दुर्ग

सबसे बड़ी विपदा थामने हो रहा सबसे बड़ा काम
14-Apr-2021 4:48 PM
सबसे बड़ी विपदा थामने हो रहा सबसे बड़ा काम

प्रशासनिक तंत्र की कोशिशों, जनता की भागीदारी और कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर की वजह से कोरोना केसेज में दो दिनों से आ रहा स्लोडाउन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 14 अपै्रल।
कोरोना की दूसरी लहर पहली की तुलना में कई गुना तेज है और तेजी से लोगों को संक्रामित कर रही है। पिछली बार जहाँ पीक में कोरोना से अधिकतम 400 पॉजिटिव मरीज आए थे, इस बार अधिकतम 2200 तक मरीज एक ही दिन में आए हैं। इस तरह से देखा जाए तो दुर्ग जिला अपने इतिहास की सबसे असाधारण आपदा का सामना कर रहा है। संकट के बीच उज्ज्वल पक्ष यह भी है कि प्रशासन ने अपने पूरे संसाधन और संकल्पशक्ति इस आपदा को रोकने में झोंक दी है। बीते दो दिनों में कोरोना वायरस के केसेज में कुछ स्लोडाउन हुआ है वो इसे इंगित करता है। इन बिन्दुओं में देखें तो हमें पता चलता है कि कितने बड़े स्तर पर कार्य दुर्ग में कोरोना वारियर्स कर रहे हैं।

टेस्टिंग और ट्रेसिंग- शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पर फोकस करने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं। पिछली लहर में अधिकतम हजार टेस्ट हो रहे थे। इस बार चार हजार टेस्ट हर दिन हो रहे हैं। पीपीई किट के भीतर पसीना बहाते कोरोना वारियर्स जाने अपने सेंटर में कितने लोगों का टेस्ट कर रहे हैं। उनकी मेहनत को जज्बे को सलाम हैं। टेस्टिंग के बाद ट्रेसिंग भी अहम टास्क है। इसमें टाइम मैनेजमेंट काफी मजबूत हुआ है। ट्रेसिंग का डाटा अभी 90 प्रतिशत है। कभी-कभी मरीज गलत मोबाइल नंबर या एड्रेस दे देते हैं जिससे लोकेट करने में उन्हें तकलीफ होती है।

आक्सीजन बेड्स और हास्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर- कोविड में बड़ी दिक्कत आक्सीजन लेवल लो हो जाने की होती है। ऐसे में सभी हास्पिटल में हास्पिटल बेड्स और आक्सीजन बेड्स युद्धस्तर पर बढ़ाये जा रहे हैं। जिला चिकित्सालय में कोविड के 100 बेड और रेस्पिरेटरी के 60 बेड की सुविधा दी गई है। चंदूलाल चंद्राकर कोविड केयर हास्पिटल में 400 बेड हैं। सुपेला अस्पताल में 80 बेड तथा कुम्हारी में 20 बेड हैं। पाटन में 100 बेड, झीठ में 20 बेड तथा धमधा में 40 बेड का सेंटर खोला गया है। इसके अलावा सामाजिक संगठन भी काफी आगे आकर कोविड मरीजों को सामान्य बेड एवं आक्सीजन बेड उपलब्ध करा रही हैं। महावीर कोविड केयर सेंटर में 100 लोगों के इलाज की सुविधा है इसमें 15 आक्सीजन बेड उपलब्ध हैं। अग्रवाल समाज के भवन में 21 बेड हैं जिनमें 18 आक्सीजन बेड हैं। 

शासकीय अस्पतालों और कोविड सेंटर में इस तरह से छह सौ मरीजों के लिए आक्सीजन बेड की सुविधा है। इसमें लगातार इजाफा किया जा रहा है। सेक्टर-9 हास्पिटल में पहले 30 बेड थे अब 400 बेड में मरीजों को सुविधाएं दी जा रही हैं। हर दिन अतिरिक्त आक्सीजन बेड की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है और इस पर युद्धस्तर पर कार्य हो रहा है।

होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर- होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर के माध्यम से लगभग तेरह हजार मरीजों की हर दिन स्वास्थ्य देखभाल की जा रही है। इन्हें मेडिकल किट उपलब्ध कराया जा रहा है। मरीज की स्थिति के अनुरूप जरूरत पडऩे पर हायर सेंटर रिफर करने का निर्णय लिया जाता है। इसके लिए विज्ञान विकास केंद्र में कंट्रोल रूम बनाया गया है।

काल सेंटर और एंबुलेंस के लिए हेल्पलाइन- काल सेंटर तथा हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से लोगों की हर संभव सहायता की जा रही है। इसके साथ ही डेडिकेटेड कोविड सेंटर के लिए नियुक्त किये गए चिकित्सक, स्टाफ नर्स एवं वार्ड ब्वाय- कोविड  हास्पिटल के लिए पांच डाक्टरों की नई नियुक्ति के साथ ही डीएमएफ और एनएचएम के माध्यम से 70 स्टाफ नर्स, डीएमएफ के माध्यम से 46 स्टाफ नर्स तथा डीएमएफ के माध्यम से 60 वार्ड ब्वाय नियुक्त किए गए हैं। अभी विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित सात पदों के लिए साक्षात्कार भी लिये जा रहे हैं। साक्षात्कार में चयनित होते ही इन्हें डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर में नियुक्त कर दिया जाएगा।

कोविड एप्रोप्रिएट बिहैवियर के लिए किया जा रहा जागरूक- लोगों को मास्क पहनने एवं कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर करने जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए सतत रूप से अभियान चलाया जा रहा है। जुर्माना वसूलने के साथ ही मास्क भी प्रदान किया जा रहा है।
 

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