बिलासपुर

भरण-पोषण पर डेढ़ साल के बच्चे को मिली राहत, पिता की अपील खारिज
22-Apr-2025 6:15 PM
भरण-पोषण पर डेढ़ साल के बच्चे को मिली राहत, पिता की अपील खारिज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 22 अप्रैल। पारिवारिक विवाद के चलते अकेली मां के साथ रह रहे डेढ़ साल के मासूम की ओर से दायर गुजारा भत्ते की याचिका पर फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को हाईकोर्ट ने सही ठहराया है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने यह साफ किया कि नाबालिग बेटे का पालन-पोषण करना पिता की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है।

रायपुर निवासी महिला और दुर्ग निवासी बैंककर्मी युवक का विवाह 30 जून 2021 को हुआ था। 7 जुलाई 2022 को उनके बेटे का जन्म हुआ। शादी के कुछ समय बाद दोनों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए और वे अलग रहने लगे। बेटा अपनी मां के साथ रह रहा है।

मां की ओर से बेटे की ओर से 2 सितंबर 2023 को फैमिली कोर्ट में आवेदन दायर किया गया, जिसमें हर महीने 30 हजार रुपये भरण-पोषण की मांग की गई थी। याचिका में बताया गया कि पिता भारतीय स्टेट बैंक में कैशियर के पद पर कार्यरत है और उसके पास 20 एकड़ कृषि भूमि भी है। वहीं, मां को अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली है और वह अपनी वृद्ध मां और छोटे भाई की भी देखरेख कर रही है।पिता ने जवाब में कहा कि पत्नी बिना कारण उसे छोडक़र चली गई है और उसने कई बार संबंध सुधारने का प्रयास किया, लेकिन वह वापस नहीं आई।

फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद पिता को हर माह बेटे को 8 हजार रुपये देने का आदेश दिया। इस फैसले को पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पिता की याचिका को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि नाबालिग बेटे को तत्काल राहत देना जरूरी है और पिता से भरण-पोषण की यह मांग पूरी तरह उचित है।

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