प्रदर्शन कर रुकवाया परियोजना का काम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 14 जनवरी। रजिस्ट्री स्क्वेयर फीट की दर से तो मुआवजा हेक्टेयर के हिसाब से क्यों? अधिनियम के अनुसार मुआवजा नहीं देने का आरोप लगाते हुए भडक़े भारत माला परियोजना प्रभावित भू स्वामियों ने उक्त सवाल उठाया। इन प्रभावितों ने उमरपोटी कार्यस्थल में प्रदर्शन कर परियोजना का कार्य रुकवा दिया।
लगातार मुआवजा की गुहार लगा रहे भारत माला परियोजना से प्रभावित भू-स्वामी एक बार फिर आंदोलित हो उठे। लगभग 60 भू-स्वामियों ने उमरपोटी में जाकर परियोजना के कार्य को रुकवा दिया और अपनी जमीन पर बने हुए शेड और सामान को अपनी जमीन से हटवाया। उन्होंने शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए परियोजना में कार्यरत कर्मचारी को शांतिपूर्ण चेतावनी दिए कि जब तक भू-स्वामियों को मुआवजे की रकम नियम के तहत नहीं मिलता तब तक वे उनकी जमीन पर कार्य नहीं कर सकते। अगर नियमानुसार मुआवजा भुगतान हुए बिना कार्य करते हैं तो वे प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
इसकी जिम्मेदारी उनके स्वयं की होगी। तब परियोजना कार्य के इन्चार्ज ने उन्हें अश्वासन दिया कि वे काम नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग जिले में करीब 12 गांव के किसान एवं भू-स्वामी प्रभावित है। इनकी जमीन 2010 से अधिग्रहित कर ली गई है। आज 6 वर्ष हो गए इन्हें मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजा दे भी रहे हैं तो वह भी बहुत कम है।
उनका कहना है कि मुआवजे की गणना गलत की गई है। अवार्ड विवरण में भी बहुत सी विसंगतियां है। दुर्ग जिले में जिन भू-स्वामियों की जमीन परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई है, उन्हें मुआवजा हेक्टेयर में दी जा रही है। जबकि केन्द्र शासन द्वारा 500 वर्ग मीटर की जमीन का मुआवजा स्क्वेयर फीट में देने का प्रावधान है। राज्य शासन द्वारा केन्द्र सरकार के नियमों का खुले आम उल्लंघन किया जा रहा है। सभी भू-स्वामियों की जमीन की रजिस्ट्री अधिसूचना जारी होने के पहले की है। सबकी रजिस्ट्री स्क्वेयर फीट में की गई है। भू-स्वामियों का कहना कि उन्हें भारत माला परियोजना से कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें तो सिर्फ अपनी जमीन का अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार मुआवजा चाहिए। भू-स्वामी मधुबन ट्रेडर्स धनोरा के संचालक शिव चंन्द्राकर का कहना है कि वे एक सेवानिवृत्त व्यक्ति है।
उनकी जमीन भी परियोजना के अंर्तगत मध्य में आ रही है। उन्होंने अपनी जमीन पर भू-अधिग्रहण के पहले ग्राम पंचायत से अनुमति लेकर पक्का मकान बनवाया है। इसी से परिवार के पालन पोषण के लिए छोटा सा व्यवसाय कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण से उनका व्यवसाय अव्यवस्थित हो चुका है। उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग वाले उनकी जमीन पर आपत्ति लगा रहे हैं। उनकी ही नहीं लगभग 120 भू-स्वामियों के जमीन पर आपत्ति लगाए हैं, उन्हें अवार्ड विवरण पत्र भी नहीं दिया गया है जबकि उन सबके जमीन की रजिस्ट्री अधिसूचना जारी होने के पहले की है। सभी जमीन का बटांकन हो चुका है।
इस प्रदर्शन में शिव चन्द्राकर, महेन्द्र चोपड़ा, सुरेन्द्र साहू, अखिलेख साहू, विक्रम सुर, रीता रानी राय, प्रमोद रात्रे, संजीत सिंह, चन्दन, सुलक्षणा कोसरे, महेश चन्द्राकर, बाल मुकुन्द तिवारी, प्रियंका यादव, मीना पाण्डेय, नूतन दूबे, कुसुमलता साहू, सीमा देवी, मुनेश्वर प्रसाद द्विवेदी, परमजीत उप्पल, संदीप सिंह, एम प्रीति, नीलम यादव, सुनीता तिवारी, मनोज कुमार मौर्य के अलावा बड़ी संख्या में पीडि़त भू-स्वामी उपस्थित थे।