सरगुजा

संभाग स्तरीय मुख्यमंत्री शिक्षा अलंकरण समारोह में शिक्षकों का सम्मान
14-Feb-2025 9:33 PM
संभाग स्तरीय मुख्यमंत्री शिक्षा अलंकरण समारोह में शिक्षकों का सम्मान

सरगुजा के पांच उत्कृष्ट प्राचार्य और तीन व्याख्याता सम्मानित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर, 14 फरवरी। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा संभाग हेमन्त उपाध्याय की अध्यक्षता में गठित समिति एवं चयनित पांच प्रभारी प्राचार्यों को उत्कृष्ट प्राचार्य और तीन व्याख्याताओं को ‘शिक्षाश्री’ सम्मान से मुख्यमंत्री  शिक्षा अलंकरण समारोह में नवाजा गया। यह सम्मान उनके उल्लेखनीय शैक्षणिक कार्य, नवाचार और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में दिए गए योगदान को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया।

 समारोह में कलेक्टर सरगुजा विलास भोस्कर ने कहा कि शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं होते, बल्कि वे समाज के निर्माण की नींव भी रखते हैं। वे बच्चों को न केवल पढ़ाई में श्रेष्ठ बनाते हैं, बल्कि उनमें नैतिक मूल्यों, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी विकसित करते हैं। आज जिन पांच प्रभारी प्राचार्यों को उत्कृष्ट प्राचार्य और तीन व्याख्याताओं को ‘शिक्षाश्री सम्मान’ से अलंकृत किया जा रहा है, उन्होंने शिक्षा जगत में न केवल नवीन प्रयोग किए, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत, लगन और संकल्प से छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं इस मंच से इन सभी सम्मानित शिक्षकों को हार्दिक बधाई देता हूँ और यह विश्वास दिलाता हूँ कि प्रशासन हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा। राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को आप सभी शिक्षकों का सहयोग मिलता रहेगा, तो हम निश्चित रूप से शिक्षा को एक नई ऊँचाई तक पहुँचा सकेंगे।                           

 शिक्षा संभाग सरगुजा के हेमंत उपाध्याय संयुक्त संचालक शिक्षा ने व्याख्याताओं और प्राचार्यों को सम्मानित किया और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, एक श्रेष्ठ शिक्षक न केवल ज्ञान का संचार करता है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने का कार्य भी करता है। यह सम्मान हमारे शिक्षकों के समर्पण और परिश्रम का प्रतीक है।

 उन्होंने कहा कि  एक उत्कृष्ट प्राचार्य किसी भी शिक्षण संस्थान की रीढ़ होता है। वह न केवल प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है, बल्कि शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। समाज और सरकार की ओर से एक प्राचार्य से कई अपेक्षाएँ होती हैं, जो विद्यालय और शिक्षा व्यवस्था के समग्र विकास में सहायक होती हैं। प्राचार्य स्वयं अपने आचरण से विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होना चाहिए। वे अपने कार्यों और विचारों से विद्यालय को एक उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान बनाने के लिए सदैव तत्पर रहें।

उन्होंने आज सम्मानित हुए शिक्षाश्री को कहा कि ‘शिक्षाश्री’ सम्मान प्राप्त शिक्षक केवल एक अध्यापक नहीं, बल्कि शिक्षा के आदर्श स्वरूप होते हैं। वे अपने ज्ञान, अनुभव और शिक्षण शैली से विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं। समाज, अभिभावकों और शिक्षा प्रणाली को ऐसे शिक्षकों से विशेष अपेक्षाएँ होती हैं, जिनसे शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभाव में वृद्धि हो सके। एक शिक्षाश्री शिक्षक से अपेक्षा की जाती है कि वह विद्यार्थियों को न केवल पाठ्यक्रम की जानकारी दें, बल्कि उन्हें व्यावहारिक ज्ञान और तर्कशक्ति विकसित करने के लिए प्रेरित करें। शिक्षण को रोचक और व्यावहारिक बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों और संसाधनों का उपयोग करें।

सम्मानित किये व्याख्याता जिन्हें शिक्षाश्री सम्मान से नवाजा गया, इनमें क्रमश: चम्पा सिंह व्याख्याता शा.आदर्श कन्या उ.मा.वि. बैकुन्ठपुर जिला कोरिया, वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी व्या.(एल.बी.) शा. उ .मा.वि. बहरासी, भरतपुर,  गोपाल सिंह, व्या. (एल.बी.) शासकीय  बा.उ.मा.वि. रामानुजनगर को सम्मानित किया गया।

इधर उत्कृष्ट प्राचर्य के रूप में  रवि कांत मिश्रा प्रभारी प्राचार्य स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम सोनहत, श्रीमती  विमला डनसेना प्रभारी प्राचार्य शा.उ  मा. वि.सुरंगपानी जशपुर,  चन्दन कुमार दत्ता प्रभारी प्राचार्य शा.उ.मा.वि.हल्दीबाडी, एम.सी.बी.  संतोष कुमार साहू  प्रभारी  प्राचार्य स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय केशवपुर अम्बिकापुर तथा शैलेष दुबे प्रभारी प्राचार्य शासकीय उ.मा.वि.नवाडीह रामचन्द्रपुर,  मनोज कुमार झा प्रभारी प्राचार्य पीएमश्री स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम नवापारा सूरजपुर को नवाज़ा गया।

ज्ञात हो कि शिक्षा श्री में सम्मान निधि रूपये दस हज़ार और उत्कृष्ट प्राचार्य को सम्मान निधि दो हज़ार के साथ प्रमाणपत्र, शॉल और श्रीफल दिया जाता है।

कार्यक्रम के समापन पर संयुक्त संचालक शिक्षा हेमंत उपाध्याय ने कहा कि एक सम्मानित शिक्षक से यह अपेक्षा होती है कि वह स्वयं भी निरंतर सीखता रहे और नए-नए शैक्षणिक नवाचारों को अपनाए। उसे शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों और नई नीतियों से अवगत रहना चाहिए, जिससे वह अपने विद्यार्थियों को सबसे बेहतरीन शिक्षा दे सके। ‘शिक्षाश्री’ शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता और समर्पण का प्रतीक होता है। समाज को उनसे यह उम्मीद होती है कि वे अपने ज्ञान, नैतिकता और शिक्षण-कौशल से विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने में अपना सर्वोत्तम योगदान दें। यदि हर शिक्षक इन अपेक्षाओं पर खरा उतरे तो शिक्षा प्रणाली और समाज दोनों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।

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