जबकि इस चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी ने 1400 लगभग मतों की संदेहास्पद जीत हासिल की है। क्षेत्र क्रमांक 3 से पुन: कांग्रेस समर्थित अनीमा केरकेट्टा विजयी रही, जबकि इस क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार फुलेश्वरी पैकरा को मात्र 3237 मत ही प्राप्त हुए।
क्षेत्र क्रमांक 4 से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार मोनिका पैकरा ने भारी मतों से चुनाव जीता। 2019 में भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार यहां से चुनाव जीता था।
क्षेत्र क्रमांक 5 में अम्बिकापुर विधायक के भाई चुनाव जीते, लेकिन वहां भाजपा ने उन्हें चुनाव के लिए अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। क्षेत्र क्रमांक 6 में कांग्रेस विचारधारा से संबंधित कई प्रत्याशियों के चुनाव लडऩे के कारण कांग्रेस ने किसी उम्मीदवार को समर्थन जारी नहीं किया था। लेकिन पूर्व कांग्रेस पृष्ठभूमि के कारण राधा रवि यहां चुनाव में विजयी रही। यहां पर भाजपा की अधिकृत उम्मीदवार वर्षा पप्पू सोनवानी चुनाव हार गई।
क्षेत्र क्रमांक 7 से भी भाजपा समर्थित सरस्वती पैकरा चुनाव हार गई। यहां भी कांग्रेस विचारधारा की प्रत्याशी रजमुनिया देवी विजयी रही। द्वितीय चरण के चुनाव में सीतापुर और मैनपाट के 4 जिला पंचायत क्षेत्रों में भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों का खाता भी नहीं खुला है। यहां कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी पयासो बाई मनसुख क्षेत्र क्रमांक 11 से विजयी रही हैं। कांग्रेस ने क्षेत्र क्रमांक 13 और 14 से किसी को प्रत्याशी घोषित नहीं किया था लेकिन वहाँ से कांग्रेस विचारधारा के उम्मीदवार विजयी रहे हैं। क्षेत्र क्रमांक 12 से शिव भरोष बेक ओर क्षेत्र क्रमांक 14 से रतनी नाग चुनाव जीते हैं।
इस प्रकार से जिला पंचायत के प्रथम चरण के चुनाव में 7 सीटों में भाजपा समर्थित मात्र 2 प्रत्याशी विजयी हुए हैं। लेकिन इस आंशिक सफलता को भाजपा मात्र इसलिये बढ़ाचढ़ाकर बतला रही है ताकि वो जिला पंचायत के चुनाव में खेल करने के साथ ही राज्य सरकार की सवा साल की असफलता को ढंक सके।