‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 22 मार्च। के.आर. टेक्निकल कॉलेज, अंबिकापुर में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में प्रेक्षा फाउंडेशन एवं प्रेक्षा ध्यान साधना का विशेष आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधार्थियों को मानसिक सशक्तिकरण, भावनात्मक स्थिरता और आत्मिक संतुलन की दिशा में प्रेरित करना था। इस सत्र में ध्यान साधना के महत्व, मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-प्रबंधन की प्रभावी तकनीकों पर चर्चा की गई, जिससे प्रतिभागियों को एक नई दिशा मिली।
कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में शिक्षा केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन की ओर भी अग्रसर होनी चाहिए। उन्होंने ध्यान साधना को विद्यार्थियों और शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावी माध्यम बताते हुए कहा कि आत्म-जागरूकता और ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में केंद्रित कर सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं प्रेक्षा ध्यान प्रशिक्षक मोहनलाल बोथरा ने ध्यान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के समय में केवल बौद्धिक और तार्किक विकास हो रहा है, लेकिन मानसिक और भावनात्मक उन्नति अवरुद्ध हो गई है। जब तक भावों का शुद्धिकरण नहीं होगा, तब तक आचरण शुद्ध नहीं हो सकता। उन्होंने ध्यान को मानसिक संतुलन प्राप्त करने और आत्मिक शुद्धता की ओर अग्रसर होने का सशक्त माध्यम बताया।
इसके बाद प्रेक्षा ध्यान प्रशिक्षक बिना बोथरा ने ध्यान साधना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली में शारीरिक और बौद्धिक विकास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन मानसिक और भावनात्मक संतुलन पर अपेक्षाकृत कम जोर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ध्यान व्यक्ति को आत्म-अवलोकन और मानसिक अनुशासन की दिशा में अग्रसर करता है, जिससे वह अपने व्यक्तित्व को निखार सकता है। उन्होंने बॉक्स ब्रीदिंग और कायोत्सर्ग के माध्यम से छात्रों को अपने श्वास को समझने और उसे केंद्रित करना सिखाया।
निर्मला बोथरा ने ध्यान को नकारात्मकता दूर करने और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने का प्रभावी साधन बताया। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन एक ब्रह्मास्त्र है, जो व्यक्ति के भीतर छिपी ऊर्जा को जागृत कर उसे मानसिक संतुलन प्रदान करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को ध्यान के विभिन्न रूपों से परिचित कराया और उनके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने ध्यान साधना को आत्मसात किया और इसे अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर कॉलेज की निदेशक डॉ. रीनू जैन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को मानसिक स्थिरता और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करने में सहायक होते हैं। उन्होंने भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रेक्षा फाउंडेशन एवं प्रेक्षा ध्यान साधना कार्यक्रम मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-जागरूकता को प्राथमिकता देना आवश्यक है। प्रतिभागियों ने ध्यान के महत्व को आत्मसात करते हुए इसे अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया, जिससे वे अधिक सकारात्मक, आत्म-नियंत्रित और संतुलित जीवन जी सकें।