गरियाबंद

48 दिनों की संघर्ष के बाद हारे जिंदगी की जंग, नम आंखों से ससुर-बहू को दी अंतिम विदाई
09-Feb-2025 10:39 PM
48 दिनों की संघर्ष के बाद हारे जिंदगी की जंग, नम आंखों से ससुर-बहू को दी अंतिम विदाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 9 फरवरी। आग से झुलसे गरियाबंद के पुराना मंगल बाजार निवासी अंशु राम सिन्हा और उनकी बहू वीणा सिन्हा का 48 दिनों तक चले जीवन-मृत्यु से संघर्ष के बाद 7 फरवरी को निधन हो गया। शनिवार को  दोनों की अर्थी एक साथ उठी। इसे देखकर मौके पर मौजूद तमाम लोगों की आंखों में आंसू निकल आए। ससुर-बहू का गरियाबंद मुक्तिधाम में विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया।

ज्ञात हो कि  दिसंबर  की सुबह ठंड भगाने ससुर अंशु राम सिन्हा गोरसी की आग को तेज करने में लगे थे। इस दौरान उन्होंने बहू वीणा को केरोसिन डालने कहा। बहू के डिब्बे से केरोसिन उड़लते ही जोर से ब्लास्ट हुआ, और दोनों ससुर-बहू 70 फीसदी झुलस गए।

 उपचार के लिए उन्हें राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 48 दिनों तक मौत से संघर्ष के बाद बहू वीणा की सांस थमी, और उसके एक घंटे बाद ससुर अंशु सिन्हा ने भी दम तोड़ दिया। अस्पताल से शनिवार को  दोनों का शव निज निवास गरियाबंद लाया गया।

गरियाबंद जिला सहकारी बैंक में ब्रांच मैनेजर पद से रिटायर्ड अंशु सिन्हा का भरा-पूरा परिवार है। मृतका वीणा उनके इकलौते बेटे लोकेशवर सिन्हा पत्रकार की पत्नी थी।

अंतिम दर्शन करने मंगल बाजार स्थित निज निवास में नाते रिश्तेदारों की भीड़ जुट गई। दोनों की एक साथ अर्थी उठते देख हर किसी के आंखों में आंसू छलक पड़े। गमगीन माहौल में दोनों को अंतिम विदाई दी गई।

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