आदिवासी समाज का स्वतंत्रता संग्राम में रहा योगदान-राज्यपाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 9 दिसंबर। बालोद जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 राजाराव पठार में बुधवार से वीर मेले की शुरुआत राज्यपाल अनुसुईया उइके के हाथों हुई। राज्यपाल ने राजाराव पठार पहुंचकर राजराव बाबा की पूजा-अर्चना की और शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही उन्होंने बूढ़ादेव बाबा, मां कंकालीन सहित झामा माता की पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही राज्यपाल के मायके से झामा माता मण्डला से पहुंची हुई हैं। बालोद के आदिवासी समाज द्वारा राज्यपाल के मायके में देव निमंत्रण भेजा गया था। आयोजन में बालोद धमतरी बस्तर संभार सरगुजा सहित पूरे प्रदेश के कोने-कोने से आदिवासी समाज के लोग पहुंचे हुए हैं।
समाज ने राज्यपाल के सामने बात रखी कि नक्सलवाद की काफी समस्या है। आखिर भारत की सरकार पीडि़त लोगों से बात क्यों नहीं करती। आखिर हमसे बात क्यों नहीं करती। शिक्षा-स्वास्थ्य की व्यवस्था यदि पूरी की जाय तो देश में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि समाज के लिए मन में दर्द है। पंचायतों को निकाय बनाया जा रहा है। मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की है अन्यथा मैं अपने अधिकारों का उपयोग करूंगी। आज हमारे भोलेपन का फायदा उठाकर देवी देवता हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके लिए भी समाज सजग रहे।
उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने उद्बोधन की शुरुआत की। राज्यपाल अनुर्सुइया उइके ने कहा- मैं इसी समाज की बेटी हूं। आप सब के आशीर्वाद से यहां पहुंची हुई हूं। उन्होंने कहा कि यहां जो भी कार्य किए जाते हैं, वे काफी सराहनीय हैं। इस मंच से समाज को एकजुट कर नई पीढ़ी को शहीद वीर नारायण सिंह जी की प्रेरणा दे रहे हैं। वे ऐसे क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने समाज को दिशा दी है। पूरे देश में आज अमृत महोत्सव के माध्यम से शहीदों को याद किया जा रहा है। बहुत से लोग इतिहास में कहीं खो गए हैं। आगे कहा कि आदिवासी समाज का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान रहा , ऐसे आयोजन से समाज को प्रेरणा मिल रही है।
उन्होंने कहा कि जब 1950 में संविधान बना था, तब इस बात का ध्यान रखा गया था कि आदिवासी समाज एक ऐसा तबका है, जो जल जंगल जमीन से जुड़ा रहता है और इनके विकास के लिए क्या किया जाए कि समाज का सर्वांगीण विकास हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि कानून तो बनाए गए पर वो नियम नहीं बनाए गए, जिससे कानूनों का पालन हो सके, 25 साल कानून बनने के बाद नियम नहीं बनाए गए तो ये दुर्भाग्य की बात है। आज ग्राम सभा को इतने अधिकार दिए गए हैं, पर उनका उपयोग कहां हो रहा है।
उन्होंने कहा कि संविधान ने दायित्व दिया पर समाज को लेकर मुझे दर्द है। बरसों बाद भी आज अन्याय हो रहा है, 5वीं अनुसूची के बाद भी ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत नगर पालिका नगर निगम बना दिया गया, पहले 50 प्रतिशत आरक्षण रहता था, पर आज इन जगहों पर नगर पालिका का कानून बना दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही ऐसे कानून लाने का जोर हम दे रहे हैं, जहां आदिवासी समाज को पूर्ण अधिकारी, पहली बार 25 साल बाद पेसा कानून के विषय में विज्ञान भवन दिल्ली में बैठक हुई और प्रधानमंत्री जी ने मामले को संज्ञान में लिया।
बस्तर के लोग नहीं चाहते निकाय
राज्यपाल ने कहा कि कुछ दिनों पूर्व यहां पर बस्तर के लोग आए थे, वे नहीं चाहते कि उनके गांव निकाय बने। उन्होंने कहा-मैंने मुख्यमंत्री को कहा कि आप ऐसे अनुमति न करें या फिर मेरे अधिकारों का उपयोग करते हुए मैं फैसला लूंगी। मैं नहीं चाहती कि आदिवासी समाज के साथ अन्याय हो, आज नक्सलवाद से पीडि़त क्षेत्रों में स्कूल बंद है, मैं समाज के विकास का अच्छा-बुरा समझती हूं।
दिखी परंपरा की झलक
शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में मनाए जाने वाले वीर महोत्सव में आदिवासी परंपरा की पूर्ण झलक देखने को मिला सभी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए इसके साथ ही यहां पर छत्तीसगढ़ आदिवासी समाज की संस्कृति संबंधी नृत्य प्रस्तुत किए गए।
नक्सलवाद पर सरकार क्यों नहीं करती हमसे बात - समाज
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि ये आयोजन हम शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में आयोजित करते हैं और हम जब अपनी समस्या यहां रखते हैं तो आयोजन के मुख्य अतिथि नाराज हो जाते हैं। हम आखिर अपनी बात को कहां रखे। आदिवासियों की रक्षा के लिए यहां कई सारे कानून बने, पर ईमानदारी से इन कानूनों का पालन नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार हो या भारत सरकार आदिवासी के मन के विश्वास पैदा नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोग यदि समझ पाते तो 70 साल में ऐसा नहीं रहता। उन्होंने नक्सलवाद को लेकर बड़ी बात कही कि नक्सलवाद विषय पर भारत सरकार हमसे बात क्यों नहीं करती, जो पीडि़त हैं आखिर उनसे क्यों बात नहीं करती?
अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय ने कहा कि अमर शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान को याद करने के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है। शहीद वीरनारायण सिंह सोनाखान के जमींदार थे।
उन्होंने उस समय भयंकर आकाल के समय उन्होंने आम जनता से सरकारी खजाना लुटवाया। आम जनता के लिए उन्होंने अपना समर्पण दिखाया और अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते रहे। उनके कार्यों से अंग्रेजी हुकूमत में हडक़ंप मच गया और उन्हें गिरफ्तार किया गया और रायपुर के जय स्तंभ चौक में फासी दे दिया गया और उनकी लाश को एक सप्ताह तक वहां लटका कर रखा गया ताकि लोगों में भय व्याप्त हो सके।
आयोजन में प्रमुख रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक सोहन पोटाई, पूर्व अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष जी.आर.राणा, आयोजन समिति के अध्यक्ष मानक दरपट्टी सहित अन्य मौजूद रहे।