‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 12 दिसंबर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई नवापारा द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही इकाई के नगर मंत्री सहित अभाविप के सभी सदस्यों ने शहीद वीर नारायण सिंह, अमर रहे के नारे लगाते हुए शहीद वीर नारायण सिंह के संघर्ष एवं वीरता को याद किया।
इस अवसर पर नगर मंत्री दीपक ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह के 167 साल पहले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ ने भी अपने वीर सपूत वीर नारायण सिंह का बलिदान दिया था। 1857 के 10 दिसंबर का वह दिन था, जब रायपुर के जय स्तंभ चौक पर सरेआम शहीद वीर नारायण सिंह जी को फांसी दी गई व उनके शव को तोप से उड़ा दिया गया था। इस क्रांति में वे अकेले नहीं थे। उनके परिवार के 6 लोगों ने अपनी जान कुर्बानी दी थी। छत्तीसगढ़ के इतिहास में शहीद वीर नारायण सिंह का नाम तो प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा के रूप में दर्ज हो गया, किंतु उनके परिवार के बलिदान को लेकर अब तक स्थानीय इतिहासकारों से कही कोई बात सामने नहीं आ सकी।
नगर सहमंत्री दिपेश सेन ने अपने बातों में कहा कि सिंघोड़ा घाट में 10 महीने चला युद्ध। अंग्रेजों की टैक्स वृद्धि के खिलाफ सोनाखान व घेस जमींदारी ने मुंबई-रायपुर-संबलपुर- कलकत्ता मार्ग को अवरुद्ध करने की योजना बनाई और सिंघोड़ा घाटी को अवरूद्ध कर दिया गया। इसके बाद 10 माह तक यहां युद्ध चलता रहा।
लक्की साहू ने बलिदान दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह जी को 10 दिसंबर, 1857 को रायपुर के जय स्तंभ चौक पर उन्हें फांसी दी गई थी एवं स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाले हमारे प्रदेश के आदिवासी जननायक शहीद वीर नारायण सिंह सच्चे देशभक्त थे, साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत होने का भी फर्ज निभाया। वे सोनाखान के जमींदार परिवार से थे। लेकिन उन्होंने किसानों और गरीबों के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी।
आगे बताते हुए नगर सहमंत्री कुन्दन सोनकर ने कहा कि उन्होंने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार किया। उनका बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनके संघर्ष और मातृभूमि के प्रति समर्पण को भी हमेशा याद किया जाएगा। गरीबों और किसानों के रक्षक के रूप में उनकी गौरवगाथा सदैव अमर रहेगी।
एस.एफ.डी. प्रमुख अजित साहू ने कहा कि रायपुर कमिश्नरी में पहली बार हुआ कालापानी। वीर नारायण सिंह के चार साले में से कुंजल सिंह को संबलपुर में फांसी दी गई। बैरी सिंह को आजीवन कारावास की सजा दी, जहां उनकी मृत्यु हो गई। हटे सिंह को कालापानी के लिए सेल्यूलर जेल भेज दिया। रायपुर कमिश्नरी में ऐसा पहली बार हुआ था।
सोम ने अपने उद्बोधन में शहीद वीर नारायण सिंह जी के जीवन परिचय एवं उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला। उक्त कार्यक्रम में नगर मंत्री दीपक, नगर सहमंत्री कुंदन सोनकर व दिपेश सेन, एस.एफ.डी. प्रमुख अजित साहू, नगर कार्यकारिणी से लक्की साहू, पंकज जैन, सोम व गोड़ समाज के युवा कार्यकर्ता सूरज ध्रुव सहित अभाविप के सभी सदस्य उपस्थित थे।