खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 26 अक्टूबर। भारतवर्ष में प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है किंतु इस बार तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी जिसे दूर करते हुए मां दंतेश्वरी आध्यात्मिक साधना केंद्र एवं राजपुरोहित पंडित डॉ. मंगलानंद झा ने बताया कि 31 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाना श्रेयस्कर है और मां दंतेश्वरी मंदिर में 31 अक्टूबर गुरुवार को सूर्यास्त के बाद दीपोत्सव मनाया जाएगा।
डॉ. झा ने बताया कि इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दो दिन होने के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है । 31 अक्टूबर को अमावस्या अपराह्न 3.52 के बाद प्रारंभ होगा जो दूसरे दिन 1 नवंबर को शाम 6.16 तक ही रहेगा। सूर्यास्त 5.23 पर होगा इस स्थिति में 53 मिनट ही अमावस्या प्राप्त होगा क्योंकि 31 अक्टूबर को गुरुवार है और प्रदोष व्यापिनी के साथ-साथ संपूर्ण रात्रि अमावस्या युक्त है।
दीपोत्सव का पर्व सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है और इस दिन गणेश लक्ष्मी कुबेर आदि की पूजा की जाती है। ज्योतिष अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि निशिता मुहूर्त एवं लक्ष्मी पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि प्रदोष युक्त अमावस्या में ही लक्ष्मी जी का प्रादुर्भाव माना जाता है । 31 को दीपावली ,2 नवंबर अन्नकूट एवं 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाना उपयुक्त व श्रेयस्कर है।
वृषभ लग्न प्रदोष काल और चौघडिय़ा के हिसाब से लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 31 अक्टूबर गुरुवार को शाम 6.25 से लेकर रात 8.20 तक श्रेष्ठ है इसी प्रकार निशिता मुहूर्त 11.39 से 12.30 तक उपयुक्त है।