लक्ष्य पूरे करने 9 दिन में 3.41 लाख टन खरीदना होगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 17 जनवरी। महासमुंद जिले के 182 उपार्जन केन्द्रों में समर्थन मूल्य में हो रही धान खरीदी के लिये अब कुल 15 दिनों में 9 दिन का ही समय शेष है। दरअसल 15 दिनों में अवकाश तथा राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को यदि छोड़ देंं तो केवल 9 दिन ही खरीदी होगी।
कल शाम 5 बजे तक कुल 12 लाख 45 हजार में लक्ष्य के विरूद्ध 9,54, 473.80 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है। इसमें से 3,39,235.37 मी.टन धान मिलों तथा 98,998.17 मी.टन धान संग्रहण केन्द्रों को प्रदाय किया गया है। अब भी 516240.26 मी.टन धान उपार्जन केन्द्रों में शेष है।
बहरहाल एक बार फिर खरीदी के मुकाबले में उठाव की गति कमजोर हो गई है। ऐसे में सोसायटियों को मौसम खराब होने की वजह से चिंता सताने लगी है। हालांकि इस बार अब तक कोई खास मौसम खराब नहीं हुआ है। यदि मौसम खराब होता है तो उपार्जन केन्द्रों में रखे धान को नुकसान हो सकता है। आज की स्थिति में कुल 1,43,624 किसान धान बेच चुके हैं। अब 22721 किसान अब भी धान विक्रय के लिये शेष हैं। जबकि 3.41 लाख मी.टन धान की खरीदी शेष है।
मालूम हो कि आगामी 31 जनवरी तक धान खरीदी होना है। पिछले महीनेभर से धान की आवक बढ़ी है। वर्तमान में जानकारी के मुताबिक सरायपाली, कोमाखान और बसना ब्लॉक के उपार्जन केंद्रों में धान जाम है। यहां धान का उठाव काफी धीमी गति से हो रहा है। बागबाहरा, पिथौरा और महासमुंद में धान उठाव की स्थिति अच्छी है। जिला सहकारी समिति के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने बताया सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों से धान खरीदी के साथ ही लिकिंग के माध्यम से ऋण की वसूली हो रही है। किसानों से लगभग 369 करोड़ ऋण की वसूली की जा चुकी है। खरीफ सीजन में फसल लेने लेने के के लिए जिले के 82 हजार किसानों ने सहकारी समितियों से ऋण लिया था। कुल 426 करोड़ रुपए ऋण का वितरण किया गया था।
जानकारी अनुसार जिले के तमाम धान खरीदी केन्द्रों में धान रखने के लिए जगह कम पड़ रही है। धान खरीदी के साथ ही ऋण की वसूली भी की जा रही है। किसानों को 2300 करोड़ रुपए धान का भुगतान किया जा चुका है।
जिले के 114 केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक धान है। जिले में एक लाख 62 हजार किसान पंजीकृत हैं। इसमें से 1 लाख 43 हजार 624 किसानों से धान खरीदा जा चुका है। बाकी किसानों को अवकाश को छोडक़र 9 दिन ही धान बेचने के लिए समय मिलेगा। धान बेच चुके किसानों को अब ष्ट्वतक 2300 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इधर धान की बंपर आवक से जगह की कमी हो रही है। क्योंकि समय पर उठाव नहीं किया जा रहा है। इसलिए समितियों की मुसीबत बढ़ गई है।