बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 22 जनवरी। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के संभागीय संयोजक नवनीत चाँद ने बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री अपने बस्तर प्रवास पर रहते हुए, नये राज्य गठन के बाद से विगत कई वर्ष से बस्तरवासियों की सर्वोच्च मांग, बस्तर संभागीय मुख्यालय को उप राजधानी का दर्जा व उच्च न्यायालय का खण्डपीठ खोलने की मांग को पूरा करने की घोषणा राज्य के नाम अपने संदेश में कर, बस्तर के प्रति अपने भरोसा को और मजबूत करने का एहसास दें।
अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग हो छत्तीसगढ़ बनने के समय प्रथम सरकार ने बस्तर को सम्पूर्ण रूप से विकसित करने व आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश्य से कई वादे किए गए। राज्य में कई पार्टियों का राज व मुख्यमंत्री आये, पर बस्तर की मांग आज भी वहीं खड़ी है। जिस पर किसी भी पार्टी के सरकार व उसके मुख्यमंत्री ने आज तक ध्यान नहीं दिया, सिर्फ अपने राजनीतिक भाषण का हिस्सा बनाकर ही बस्तर को अब तक अपने मांग के प्रति आशावादी बना रखा है, जो बस्तर के साथ सरकार का विश्वासघात है।
बस्तर केंद्र व राज्य सरकार को एक बड़े मात्रा में राजस्व देता है। वहीं एशिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट भी बस्तर में निर्माणाधीन है, जो वर्तमान में सरकार की गलत नीतियों के चलते डीमर्जर होने की कगार पर है। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी बस्तर अति महत्वपूर्ण जगह है। जहां पूरी दुनिया की नजर बनी रहती है। ऐसे में आजादी के बाद से बस्तर को अपने वास्तविक विकास गढऩे का अधिकार है। इसी दृष्टिकोण से बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा द्वारा बस्तर संभागीय मुख्यालय को राज्य की उपराजधानी का दर्जा व उच्च न्यायलय का खंडपीठ स्थापित किये जाने की मांग व अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर बस्तर प्रवास पर पधारे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर बस्तर हित में मांग पत्र देकर मांग को अपने प्रवास के दौरान राज्य के नाम संदेश में पूरा करने की घोषणा कर नवा बस्तर गढऩे का संदेश देने की अपील करता है, ताकि बस्तर को राज्य सरकार के विकास व सम्मान के मापदंड प्रणाली पर विश्वास हो सके।