अब लापरवाही छिपाने प्रशासन कर रहा शिफ्टिंग!
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 12 मार्च। नगर पंचायत कोपरा के गौशाला में मवेशियों की मौत के बाद प्रशासन अब बचाव की मुद्रा में आ गया है। भूख से तड़प-तड़प कर मरे मवेशियों की खबरें वायरल होने के बाद नगर पंचायत प्रशासन ने बड़ी संख्या में मवेशियों को राजिम और फिंगेश्वर के गौशालाओं में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
इस फैसले पर दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस कदम को अपनी मंजूरी दे दी है।
व्यापारियों ने संभाला मोर्चा, चारा-पानी की व्यवस्था
जब प्रशासन की लापरवाही से मवेशियों की मौत हुई और मामला चर्चा में आया, तब गोबरा-नवापारा के व्यापारियों ने पहल कर गौशाला पहुंचकर चारा-पानी की व्यवस्था की। व्यापारियों ने गौ माता की सेवा करने का संकल्प लिया और बीते सोमवार और मंगलवार को सब्जी-भाजी से भरी पिकअप गाडिय़ों को गौशाला भेजा। इससे वहां बचे हुए मवेशियों को कुछ राहत मिली है।
प्रशासन की नाकामी छिपाने की कोशिश?
प्रशासन अब अपनी नाकामी को छिपाने के लिए गौशाला में पैरा-कट्टी की व्यवस्था करने की बात कह रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि अगर समय पर उचित चारा-पानी का इंतजाम किया गया होता, तो इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत नहीं होती।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई, लेकिन सवाल बरकरार
इस मामले में गौशाला प्रबंधन से जुड़े कुछ जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। फिर भी सवाल यह है कि क्या सिर्फ गिरफ्तारी से इस गंभीर लापरवाही की भरपाई हो जाएगी? स्थानीय लोगों का मानना है कि प्रशासन को गौशाला के संचालन में पारदर्शिता लानी होगी और भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए पुख्ता व्यवस्था करनी होगी।
व्यापारियों का योगदान
गौ माता की सेवा में नवापारा के व्यापारियों ने संवेदनशीलता का परिचय दिया। व्यापारी कैलाश काबरा ने कहा, मवेशियों की भूख से मौत की खबर पढक़र बहुत दुख हुआ। गौशाला के संचालन में घोर लापरवाही बरती गई। लेकिन हम अपनी ओर से जितना संभव होगा, सहायता करते रहेंगे।
इस दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष रूपनारायण साहू, नगर पालिका नवापारा के उपाध्यक्ष भूपेंद्र सोनी, कैलाश काबरा, अजय गुप्ता, सुरेंद्र बैद, अनिल जैन, योगेश साहू, नोगेश्वर साहू, अजय साहू, कृष्णा सेन, गिरधर साहू, मंगलू साहू, विक्रम साहू, दिनेश साहू, भीखम साहू सहित कई व्यापारी और समाजसेवी मौजूद रहे।
क्या प्रशासन अब भी जागेगा ?
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस त्रासदी से कोई सबक लेता है या फिर सिर्फ मवेशियों को इधर-उधर शिफ्ट कर अपनी जिम्मेदारी से बचता रहेगा। स्थानीय लोग चाहते हैं कि गौशाला की व्यवस्था में सुधार हो और भूख से मवेशियों की मौत जैसी अमानवीय घटनाएं दोबारा न हों।