सरगुजा

बतौली के प्रस्तावित एलुमिनियम प्लांट में भारी विरोध के बीच जनसुनवाई पूरी
12-Apr-2021 6:24 PM
बतौली के प्रस्तावित एलुमिनियम प्लांट में भारी विरोध के बीच जनसुनवाई पूरी

  ग्रामीणों के विरोध का अधिकारियों का दो टूक जवाब भारत सरकार को दर्ज करा देंगे आपत्ति  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,12 अप्रैल।
सरगुजा जिला के बतौली विकासखंड के चिरंगा में एलमुनियम प्लांट खोलने के लिए आयोजित जनसुनवाई में 12 अप्रैल 2021 सोमवार को ग्रामीणों ने प्लांट खोले जाने को लेकर जमकर विरोध किया। ग्रामीणों ने कहा कि अब तक अधिकारी कहां थे,ग्राम में किस चीज के लिए नाप- जोख हो रहा है यांहा क्या खुलने वाला है इसकी जानकारी दिए बगैर डायरेक्ट जन सुनवाई के लिए ग्रामीणों को बुलाना बड़ा षड्यंत्र है। 

जनसुनवाई में मौजूद कई ग्रामों के ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि चिरंगा में एलमुनियम प्लांट किसी भी शर्त पर नहीं खोलने दिया जाएगा।जन सुनवाई के दौरान देखते ही देखते नौबत यहाँ तक आ गई कि उग्र ग्रामीणों ने अधिकारियों से फैक्ट्री नहीं लगाने तत्काल लिखित आदेश मांगने लगे जिस पर एलुमिना फैक्ट्री के एक अधिकारी ग्रामीणों से उलझ गए जिसपर ग्रामीण उग्र हो गए।भीड़ अनियंत्रित होता देख पुलिस ने मोर्चा संभाला और किसी तरह ग्रामीणों पर काबू पाया।इस घटना के बाद किसी तरह अधिकारियों ने जनसुनवाई की समाप्ति की घोषणा कर निकल गए।

जनसुनवाई के बाद बाहर निकलने पर प्रशासनिक व कंपनी अधिकारी को काफी आक्रोश का सामना करना पड़ा। सूचना है कि ग्रामीण इतने उग्र थे कि वहां मौजूद वाहनों में आगजनी की भी फिराक में थे लेकिन पुलिस उन पर किसी तरह काबू पा ली।सोमवार को जनसुनवाई जैसे ही शुरू हुई ग्रामीणों ने कहा कि हमारे गांव में सब कुछ है,चलने के लिए सडक़,बिजली,अस्पताल और उनके जीवन यापन करने के लिए जंगल है। इससे उनका गुजारा हो जाएगा,फैक्ट्री लगने के बाद यह सब बंद हो जाएगा। 

जनपद सदस्य लीलावती पैकरा ने ग्रामीणों की ओर से अधिकारियों से पूछा कि क्या वह गांव के सभी लोगों को फैक्ट्री में रोजगार देंगे इस पर अधिकारियों ने मौन साध ली और कहा कि उनके प्रश्न को नोट कर लिया गया है,भारत सरकार इस पर निर्णय करेगी। श्रीमती लीलावती पैकरा ने आगे कहा कि यहां कोई नेता नहीं है यहां के ठोस किसान हैं अगर आप किसानों के हक को छीन लेंगे तो वह कहां जाएंगे? यहां जब नपाने आया गया था तो क्या यहां के ग्रामीणों को बताया गया था कि किस चीज के लिए नाप-जोख हो रहा है इससे ग्रामीणों को क्या लाभ और क्या नुकसान होगा।
 
जनपद सदस्य ने अधिकारियों से पूछा कि उन्हें इसके बारे में क्यों नहीं बताया गया डायरेक्ट जन सुनवाई के लिए क्यों बुलाया गया। इस महामारी काल में लोग संक्रमित हो रहे हैं अपनी जान गवां रहे हैं उन्हें इस समय इतनी संख्या में क्यों बुलाया गया क्या यह लोगों के जान से ज्यादा जरूरी था? जनपद सदस्य के इस प्रश्न से वहां मौजूद अधिकारियों ने मौन साध लिया और कहा कि इसका उत्तर बाद में दिया जाएगा। अधिकारियों के इस उत्तर से नाराज ग्रामीणों ने तत्काल उत्तर दिए जाने का नारा लगाने और कहा कि चिरंगा गांव में पावर प्लांट खुलने का हम सभी विरोध करते हैं अगर यहां प्लांट खुला तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

प्लांट खुला तो अंबिकापुर घुनघुट्टा डेम के अस्तित्व पर गहराएगा संकट, पर्यावरण व वन जीव को भी होगा भारी नुकसान-ग्रामीण
जन सुनवाई के दौरान वहां मौजूद ग्रामीणों ने प्लांट खोलने पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि एलुमिना रिफाइनरी के खुलने के लिए काफी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।फैक्ट्री जिस जगह पर लगाया जाना प्रस्तावित है वह घुनघुट्टा नदी के पानी पर आश्रित होगा इससे अंबिकापुर पेयजल व्यवस्था के लिए लाइफ लाइन कहे जाने वाले घुनघुट्टा डेम पर तो संकट गहराएगा ही इसके साथ ही जिले के खेती भी इसी नदी से होती है वह भी प्रभावित होगा।आपत्ति करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी द्वारा 1 साल में 3 लाख मेट्रिक टन एलुमिना उत्पादन का लक्ष्य रखा है यह तभी बनेगा जब 7 लाख बॉक्साइट का रिफाइन करेंगे तो एलुमिना बनेगा।इसके लिए कम से कम 80 से 90 लाख मिलियन क्यूबिक मीटर पानी लगेगा।अगर इतना पानी डिस्चार्ज होगा तो घुनघुट्टा नदी सहित वहां के आसपास के नदी नाले सभी सूख जाएंगे।

सरगुजा के अधिकांश नदी नाले बरसाती पानी पर निर्भर हैं।कंपनी तो 12 माह एलुमिना का उत्पादन करेगी अगर इतना पानी का उपयोग कंपनी करेगी तो घुनघुट्टा बांध का क्या होगा।पर्यावरण प्रदूषण के हिसाब से भी यह फैक्ट्री काफी खतरनाक है क्योंकि यह पूरी तरह चाइना मॉडल तकनीक पर आधारित है। इससे ज्यादा प्रदूषण होने के कारण जंगल व उसमें रहने वाले जानवर भी प्रभावित होंगे। ग्रामीणों ने बताया कि वेदांता द्वारा उड़ीसा के मलकानगिरी के पहाडिय़ों में इसी तरह का प्लांट लगाया जा रहा था जहां सरकार ने प्रदूषण को देखते हुए प्रस्तावित परियोजना को खारिज कर दिया था। मलकानगिरी से ज्यादा घनी आबादी बतौली क्षेत्र में है अगर यह प्रस्तावित फैक्ट्री लगा तो पर्यावरण को भारी नुकसान होगा।

गौरतलब है कि ग्राम पंचायत चिरंगा में चट्टान मद की भूमि फैक्ट्री के लिए मेसर्स मां कुदरगढ़ी एलुमिना रिफाइनरी चिरंगा में प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एलुमिना रिफायनरी कग्रीनेएस पावर प्लांट के पर्यावरण स्वीकृति के लिए 12 अप्रैल को जनसुनवाई की स्वीकृति पर्यावरण मंडल द्वारा मिली थी। जिसकी अधिसूचना पर्यावरण वन व जलवायु मंत्रालय के सरकुलेट 2006 में जारी किया गया था।इस फैक्ट्री से ग्राम पंचायत चिरंगा सहित माजा,झररगांव,लैगू,करदना,पहाड़ चिरगा सहित अन्य ग्राम शामिल हैं।ग्रामीणों का कहना है कि इससे कई गांव तबाह हो जाएंगे। 

धारा 144 के बीच जनसुनवाई, अधिकारियों ने नहीं उठाया मोबाइल
प्रदेश में एक ओर जहां संक्रमण अपने चरम पर है तो वहीं सरगुजा जिला के बतौली विकासखंड में एल्मुनियम प्लांट लगाने के लिए प्रशासन ने यहां धारा 144 के बीच जनसुनवाई आयोजित की। इस जनसुनवाई में ग्रामीणों ने प्रशासन,पर्यावरण मंडल व फैक्ट्री के अधिकारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई।जनसुनवाई में सीतापुर एसडीएम दीपिका नेताम,तहसीलदार,कंपनी के अधिकारी कर्मचारी व भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। ग्रामीणों के भारी आक्रोश को लेकर क्षेत्रीय विधायक व छत्तीसगढ़ शासन में कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत से इस मसले को लेकर मोबाइल पर बातचीत करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। इस संदर्भ में सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा सीतापुर एसडीएम दीपिका नेताम से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। सरगुजा पुलिस अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों से झड़प की कोई सूचना नहीं है।

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