दंतेवाड़ा 30 नवंबर। दंतेवाड़ा में नक्सली खौफ कम होने की वजह से महिला पेशेवर अधिकारी भी सेवा देने तत्पर हो रही हैं। इससे दंतेवाड़ा की बदली सी तस्वीर उभर कर सामने आती है।
दंतेवाड़ा के बारसूर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर साक्षी द्वारा अपने करियर का शुभारंभ किया गया। डॉ साक्षी नें वर्ष - 2023 में हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बनारस से मेडिकल की शिक्षा पूर्ण की। इसके उपरांत चिकित्सा अधिकारी बन कर दंतेवाड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बारसूर के आमजन को सेवा देने के लिए चुना। हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नेशनल मेडिकल कमीशन और भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। साथ ही उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रमुख मेडिकल कॉलेज और अस्पताल है। यह संस्थान चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्रदान करता है। साक्षी के मुताबिक चिकित्सा सेवा उनकी प्राथमिकता इसलिए रही, क्योंकि पढ़ाई के दौरान जब फोन पर अपने माता पिता से बात करती थी तो कई परेशानियाँ उनको रहती थी। उस वक्त साक्षी ने निर्णय लिया कि वो एमबीबीएस पास करेगी और डॉ बनकर इसी क्षेत्र में सेवा देंगी। वर्ष - 2024 में अब सुनहरा वक्त आ गया जब साक्षी ने इस अस्पताल को चुनकर सेवा देना शुरू कर दिया है। अपने करियर के दौरान इंटर्नशिप में बेस्ट मेडिकल इन्टन राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गई।
साक्षी अपने साक्षात्कार में सपोर्ट सिस्टम का जिक्र करते कहती है कि सरकार और सरकारी कर्मचारी के बीच अच्छा समन्वय हो तो जनता को परेशानियां कम होती हैं। हाल में जिस तरीके से विष्णु सरकार नक्सलवाद, रोड कनेक्टिविटी और बेहतर शिक्षा पर सरकार खास तौर पर आदिवासी बेल्ट पर ध्यान दे रही है। ऐसे में हम जैसे स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी के लिए काम करना आसान हो जाता है और हम सीधे जमीनी स्तर पर काम करने लिए तैयार रहते है। साक्षी अपने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है।वो कहती है कि अपने क्षेत्र और बारसूर को सेवा देने के लिए चुनने के पीछे खास वजह ये भी है कि मेरे पिता ने भी अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षक बारसूर के जवाहर नवोदय विद्यालय बारसूर से की थी। इसलिए मैं भी यहाँ से अपने करियर को एक नहीं शुरुआत देना चाहती थी।