रायगढ़

अपेक्स बैंक घोटाले पर पर्दा, जांच हुई तो बेनकाब होंगे संगठित गिरोह
27-Apr-2025 8:29 PM
अपेक्स बैंक घोटाले पर पर्दा, जांच हुई तो बेनकाब होंगे संगठित गिरोह

संगठित गिरोह सहित कई आरआई-पटवारी रडार में

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 27 अप्रैल। ‘छत्तीसगढ़’ ने पिछले दिनों रायगढ़ विधानसभा के कुछ क्षेत्रों में हुए 2019 से 2023 के मध्य हुए अपेक्स बैंक में हुए सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीदी, खाद बीज और ऋण वितरण घोटाले पर चर्चा की थी। इसी क्रम आगे जब फील्ड में इसकी पड़ताल की गई, तब लोगों ने बड़ी गंभीरता से घोटाले पर चर्चा की। तब पता चला कि यह सब एक ही जगह नहीं बल्कि संगठित गिरोह के द्वारा इस तरह करोड़ों के घोटाले पुसौर ब्लॉकों में भी हुई है।

गांव के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि यह सब पिछले कई साल से ऐसा खेल होता चला आ रहा है घोटाले की परत लगातार खुल भी रही है लेकिन कार्रवाई अब तक किसी के खिलाफ नहीं हुई है। एक गांव के ग्रामीण ने अपना नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया कि ऋण वितरण के नाम पर किन किन लोगों के नाम पर लोन निकाला गया है अपेक्स बैंक के द्वारा लिस्ट की जांच भी कराई जा रही है और किसानों के नाम चिन्हांकित किए जा रहे है। उक्त किसान वास्तव में लोन, खाद बीज के तौर पर ऋण लिया भी है या उसके नाम पर लोन निकाल कर गोलमाल किया गया है।

फील्ड से जानकारी जुटाने पर पता चलता है कि रायगढ़ विधान सभा में लगभग 30 करोड़ से ऊपर का यह घोटाला उजागर हो सकता है। जानकारी देने वालों ने नाम न छापने की शर्त पर ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि मनमाने ढंग से लोगों की जमीनें जो की ज्यादातर धान की उपज पैदा ही नहीं कर सकती थी ऐसी जमीनों को राजस्व कर्मचारी अधिकारियों से मिली भगत कर इन जमीनों को फर्जी ढंग से चढ़ाया गया और धान की उपज दिखाकर ओडिशा के धान को समितियों में खपाया गया और इतना ही नहीं उन्ही पर फर्जी लोन भी निकाला गया।

पुसौर ब्लॉक के छिछोर उमरिया, कोडपाली, बासनपाली, छपोरा, देवलसुर्रा आदि जगहों पर फर्जी ढंग जमीन जिसमे ज्यादातर चौकीदार जमीन, झांखर और कोटवारी जमीनें और शासन द्वारा प्रदत्त कमाने खाने वाले लोगों की जमीनों के फर्जी दस्तावेज बने जाने की जानकारी मिली। इन दस्तावेजों को राजनीतिक दल से जुड़े संगठित गिरोह के नाम सामने आ सकते हैं यदि इसकी सूक्ष्मता से बिना किसी दबाव के जांच हो। जिन शपथ पत्रों का उपयोग कर धान खरीदी केंद्रों में धान जमा दिखाया गया है। ग्रामीण सूत्र बताते हैं कि वह लगभग 400 से 500 एकड़ तक हो सकता है जिसे जांच में सिद्ध किया जा सकता है।

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